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    छपरा का चुनावी रण... मुद्दों की कसौटी पर नेताओं की परीक्षा, जनता के सामने पांच बड़े मुद्दे

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 05:40 PM (IST)

    छपरा विधानसभा में इस बार चुनाव विकास और विरासत के मुद्दों पर केंद्रित है। जनता ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण शहरी सुविधाओं का विकास धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार और हवाई अड्डे को उड़ान सेवा से जोड़ने की मांग कर रही है। राजनीतिक दल इन मुद्दों को प्राथमिकता देते हैं और जनता की उम्मीदों पर खरे उतरते हैं।

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    मुद्दों की कसौटी पर नेताओं की परीक्षा

    अमृतेश, छपरा। छपरा विधानसभा क्षेत्र में इस बार चुनावी मुकाबला सिर्फ उम्मीदवारों के बीच नहीं, बल्कि जनता की उम्मीदों और अधूरी वादों के बीच भी तय होगा। एक तरफ मतदाता बार-बार उठाए गए विकास और विरासत संरक्षण के मुद्दों को सामने रख रहे हैं, तो दूसरी ओर राजनीतिक दल इन्हीं सवालों को अपने घोषणापत्र और भाषणों में भुनाने की तैयारी कर रहे हैं।

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    सरयू किनारे बसे प्राचीन मठ-मंदिरों से लेकर लोकनायक जेपी के गांव सिताब दियारा तक, रिविलगंज के गौतम ऋषि आश्रम से लेकर छपरा शहर के पार्कों और हवाई अड्डे तक-हर मुद्दा सीधे जनता की जिंदगी और भावनाओं से जुड़ा है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि इस बार किस नेता के वादे जनता की कसौटी पर खरे उतरते हैं और कौन महज़ पुराने नारों तक सिमट कर रह जाता है। इस बार छपरा विधानसभा की राजनीति को दिशा देने वाले हैं।

    डोरीगंज-रिविलगंज तक मठ-मंदिरों का संरक्षण और पर्यटन

    छपरा विधानसभा का सबसे बड़ा मुद्दा ऐतिहासिक और पौराणिक धरोहरों से जुड़ा हुआ है। सरयू नदी किनारे डोरीगंज से लेकर रिविलगंज तक सौ से अधिक प्राचीन मठ और मंदिर स्थित हैं। इनमें से कई मंदिरों का उल्लेख लोककथाओं और पुराणों में मिलता है, लेकिन संरक्षण के अभाव में इनकी स्थिति जर्जर होती जा रही है।

    स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि सरकार ठोस योजना बनाकर इन धरोहरों का जीर्णोद्धार करे और उन्हें धार्मिक पर्यटन से जोड़े तो यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक आ सकते हैं। इससे न सिर्फ स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, बल्कि युवाओं को रोजगार भी उपलब्ध होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा न सिर्फ धार्मिक भावनाओं को जोड़ता है, बल्कि पर्यटन आधारित विकास का रास्ता भी खोलता है।

    शहरी आबादी के लिए पार्क, खेल मैदान और मनोरंजन स्थल

    छपरा शहर तेजी से बढ़ती आबादी वाला क्षेत्र है। नगर निगम होने के साथ जनसंख्या के हिसाब से पार्क, खेल मैदान, पार्किंग और मनोरंजन स्थलों की भारी कमी है। बच्चों और युवाओं के पास खेलने के लिए सुरक्षित मैदान नहीं हैं, वहीं बुजुर्गों और महिलाओं के लिए खुले स्थानों का अभाव है। नगर निकाय और सरकार से लगातार मांग की जाती रही है कि नए पार्कों का निर्माण हो, पुराने मैदानों का संरक्षण हो और शहर में आधुनिक पार्किंग व्यवस्था विकसित की जाए। चुनावी मौसम में यह सवाल और भी तीखा हो जाता है क्योंकि आम नागरिक सीधे-सीधे रोज़मर्रा की जिंदगी में इन समस्याओं से जूझते हैं। यह मुद्दा साफ-सुथरे शहरी प्रबंधन और बेहतर नगर नियोजन की मांग करता है।

