संस्कारशाला : भारत में माता के रूप में पूजी जाती है मातृभूमि
सारण। नागरिक होना अपने आप में गर्व की अनुभूति कराता है। एक नागरिक ही देश की संस्कृति, शिक्षा, सभ्यता
सारण। नागरिक होना अपने आप में गर्व की अनुभूति कराता है। एक नागरिक ही देश की संस्कृति, शिक्षा, सभ्यता एवं सही दिशा निर्देश देकर समाज एवं विश्व पटल पर एक विकसित, स्वच्छ एवं दूरदर्शी छवि प्रस्तुत करता है। उसकी द़ृष्टि में देश मात्र मिट्टी,जल एवं वायु ही नहीं अपितु मातृभूमि को माता के रूप में देखता है। विश्व का कोई भी ऐसा देश नहीं है जो अपनी मातृभूमि को माता के रूप में देखता है। केवल भारत के लोग ही भारत माता की वंदना करते हैं और उसकी मान-मर्यादा की रक्षा के लिए तन-मन और धन से तत्पर रहते हैं।
विश्व के किसी भी देश के नागरिक को अपने राष्ट्र के प्रति इसी प्रकार समर्पित रहना चाहिए। जो नागरिक शब्द की सार्थकता को प्रमाणित करता है। इसीलिए सुकरात ने देश के नागरिक होने के कारण अपने आदर्शों का पालन करते हुए सहज रूप से विष का प्याला पी लिया। हालांकि वह उसका प्रतिकार कर सकता था लेकिन उसने नागरिक होने के कर्तव्य का पालन करते हुए उसे स्वीकार किया।
आदर्श नागरिक स्वयं को अनुशासित रखते हैं एवं सबके लिए संवेदनशील होते हैं। प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होता है कि वह देश की एकता एवं अखंडता के लिए हर संभव प्रयास करे और लगातार ईमानदारी एवं सच्चाई पूर्वक अपने कर्तव्यों का पालन करे। तभी एक देश सफल राष्ट्र के रूप में उभरकर सामने आयेगा। जो विश्व की महाशक्ति की ओर अग्रसर होगा। आदर्श नागरिक अपने प्राप्तियों से समाज और देश को लाभांवित करने का प्रयास करता है जब वह अपने गुणों और सामर्थ्य से समाज और देश का भला करने लगता है तब हमारी नागरिकता की प्रतिष्ठा और प्रतिभा को चार चांद लग जाते है। इसके लिए देश के राष्ट्रपति महोदय को देश के सर्वोच्च नागरिक का सम्मान प्रदान किया जाता है। प्रजातंत्र की परिभाषा हमारे देश में इस प्रकार है-प्रजातंत्र अंग्रेजी भाषा के दो शब्दों डेमोस और क्रेशिया से निर्मित है। डेमोस का अर्थ जनता और क्रेशिया का अर्थ होता है शासक। इस प्रकार प्रजातंत्र का शाब्दिक अर्थ होता है जनता का शासक। प्रजातंत्र की परिभाषा अनेक विद्वानों ने भिन्न-भिन्न प्रकार से दी है। इन सभी विद्वानों में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राह्म ¨लकन द्वारा दी गयी परिभाषा सर्वोत्तम मानी जाती है।
श्रीकांत ¨सह, प्राचार्य दून सेन्ट्रल स्कूल छपरा
भारतीय होने का गर्व है
