Saran News: छह कमरों में होती है 700 बच्चों की पढ़ाई, जान हथेली पर लेकर आते हैं स्कूल आते हैं छात्र
गड़खा के मुकीमपुर उच्च माध्यमिक विद्यालय में कक्षाओं की कमी के कारण शिक्षा प्रभावित हो रही है। 700 विद्यार्थियों के लिए केवल छह कमरे हैं जिससे पठन-पाठन में बाधा आ रही है। पुराने भवन जर्जर हैं और नए भवन में जगह कम है। ग्रामीणों ने दो मंजिला भवन बनाने का सुझाव दिया है। प्रधानाध्यापक ने उच्च अधिकारियों से नए भवन के निर्माण का आग्रह किया है।
संवाद सूत्र, गड़खा। गड़खा प्रखंड के मुकीमपुर पंचायत स्थित मुकीमपुर उच्च माध्यमिक विद्यालय में शिक्षा का स्तर कक्षाओं की कमी के कारण लगातार प्रभावित हो रहा है। प्राथमिक से अपग्रेड होकर बने इस विद्यालय में आज माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर करीब 700 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं।
विद्यालय में शिक्षकों की संख्या भी पर्याप्त है। माध्यमिक स्तर पर 10 और उच्च माध्यमिक स्तर पर 15 शिक्षक कार्यरत हैं। बावजूद इसके, विद्यालय में कक्षाओं की कमी छात्रों की पढ़ाई में सबसे बड़ी बाधा बन चुकी है।
छह कमरों में 700 बच्चों की पढ़ाई
विद्यालय में फिलहाल मात्र छह कमरे हैं। मजबूरी में एक ही कमरे में दो-दो वर्गों की पढ़ाई कराई जाती है। जब एक शिक्षक पढ़ाते हैं तो दूसरे को इंतजार करना पड़ता है। इसका सीधा असर छात्रों की शिक्षा पर पड़ रहा है। पुराने भवन के कई कमरे और छत जर्जर हो चुके हैं, जिनका इस्तेमाल करना खतरे से खाली नहीं है। नए भवन में भी जगह की कमी के कारण दर्जनों बच्चों को बरामदे में बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है।
विद्यालय प्रशासन का कहना है कि यदि भवन निर्माण और मरम्मत कार्य समय पर हो जाए, तो बच्चों को बेहतर वातावरण मिल सकता है। फिलहाल, दो शिफ्ट में कक्षाएं चलाने का विकल्प तत्काल राहत का रास्ता बन सकता है।
ग्रामीणों का दर्द
शशि कुमारी का कहना है कि मिडिल स्कूल में पहले छह कमरे थे। हाई स्कूल बनने के बाद दो कमरे वहां दे दिए गए। अब 700 बच्चों और 25 शिक्षकों के लिए जगह बेहद कम है। यदि विद्यालय को दो शिफ्ट में चलाया जाए तो बच्चों की पढ़ाई सही से हो सकती है।”
अजीम ने सुझाव दिया कि स्कूल के चार जर्जर कमरों को तोड़कर यदि दो मंजिला भवन का निर्माण हो, तो 10 नए कमरे बन सकते हैं। इससे भविष्य की जरूरतें भी पूरी होंगी।
चितरंजन पांडे का कहना है कि सरकार बच्चों के लिए योजनाएं तो चलाती है, लेकिन यहां की स्थिति बेहद खराब है। गर्मी में कई बच्चे बेहोश हो जाते हैं, क्योंकि कमरे न होने से सही माहौल ही उपलब्ध नहीं है।
लखनदेव पांडेय ने कहा कि कमरों की कमी से शिक्षकों को बच्चों को बरामदे में पढ़ाना पड़ता है। बरसात या तेज धूप में बच्चे पढ़ाई छोड़कर घर लौट जाते हैं। इससे उनकी शिक्षा पर गहरा असर पड़ रहा है।
बोले प्रधानाध्यापक
विद्यालय के प्रधानाध्यापक राजीव रंजन ने भी समस्या की गंभीरता उजागर की। उन्होंने बताया कि उच्च माध्यमिक विद्यालय का अपना कोई भवन नहीं है। हमें मिडिल स्कूल से केवल दो कमरे मिले हैं, जिनमें कक्षा 9वीं और 10वीं की पढ़ाई होती है। लेकिन ग्यारहवीं और बारहवीं की कक्षाएं बरामदे में लेनी पड़ती है। छात्रों के लिए यह बेहद असुविधाजनक है।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि विद्यालय को फिलहाल दो शिफ्ट में संचालित किया जाए तो तत्काल राहत मिल सकती है। साथ ही, उच्च पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया कि विद्यालय के लिए अलग से भूमि चिन्हित कर नया भवन बनवाया जाए।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।