बिहार में आधार-सिम लिंकिंग के नाम पर बड़ा 'खेल', फिंगरप्रिंट क्लोनिंग कर खातों से उड़ाए रुपये
सारण जिले में आधार से सिम लिंक कराने के नाम पर फिंगरप्रिंट क्लोन कर खातों से रुपये उड़ाने वाले साइबर ठगों के गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश किया है। पुलिस ...और पढ़ें
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पुलिस की गिरफ्त में आरोपी। (जागरण)
जागरण संवाददाता, छपरा। सारण जिले में आधार से सिम लिंक कराने के नाम पर फिंगरप्रिंट क्लोन कर खातों से रुपये उड़ाने वाले साइबर ठगों के एक संगठित गिरोह का पुलिस ने खुलासा किया है।
साइबर थाना की पुलिस ने इस मामले में दो शातिर साइबर फ्रॉड को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपितों में मांझी थाना क्षेत्र के कतोखर राम निवासी विद्या प्रसाद का पुत्र अंकित कुमार प्रसाद तथा सिवान जिले के सिसवन थाना क्षेत्र के नोनिया पट्टी निवासी ओमप्रकाश दुबे का पुत्र चंदन कुमार दुबे शामिल हैं।
गया व सिवान से गिरफ्तारी, डिजिटल उपकरण बरामद
साइबर थाना की पुलिस ने अंकित कुमार प्रसाद को गया के एपी कॉलोनी क्षेत्र से गिरफ्तार किया, जबकि चंदन कुमार दुबे को पहले ही हिरासत में लिया जा चुका था। पुलिस ने चंदन के पास से तीन मोबाइल फोन, एक हार्ड डिस्क और दो लैपटॉप भी बरामद किए हैं। इन डिजिटल उपकरणों के जरिए साइबर अपराध को अंजाम देने के साक्ष्य मिलने की बात कही जा रही है।
शिकायत से खुला पूरा मामला
इस पूरे मामले का खुलासा 12 दिसंबर 2025 को दर्ज कराई गई एक शिकायत के बाद हुआ। रसूलपुर थाना क्षेत्र के लोवारी निवासी नारायण भारती के पुत्र सुरेंद्र भारती ने साइबर थाना में आवेदन देकर बताया कि वह सिवान के चैनपुर स्थित चंदन इंटरप्राइजेज में आधार कार्ड से मोबाइल सिम लिंक कराने गए थे।
वहां उनसे पांच उंगलियों के निशान लिए गए। कुछ ही समय बाद उनके बैंक खाते से 30 हजार रुपये की अवैध निकासी हो गई।
दो बार फिंगरप्रिंट लेकर बनाते थे क्लोन
अनुसंधान के दौरान साइबर पुलिस को अहम जानकारी मिली कि आरोपित आधार-सिम लिंकिंग के दौरान लोगों से जानबूझकर दो बार फिंगरप्रिंट लेते थे।
पहले यह कहकर उंगली का निशान लिया जाता था कि प्रक्रिया के लिए जरूरी है, फिर यह बहाना बनाते थे कि निशान साफ नहीं आया है और दोबारा हाथ लगवाते थे। इसी दौरान फिंगरप्रिंट का क्लोन तैयार कर लिया जाता था।
फर्जी लिंक से करते थे खेल
पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि आरोपित सरकार द्वारा निर्धारित आधिकारिक लिंक का उपयोग नहीं करते थे। इसके बजाय फर्जी लिंक के जरिए आधार और मोबाइल लिंकिंग का नाटक करते थे। बाद में क्लोन किए गए फिंगरप्रिंट की मदद से आधार से जुड़े खातों से रुपये निकाल लिए जाते थे और पीड़ितों के नाम पर फर्जी सिम कार्ड भी जारी करवा लिया जाता था।
गरीब, बुजुर्ग और महिलाएं थी आसान शिकार
डीएसपी (यातायात) सह प्रभारी साइबर डीएसपी संतोष कुमार पासवान ने बताया कि यह गिरोह खासतौर पर जीविका दीदियों, गरीब महिलाओं, बुजुर्गों और उन लोगों को निशाना बनाता था जिनके खातों में प्रधानमंत्री आवास योजना, विश्वकर्मा योजना समेत अन्य सरकारी योजनाओं की राशि आती है। सीमित जानकारी और डिजिटल जागरूकता की कमी का फायदा उठाकर यह लोग आसानी से ठगी कर लेते थे।
एनसीआरपी पोर्टल पर सौ से अधिक मामले
सारण जिले में आधार से रुपये निकालने से जुड़े 100 से अधिक मामले राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर दर्ज हैं। अब तक पुलिस को इस बात की ठोस जानकारी नहीं मिल पा रही थी कि किसी दूसरे व्यक्ति के फिंगरप्रिंट से आधार आधारित निकासी कैसे संभव हो रही है।
इस मामले के खुलासे के बाद पुलिस को इस नए तरीके के साइबर फ्रॉड की पूरी कड़ी समझ में आई है। पुलिस का कहना है कि यह बिहार में इस तरह का अब तक का बड़ा मामला है। अनुसंधान जारी है और गिरोह से जुड़े अन्य लोगों की तलाश की जा रही है। साथ ही आम लोगों से अपील की गई है कि आधार-सिम लिंकिंग या किसी भी डिजिटल प्रक्रिया के दौरान केवल अधिकृत केंद्र और सरकारी लिंक का ही उपयोग करें।

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