मुझे एक ऐसे देश का नागरिक होने का गर्व है जिसे विश्वगुरु कहलाने का श्रेय प्राप्त है। एक ऐसा देश जिसने अपने हजारों सालों के इतिहास में किसी पर आक्रमण नहीं किया। हम एक ऐसे देश के नागरिक हैं जहां का आदर्श वाक्य वसुधैव कुटुम्बकम है। हम संपूर्ण विश्व को एक परिवार समझते हैं। मुझे गर्व है अपने भारतीय नागरिक होने पर जहां विश्व के चार महान धर्मों-हिन्दू, बौद्ध, जैन एवं सिक्ख की उत्पत्ति हुई। मुझे अपने भारतीय होने का गर्व है क्योंकि सिर्फ मुझे स्वतंत्रता का अधिकार जैसे मौलिक अधिकार प्राप्त है। असंख्य बोलियां, संस्कृतियां, रहन-सहन, वेश-भूषा होने के बावजूद हम एक भारतीय हैं। एक भारतीय नागरिक का अपने देश के प्रति बहुत बड़ा दायित्व भी है। एक आदर्श नागरिक के रूप में हम अपने परिवार, समाज एवं राष्ट्र के प्रति उत्तरदायी है। हमें एक ऐसे देश का निर्माण करना है जिसमें भविष्य की पीढ़ी भी अपने को गौरवान्वित महसूस करे। विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र अपने भविष्य के लिए अपने नागरिकों पर निर्भर है। हमें एक ऐसे देश का निर्माण करना है जहां भविष्य के नागरिक अपने को एक भ्रष्टाचार मुक्त, स्वच्छ एवं उन्नत राष्ट्र में गर्वित महसूस करे। इस पुनीत कार्य में हम शिक्षकों की बड़ी भूमिका है। ईश्वर हमें इतनी शक्ति दे कि इस कर्तव्य का हम आजीवन निर्वहन कर अपने देश को ऐसे होनहार दे सकें जिसपर सभी को गर्व हो।
मनोरंजन कुमार, शिक्षक
देश का नागरिक होने पर गर्व होना चाहिए
हमें इस बात का गर्व है कि मैं भारत देश का नागरिक हूं। किसी भी व्यक्ति को अपने देश का नागरिक होने का गर्व होना चाहिए। क्योंकि जब तक किसी व्यक्ति को अपने देश का नागरिक होने का गर्व नहीं होगा तबतक वह अपने देश के हित की बात सोंच ही नहीं सकता है। प्रत्येक व्यक्ति को नागरिक होने का गर्व होना आवश्यक है। हम अपने आप को भाग्यशाली समझते हैं कि हम भारत जैसे विशाल देश के नागरिक हैं और हमें अपने देश की सेवा करने के लिए मौका मिला है। हमें भारत जैसे विशाल देश का नागरिक होने का इसलिए गर्व है कि इस देश में भिन्न-भिन्न जाति एवं धर्मों के मानने वाले लोग निवास करते हैं फिर आपस में एक साथ मिलकर रहते हैं यानि हमारे देश में अनेकता में भी एकता झलकती है। हमारा ही एक ऐसा देश है जहां सभी जाति एवं धर्मों के मानने वाले लोग एक साथ मिलकर रहते हैं और सबों को भारत का नागरिक होने का गर्व है। हमें अपने देश का नागरिक होने का गर्व इस बात के लिए है कि हमारे देश में सभी देवी देवता जैसे राम, कृष्ण, सीता इत्यादि ने जन्म लिया। हमारे देश में ही गौतम बुद्ध, महावीर और स्वामी विवेकानंद जैसे महान पुरुषों ने जन्म लिया। हम उस देश के नागरिक हैं जो हमेशा शांति में विश्वास करता रहा और आज तक किसी देश पर हमला नहीं किया और सबको अपना समझता रहा।
डीके सर, शिक्षक
गर्व की बात है भारत का नागरिक होना
भारत जैसे राष्ट्र का नागरिक होना अपने आप में गर्व की बात है। यह देश अनेकता में एकता का देश है। यहां तीन हजार से अधिक बोलियां बोली जाती है। यहां कई धर्मों के लोग एक साथ रहते है और सबों को समान अधिकार है। ऐसे राष्ट्र का नागरिक होना वास्तव में फक्र की बात है। पुरातन काल से हमारा देश भाई चारा का संदेश देते रहा है। यही कारण है कि भारत ने कभी किसी पर आक्रमण नही किया बल्कि जिसने आक्रमण किया उसका मुंहतोड़ जवाब भी दिया