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    अमनौर विधानसभा: इस बार के चुनाव में जनता उम्मीदवार से ज्यादा मुद्दों पर कर रही है बात

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 02:04 PM (IST)

    अमनौर विधानसभा क्षेत्र में आज भी कई बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। रेवाघाट पर शवदाह गृह नहीं होने से खुले में अंतिम संस्कार होता है। पुल की कमी से लोगों को घूमकर जाना पड़ता है। मकेर में महिला कॉलेज और अमनौर में डिग्री कॉलेज की कमी है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मकेर में भवन का अभाव है।

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    बिजली विभाग की कारगुजारी बनी उपभोक्ताओ के लिए परेशानी

    संवाद सूत्र, अमनौर, मकेर (सारण)। वर्ष 2009 में हुए परीसिमन के बाद अमनौर के 18, मकेर के 08 एवं परसा प्रखंड के 6 पंचायतों को मिला कर अस्तित्व में आया 32 पंचायतों का आमनौर विधानसभा का पहला चुनाव वर्ष 2010 में हुआ तबसे अबतक हुए तीन चुनाव में एनडीए का ही दबदबा रहा और विधायक भी इन्ही गठबंधन का रहे और अभी भी है इस बार के चुनाव में जनता उम्मीदवार से ज्यादा मुद्दो की बात कर रही है जनता की बात भी अपने जगह सही है अब देखना यह है की इस बार जनता लोक लुभावन नारो पर विश्वास करती है या मुद्दों पर

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    रेवाघाट पर खुले में होता है दाह संस्कार

    लगातार मांग के बाद भी रेवाघाट पर सेड और शवदाह गृह की मांग पूरी नहीं हुई जिससे अंतिम संस्कार करने आने वाले लोगों को खुले आसमान के नीचे रहना पड़ता है साथ ही शव का अंतिम संस्कार भी खुले आसमान के नीचे किया जाता है यह स्थिति बारिश के समय और भी परेशान करती है लोग शव लेकर पुल के निचे जाते है और वही उसका दाह संस्कार करते है जिससे निकलने वाली धुआ पुल को नुकसान पहुंचा सकती है।

    एक पुल के नहीं बनने से एक किलोमीटर घूम कर अपने घर अमनौर विधानसभा का एक गांव फुलवारीया पंचायत का NH 722 से महाज पचास मीटर से भी कम दुरी पर स्थित भाथा नोनिया टोली इस गांव मं पहुंचने के लिए आपको करीब एक से डेढ़ किलोमीटर की दूरी तयकर गांव पहुंचना पड़ता है वही अगर NH 722 से गनौर सिंह टोला एवं भाथा नोनिया टोली के बिच स्थिति सोती पर पुल का निर्माण हो जाने से यह दूरी मात्र 500 मीटर से भी काम हो जाएगी लेकिन दो बार विधायक एवं अब सरकार में मंत्री बनने के बावजूद यह समस्या जस की तस है जिसे विरोधी भुनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे है।

    महिला कॉलेज एवं उच्च शिक्षा की कमी

    मकेर में महिला कॉलेज और अमनौर में डिग्री कॉलेज सहित आइआइटी कॉलेज की कमी के कारण क्षेत्रों को काफी पड़ेसानी उठानी पडती है उच्च शिक्षा के लिए उन्हें छपरा एवं स्नातक तक की पढ़ाई के लिए परसा या अमनौर जाना पड़ता है लेकिन नामांकन के बाद भी यातायात की समुचित व्यवस्था नहीं होने से क्षेत्र के लोग नियमित क्लास करने से वंचित रह जाती है समय की मांग के अनुसार अमनौर में उच्च शिक्षा की व्यवस्था और टेक्निकल कॉलेज की जरूरत युवाओं को है ताकि वे नियमित शिक्षा के साथ ब्यावसायिक शिक्षा भी ग्रहण कर सके।

    भवन का अभाव में अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के भवन में चलता है सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मकेर - करीब डेढ़ दशक पूर्व मकेर में स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वस्थ्य केन्द्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अपग्रेड कर दिया गया, लेकिन आज भी वहां व्यवस्था प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की जैसी ही है सरकार सभी संसाधन और उपकरण सामुदायिक स्वस्थ्य जैसी देती है लेकिन जगह के अभाव में कई महंगी उपकरण इधर उधर रखा रहता है जिसका लाभ मरीजों को नहीं मिल पता है और उन्हें सीधे रेफर कर दिया जाता है सरकार की व्यवस्था के बाद भी इलाज और स्वास्थ्य सेवा में कमी बड़ा मुद्दा है जो चुनावी वर्ष मे मतदाताओं में खुब चर्चा में है हालाकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन निर्माण के लिए अंचल द्वारा NH 722 के चांदनी चौक के पास जमीन उयलब्ध कराइ गई।

    जिसमें निर्माण भी शुरू हुआ लेकिन निर्माण को कुछ माह बाद ही आस पास के लोगों द्वारा अपनी जमीन बताकर अड़चन खड़ी कर दिए तब से आज तक किसी अधिकारी ने उस अड़चन को दूर करने का प्रयास नहीं किया। जिससे करीब एक वर्षो से अधिका समय से समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण अधूरा है जिस करना सड़क दुर्घटना में घायल को बैडेज पट्टी कर छपरा रेफर कर दिया जाता है कइ मरीज तो छपरा पहुंचने से पहले ही रास्ते में दम तोड़ा देते है।

    बिजली आपूर्ति की समस्या, एक लाइन पर चार पावर सब स्टेशन

    अब इसे बिजली विभाग की कारगुजारी कहे या कुछ और जहां प्रत्येक चुनाव में सरकार एवं जन प्रतिनिधि बिजली को अपनी उपलब्धि में सबसे ऊपर रखते है 24 घंटे निर्वाध बिजली मिलने की बात कहते है और यह सच भी है लेकिन यह सच मकेर, अमनौर, भेल्दी और डेरनी के लिए फिट नहीं बैठती है कारण यह है की इन चारों पवार सब स्टेशन का एक ही मुख्य लाइन (33 हजार )से जुड़ा होना है जिस करना अगर किसी एक पावर सब स्टेशन में कोई भी काम या खराबी को दूर करने के लिए लाइन को काटा जाता है तो बाकी के तीनों पावर सब स्टेशन बिना किसी खराबी के बंद हो जाता है जिससे उभक्ताओं में काफी नाराजगी उत्पन्न हो जाती है और उपभोक्ताओ को लगातार पड़ेसानी उठानी पडती है इस समस्या को दूर करने के कइ बार उपभोक्ताओं द्वारा विभाग एवं जन प्रतिनिधि से अनुनाय विनय किया गया।