सोनपुर में गंगा का कहर... उजड़ते घर, बेहाल परिवार और प्रशासन की चुप्पी, चार पंचायत खतरे में
सारण सोनपुर के सबलपुर में गंगा का कटाव जारी है जिससे कई परिवार बेघर हो गए हैं। प्रभावित लोग खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं और प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं। ग्रामीणों ने रिंग बांध बनाने की मांग को लेकर आंदोलन की चेतावनी दी है।

संवाद सूत्र, नयागांव सोनपुर(सारण)। सोनपुर प्रखंड के सबलपुर के नवघरवा में गंगा का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। गुरुवार को जिन परिवारों के घरों का आधा हिस्सा नदी में समा गया था, उनके बचे-खुचे अवशेष भी शुक्रवार को गंगा की धारा लील गई। देखते ही देखते पक्के और झोपड़ी जैसे मकान मिट्टी में मिल गए। कटाव की भयावह स्थिति से पूरा इलाका दहशत में है। लोग हर पल यह डर से जी रहे हैं कि अगला नंबर उनके घर का न हो जाए।
खुले आसमान के नीचे जिंदगी
गांव के जिन परिवारों का घर उजड़ चुका है, वे अब खुले आसमान के नीचे या पड़ोसियों के सहारे जीने को मजबूर हैं। हालांकि इसमें अधिकांश लोग स्थिति को भापते हुए पूर्व में ही दूसरे जगह घर बना लिए हैं।
वहीं कई लोगों को बच्चों की पढ़ाई से लेकर परिवार के खाने-रहने तक की चिंता ने उनकी जिंदगी को अस्त-व्यस्त कर दिया है। बारिश होने पर कहीं पनाह नहीं मिलती और धूप में छोटे-छोटे बच्चे तड़पते रहते हैं।
कटाव पीड़ित नवल राय रोते हुए बताते हैं
“हमरा घरवा गंगा में समा गएल। अब परिवार के लइका कहां पढ़ेगा, कहां सोएगा, कहां खाएगा – ई सब चिंता में जी रहल बानी। सरकार के अधिकारी लोग बस देखत रह जाता, मदद के नाम पर आजतक एक दाना चावल भी ना मिलल।”
इसी तरह रामबाबू राय कहते हैं
“रात में जब गंगा किनारा टूटता है, त पूरा टोला जागल रहेला। नींद तो कबका उड़ गइल। औरत-बच्चा चिल्लात रहल बा, मर्द लोग सामान हटावत रहेला। हमनी के जिनगी अब रोजाना मौत के साया में कट रहल बा।”
प्रशासन पर सवाल
ग्रामीणों का कहना है कि आपदा विभाग और प्रशासन कटाव रोकने के नाम पर केवल खानापूर्ति कर रहा है। बांस, बोरे और पौधे डालने जैसे उपाय किए गए, लेकिन नतीजा शून्य रहा। उल्टे, कटाव और तेज हो गया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पूर्व में काम गुणवत्ताहीन ढंग से किया गया, जिससे राहत तो नहीं मिली, लेकिन सरकारी धन की लूट-खसोट जरूर हो गई।
सबलपुर निवासी अशोक राय का कहना है
“कटाव रोकने के नाम पर ठेकेदार माल कमा रहे हैं। अगर सही तरीके से काम हुआ होता तो आज हमनी के टोला बच गया होता। ई सब मिलीभगत के खेल बा।”
बढ़ते आंदोलन के संकेत
गांव में भय और असुरक्षा का माहौल चरम पर है। लगातार हो रहे कटाव से परेशान ग्रामीण अब आंदोलन की राह पर उतरने को मजबूर हो गए हैं। सबलपुर की चारों पंचायतों के लोगों ने साफ कह दिया है कि जब तक स्थायी समाधान के रूप में रिंग बांध नहीं बनेगा, तब तक उनकी लड़ाई जारी रहेगी।
14 सितम्बर को ग्रामीणों ने मानव शृंखला बनाने का ऐलान किया है। गांव-गांव जाकर लोग तैयारी कर रहे हैं। हर चौक-चौराहे पर अब यह नारा गूंज रहा है
“रिंग बांध बनवाना है, रिंग बांध नहीं तो वोट नहीं।”
नेताओं की मांग
कटावग्रस्त इलाकों का दौरा कर चुके कई स्थानीय नेताओं ने भी सरकार और जिला प्रशासन से तुरंत ठोस कदम उठाने की मांग की है। उनका कहना है कि मुआवजा और पुनर्वास की व्यवस्था के बिना पीड़ित परिवारों को संभालना मुश्किल होगा।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता अभय कुमार सिंह ने कहा
“कटाव सिर्फ घर नहीं, बल्कि इंसानों की पूरी जिंदगी उजाड़ रहा है। सरकार को युद्ध स्तर पर रिंग बांध बनवाना चाहिए, ताकि गांव को स्थायी समाधान मिल सके।”
चार पंचायतें खतरे में
ग्रामीणों का मानना है कि यदि कटाव पर जल्द अंकुश नहीं लगा तो आने वाले समय में सबलपुर क्षेत्र की चारों पंचायतें गंगा की धारा में समा सकती हैं। लोग भय और अनिश्चितता के बीच जी रहे हैं। गांव की महिलाएं भी अब आंदोलन में खुलकर सामने आ रही हैं।
पीड़ित महिला प्रभा देवी ने कहा
“हमनी के गोड़ तले से जमीन खिसक गइल। घर, खेत-खलिहान सब गंगा निगल गइल। अबकी बार रिंग बांध ना बनल त हमनी वोट ना देब। सरकार से मुआवजा और ठिकाना दोनों चाहीं।”
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