21 बटुकों का हुआ सामूहिक यज्ञोपवित संस्कार
अखिल भारतीय सारण जिला ब्राह्मण महासभा के तत्वावधान में रविवार को दरियापुर प्रखंड के प्रतापपुर गांव में सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार का आयोजन किया गया।
जागरण संवाददाता , छपरा : अखिल भारतीय सारण जिला ब्राह्मण महासभा के तत्वावधान में रविवार को दरियापुर प्रखंड के प्रतापपुर गांव में सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार का आयोजन किया गया। जिसमें जिले के विभिन्न स्थानों से पहुंचे 21 बटूकों को सामूहिक यज्ञोपवित उपनयन संस्कार संपन्न हुआ । वैदिक मंत्रोच्चार व अनुष्ठान के संपन्न होने के साथ 21 बटुकों को यज्ञोपवीत संस्कार के तहत जनेऊ धारण कराया गया। काशी प्रस्थान की परंपरा निभाने के तहत इन सभी बटुकों ने गुरु के आदेश पर वही शिक्षा ग्रहण करने का संकल्प लिया।
भिक्षाटन कर बटुकों ने किया गुरु को अर्पण :
यज्ञोपवीत संस्कार से पूर्व बटुकों का मुंडन करवाया गया। बाद में विधि-विधान से भगवान गणेश सहित देवताओं का पूजन, यज्ञवेदी एवं बटुकों को अधोवस्त्र के साथ माला पहनाकर बैठाया गया। इसके बाद विनियोग मंत्र ब्रह्मचर्य के पालन की शिक्षा के साथ विभिन्न धार्मिक आयोजन संपन्न हुए। गायत्री मंत्र की दीक्षा देने के बाद बटुकों ने भिक्षा लेकर गुरु को अर्पण की। इसके बाद गुरु ने उनके कानों में गुरु मंत्र दिया।
क्या है यज्ञोपवीत संस्कार :
वैदिक धर्म में यज्ञोपवीत दशम संस्कार है। इस संस्कार में बटुक को गायत्री मंत्र की दीक्षा दी जाती है और यज्ञोपवीत धारण कराया जाता है। यज्ञोपवीत का अर्थ है यज्ञ के समीप या गुरु के समीप आना। यज्ञोपवीत एक तरह से बालक को यज्ञ करने का अधिकार देता है। शिक्षा ग्रहण करने के पहले यानी, गुरु के आश्रम में भेजने से पहले बच्चे का यज्ञोपवीत किया जाता था। भगवान रामचंद्र तथा कृष्ण का भी गुरुकुल भेजने से पहले यज्ञोपवीत संस्कार हुआ था।
सारण जिला ब्राह्मण महासभा के जिलाध्यक्ष विवेकानंद तिवारी बताया कि जल्द ही महासभा के सहयोग से समाज के हर वर्ग का स्वजातिय सामूहिक एवं आदर्श विवाह का कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस पर विचार विमर्श हो रहा है।
21 आचार्यो द्वारा संपन्न कराई गई विधियां :
21 बटुकों के यज्ञोपवीत संस्कार के लिए यों तो लगभग 51 पंडितों की व्यवस्था थी, लेकिन उनकी मॉनिटरिग जिला अध्यक्ष आचार्य विवेकानंद तिवारी कर रहे थे। कार्यक्रमों में सभी ब्राह्मणों का उत्साह देखते ही बनता था। भारी गर्मी के बीच जहां हर किसी के पसीने छूट रहे थे वहीं मंत्रोच्चार द्वारा गांव का माहौल भक्ति मय बना हुआ था।