छपरा सदर अस्पताल में जर्जर भवन में रेडियोलॉजी विभाग, मरीजों की जान पर मंडरा रहा खतरा
छपरा सदर अस्पताल में सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड जैसे महत्वपूर्ण विभाग जर्जर भवन में चल रहे हैं जिससे मरीजों की जान खतरे में है। भवन की हालत इतनी खराब है कि छत का हिस्सा पहले ही गिर चुका है। विशेषज्ञ विकिरण के खतरे को लेकर भी चिंता जता रहे हैं। अस्पताल प्रशासन अस्थायी मरम्मत करके काम चला रहा है।

जागरण संवाददाता, छपरा। सदर अस्पताल, छपरा में लापरवाही का ऐसा आलम सामने आया है, जिसने मरीजों और उनके स्वजनों की चिंता बढ़ा दी है। अस्पताल के सबसे महत्वपूर्ण विभाग – सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, सोनोग्राफी और एक्स रे सेंटर – एक ऐसे पुराने और जर्जर भवन में चल रहे हैं, जिसकी हालत किसी भी समय जानलेवा साबित हो सकती है।
अस्पताल में रोजाना हजारों लोग इलाज के लिए पहुंचते हैं। इनमें से सैकड़ों मरीज जांच कराने के लिए सीटी स्कैन, एक्स रे और अल्ट्रासाउंड विभाग का रुख करते हैं। लेकिन जिस जगह पर उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलनी चाहिए, वहीं उनकी जान पर खतरा मंडरा रहा है।
भवन के मुख्य प्रवेश द्वार पर बने पोर्च की छत का बड़ा हिस्सा पहले ही गिर चुका है। यह स्पष्ट संकेत है कि इमारत बेहद कमजोर हो चुकी है और किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि रेडियोलॉजी विभाग में उपयोग होने वाली मशीनों से निकलने वाला विकिरण (रेडिएशन) पहले से ही नियंत्रित वातावरण में काम करने की मांग करता है। कमजोर दीवारें और दरारें न केवल भवन के गिरने का खतरा बढ़ाती हैं बल्कि आसपास मौजूद लोगों को विकिरण के संपर्क में लाकर सीधा खतरे में डाल सकती हैं।
स्वास्थ्य सुरक्षा के मानकों के अनुसार, इस प्रकार की जांच सुविधाएं मजबूत, सुरक्षित और पूरी तरह से सील्ड रूम में होनी चाहिए। मौजूदा हालात में मरीजों को न तो रेडिएशन से सुरक्षा मिल रही है, न ही उन्हें यह भरोसा कि जांच के दौरान छत या दीवारें उन पर न गिर पड़ें। अस्पताल के चिकित्सक और कर्मचारी भी इसी भय के साए में अपनी ड्यूटी कर रहे हैं।
जब इस गंभीर स्थिति के संबंध में अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. आरएन. तिवारी से पूछा गया तो उन्होंने स्थिति को स्वीकार किया। उन्होंने बताया कि पुराने भवन को तोड़ने की योजना पहले से ही बनी है। फिलहाल अस्थायी तौर पर मरम्मत कर इसे उपयोग में लाया जा रहा है।
नया भवन तैयार होने के बाद सभी जांच केंद्रों को वहां स्थानांतरित कर दिया जाएगा। हालांकि स्थानीय लोग और स्वास्थ्य सेवाओं के जानकार इस अस्थायी इंतजाम पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि जिस भवन की संरचना पहले से ही कमजोर और खतरनाक है, उसकी मरम्मत कर उसे उपयोग में बनाए रखना मरीजों और स्वास्थ्य कर्मियों, दोनों की जान से खिलवाड़ है।
सरकारी अस्पतालों में बुनियादी ढांचे की उपेक्षा नई नहीं है, लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं के ऐसे अहम विभाग को खतरनाक भवन में चलाना गंभीर लापरवाही का उदाहरण है।
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