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    Saran News: छपरा में हर सुबह जान पर भारी ट्रैफिक, रिहायशी इलाकों से गुजरते ट्रकों ने बढ़ाया खतरा

    Updated: Mon, 02 Jun 2025 12:43 PM (IST)

    छपरा शहर में राष्ट्रीय राजमार्ग 19 अब हादसों का रास्ता बन गया है। रात में नो एंट्री हटने से भारी वाहन तंग गलियों से गुजरते हैं जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। स्थानीय लोग नो एंट्री के प्रभावी क्रियान्वयन और एलिवेटेड रोड या बाइपास निर्माण की मांग कर रहे हैं। दैनिक जागरण इस मुद्दे को उठाकर सुरक्षित रास्ते की पहल कर रहा है।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

    प्रवीण, छपरा। छपरा शहर के बीच से होकर गुजर रहे पुराने राष्ट्रीय राजमार्ग 19 की सड़क अब सिर्फ ट्रैफिक रूट नहीं, आम लोगों के लिए एक खतरनाक चुनौती बन गई है।

    खासकर रात नौ बजे से सुबह नौ बजे तक जब नो एंट्री हट जाती है, तब भारी वाहन शहर की तंग गलियों और रिहायशी इलाकों से होकर गुजरते हैं। यह रास्ता अब हादसों का रास्ता बन चुका है।

    हर सुबह की शुरुआत डर और अनिश्चितता के साथ

    विशुनपुरा, भिखारी ठाकुर चौक, यूनिवर्सिटी, नेवाजी टोला, रामनगर, साढ़ा ढ़ाला होते हुए शहर से होकर ब्रह्मपुर की ओर या मेथवलिया की ओर जाने वाले ट्रकों की लाइनें सुबह पांच बजे से ही रिहायशी इलाकों को पार करने लगती हैं।

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    कई वाहन वहीं से शहर की ओर भी मुड़ते हैं। यह करीब आठ किलोमीटर का ट्रक रूट है, लेकिन यह शहर की तंग गलियों, स्कूलों, कालोनियों और बाजारों से होकर गुजरता है।

    सुबह की सैर पर निकले बुजुर्ग, अखबार बांटते कर्मयोगी और स्कूल जाने वाले बच्चे सभी अपनी जान जोखिम में डालकर इस रास्ते से गुजरते हैं।

    स्थानीय सब्जी विक्रेता ओम कुमार कहते हैं कि दुकान लगाने से पहले यही सोचते हैं कि कहीं ट्रक की चपेट में न आ जाएं। सड़क अब व्यापार का नहीं, डर का माध्यम बन चुकी है।

    रफ्तार और लापरवाही का खौफनाक मेल

    भारी वाहनों की तेज रफ्तार और तंग गलियों का मेल शहर के लिए जानलेवा साबित हो रही है। रिहायशी इलाकों में न स्पीड ब्रेकर हैं, न ट्रैफिक नियंत्रण की व्यवस्था है।

    कई बार वाहन बिना किसी चेतावनी के सीधे गलियों में घुस जाते हैं, जिससे हादसे टलते-टलते रह जाते हैं या कई बार हो ही जाते हैं।

    जनता की प्रमुख मांगें

    अखबार विक्रेता विनोद कुमार, संदीप कुमार, छोटू कुमार व स्थानीय लोगों की ओर से अब लगातार ये मांगें उठ रही हैं कि नो एंट्री के समय में बदलाव नहीं, बल्कि प्रभावी क्रियान्वयन और निगरानी हो। सुबह पांच बजे से से नौ बजे तक ट्रैफिक पुलिस की तैनाती सभी मुख्य चौराहों पर अनिवार्य हो।

    रिहायशी इलाकों में स्पीड नियंत्रक अवरोधक तत्काल लगाए जाएं। एलिवेटेड रोड या बाइपास निर्माण तेजी से हो। इसपर प्रशासन ठोस पहल करे। बाइपास के दोनों ओर सीमित निर्माण की नीति लागू हो, ताकि भविष्य में वहां फिर से आबादी न बसे।

    स्थायी समाधान की ज़रूरत

    विशेषज्ञों की राय है कि छपरा जैसे जनसंख्या-घनत्व वाले शहर में अब स्थायी समाधान की आवश्यकता है। शहर की संरचना को देखते हुए निर्माणाधीन एनएच सड़क जो एलिवेटेड रोड की तरह है अगर उसे जल्द बनाया जाए तो यह एक व्यवहारिक विकल्प हो सकता है।

    इसके साथ यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भविष्य में बाइपास या एलिवेटेड रोड के दोनों ओर ज्यादा बसावट न हो। सिविल अभियंता धर्मेंद सिंह की राय है कि अब डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार करने की दिशा में पहल हो और ऐसी योजना बने, जिसमें सुरक्षा, सीमित निर्माण और ट्रैफिक नियंत्रण का संतुलन हो।

    दैनिक जागरण का अभियान, जनता की आवाज़ बनेगा माध्यम

    ...ताकि सुरक्षित रहें हम अभियान के माध्यम से दैनिक जागरण यह प्रयास कर रहा है कि आम नागरिकों की चिंता और दर्द सिर्फ खबर बनकर न रह जाए, बल्कि नीति निर्माण की दिशा में पहल की जाए।

    शहर की गलियों में रफ्तार का आतंक और हर सुबह की चिंता यह अब सामान्य नहीं रह गई है। छपरा को एक वैकल्पिक और सुरक्षित ट्रक रूट की आवश्यकता है।