है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में जो संदेश दिया है, आज पूरा विश्व उसे आत्मसात कर रहा है। वही भगवान बुद्ध के उपदेश विदेशों में भी प्रचलित है। ऐसे में भारत का नागरिक होना हमेशा गर्व का अनुभव कराता है। यहां ऐसे श्रृषि मुनियों ने जन्म लिया जो विश्व पटल पर संदेश दिए। सबको एक आदर्श नागरिक बनने का संकल्प लेना चाहिए। व्यक्ति से ही राष्ट्र का निर्माण होता है।
अज्ञेय, छात्र
यहां हर धर्म समुदाय के लोग मिलकर रहते हैं
भारत देश अपने पुराने धर्म के लिए माना जाता। यहां हर धर्म और समुदाय के लोग मिलजुलकर रहते हैं। अपने देश की संस्कृति को आगे बढ़ाना ही एक नागरिक की पहचान है। वह प्रत्येक व्यक्ति नागरिक है जिसे सामाजिक तथा राजनीतिक अधिकार प्राप्त है। भारत देश में सभी लोग मिलजुलकर रहते हैं। एक नागरिक होने का अनुभव बहुत अच्छा होता है। एक अच्छा नागरिक अपने वातावरण को साफ-सुथरा रखता है। मैं छपरा शहर का निवासी हूं। एक अच्छा नागरिक होना बहुत ही गर्व की बात होती है। एक नागरिक जहां भी जाता है वह अपनी छाप छोड़ देता है। मैं बहुत ही खुशनसीब हूं की मैं भारत देश का नागरिक हूं। एक आदर्श नागरिक गरीबों की मदद करता है। मैं दीन दुखियों की बहुत मदद करता हूं। ये सब करके मुझे बहुत खुशी मिलती है। सिर्फ एक अच्छा नागरिक ही अपने देश की सेवा करता है। हमारे देश में बहुत सारी कुरितियां फैली है। इन सबको मिटाने के लिए एक कारगर कदम उठाना होगा।
आयुष राज, छात्र
सचमुच भाग्यशाली हूं कि मैं भारत देश का नागरिक हूं। अब सवाल उठता है कि नागरिक किसे कहते हैं? सामान्य रूप में नगर में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को नागरिक कहते हैं। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। इसलिए समाज में रहकर उसके व्यक्तित्व का चहुमुखी विकास संभव है। नागरिक वह व्यक्ति है जिसका राज्य में प्रबंध विभाग तथा न्याय विभाग में भाग लेने का पूर्ण अधिकार है। नागरिक होने के लिए हमारा सबसे पहला कर्तव्य है की हमें नगर को साफ रखना है। हमें अपने वातावरण के सभी जानवरों को प्यार से रखना चाहिए। इसलिए मुझे नागरिक होने पर गर्व है।
आशीष शर्मा, छात्र
सामान्य रूप से किसी भी नगर या शहर में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को नागरिक कहते हैं। धनवान, निर्धन, शिक्षित, अशिक्षित, स्त्री, पुरुष होना नागरिक के लिए बाधक सिद्ध नहीं होते हैं। नागरिक होने के लिए राज्य की सदस्यता, सामाजिक और राजनीतिक अधिकार तथा राज्य या देश के प्रति भक्ति भावना होना अनिवार्य है। प्रत्येक नागरिक सदैव दूसरों की भलाई करता है। मैं एक भारतीय नागरिक हूं। भारतीय नागरिक होने के नाते हमें अपने देश एवं अपने देशवासियों की हमेशा मदद करनी चाहिए। जब कभी भी अपने देश पर संकट आता है तब हमें व्यक्तिगत हितों को भूलकर अपने देश के लिए सर्वस्व अर्पित करना चाहिए।
आदित्य राज, छात्र
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