    रिविलगंज का गौतम ऋषि आश्रम व गोदना-सेमरिया मेला

    धार्मिक आस्था व सांस्कृतिक पहचान छपरा विधानसभा के बड़े अहम मुद्दे हैं। रिविलगंज स्थित गौतम ऋषि आश्रम लंबे समय से लोगों की आस्था का केंद्र रहा है। यहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, लेकिन आश्रम का विकास अपेक्षित स्तर पर नहीं हो सका है। स्थानीय नागरिकों की मांग है कि इस आश्रम को राम सर्किट से जोड़ा जाए ताकि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे धार्मिक पर्यटन का दर्जा मिल सके। वहीं, गोदना-सेमरिया मेला, जो लोक संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है, उसका भी आधुनिकीकरण जरूरी है। यदि इन दोनों को सही ढंग से विकसित किया जाए तो यह पूरा इलाका सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित हो सकता है। राजनीतिक दल इस मांग को लेकर सक्रिय हैं और जनता की उम्मीदें भी इसी पर टिकी हैं।

    जेपी के गांव सिताब दियारा तक पुल निर्माण की जरूरत

    रिविलगंज से लोकनायक जयप्रकाश नारायण के पैतृक गांव सिताब दियारा की सीधी दूरी मात्र पांच किलोमीटर है, लेकिन घाघरा नदी पर पुल न होने के कारण लोगों को यूपी के रास्ते 35 किलोमीटर की लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। पुल और सड़क का निर्माण होने से न केवल आवागमन सुगम होगा, बल्कि पर्यटन, व्यापार और आपसी संपर्क में भी तेजी आएगी। यह परियोजना क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास में मील का पत्थर साबित हो सकती है, इसलिए इसे प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाना चाहिए। जयप्रकाश नारायण का पैतृक गांव सिताब दियारा सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का प्रतीक है।

    लोगों का कहना है कि जब तक यहां तक सुगम सड़क मार्ग नहीं बनेगा, तब तक न तो पर्यटन बढ़ेगा और न ही लोकनायक से जुड़ी धरोहरों का प्रचार-प्रसार हो पाएगा। चुनावी मौसम में यह मुद्दा और अधिक प्रासंगिक हो जाता है क्योंकि जेपी की विरासत का नाम लेकर वोट तो मांगा जाता है, लेकिन उनके गांव तक सड़क बनवाने में ठोस पहल नहीं की गई।

    छपरा हवाई अड्डे को उड़ान सेवा से जोड़ना

    छपरा विधानसभा का सबसे बड़ा विकासात्मक मुद्दा है -हवाई अड्डा। वर्षों से यहां हवाई अड्डे के उन्नयन और उड़ान सेवा शुरू करने की मांग हो रही है। क्षेत्रीय नागरिकों का कहना है कि यदि यहां से घरेलू उड़ान सेवा शुरू हो जाए तो न केवल व्यापार और रोजगार को गति मिलेगी, बल्कि शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच भी आसान होगी।

    फिलहाल छपरा एवं आस-पास के जिलों के लोगों को पटना या बनारस जाना पड़ता है। यदि हवाई अड्डा शुरू होता है तो यह पूरा इलाका पूर्वांचल और उत्तर बिहार के लिए बड़ा हब बन सकता है। चुनावी मुद्दे के तौर पर यह सवाल हर बार उठता है और इस बार भी जनता की निगाह इसी पर रहेगी। छपरा विधानसभा के ये पांच प्रमुख मुद्दे जनता की भावनाओं और जरूरतों से सीधे जुड़े हुए हैं।

    एक ओर जहां विरासत, संस्कृति और धार्मिक आस्था से संबंधित प्रश्न हैं, वहीं दूसरी ओर बुनियादी ढांचे और शहरी सुविधाओं से जुड़े सवाल भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। राजनीतिक दलों के लिए चुनौती यही है कि वे इन मुद्दों को केवल चुनावी भाषण तक सीमित न रखें, बल्कि ठोस कार्ययोजना बनाकर जमीन पर उतारें।