Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Saran News: प्राइवेट पार्ट काटने के मामले में महिला स्वास्थ्यकर्मी को 5 साल की सजा, अभिलाषा दोषी करार

    Updated: Mon, 13 Oct 2025 06:40 PM (IST)

    छपरा के मढ़ौरा में प्राइवेट पार्ट काटने के मामले में अदालत ने महिला स्वास्थ्यकर्मी अभिलाषा कुमारी को दोषी ठहराया। उसे पांच साल की सश्रम कारावास और छह हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। वेद प्रकाश नामक व्यक्ति ने आरोप लगाया था कि अभिलाषा ने अस्पताल में उसका प्राइवेट पार्ट काट दिया और गहने चुरा लिए। अदालत ने गवाहों और सबूतों के आधार पर यह फैसला सुनाया, जिससे क्षेत्र में चर्चा है।

    Hero Image

    जागरण संवाददाता, छपरा। सारण जिले के मढ़ौरा थाना क्षेत्र के चर्चित प्राइवेट पार्ट काटने के मामले में अदालत ने सोमवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश पुनीत कुमार गर्ग ने मढ़ौरा की एलबी. आरोग्य स्वास्थ्य निकेतन में कार्यरत महिला स्वास्थ्यकर्मी अभिलाषा कुमारी को दोषी पाते हुए पांच वर्ष के सश्रम कारावास और छह हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अदालत ने बताया कि बीएनएस की धारा 118(2) के तहत अभियुक्त को पांच साल की सश्रम कारावास और पांच हजार रुपये जुर्माना अदा करना होगा। जुर्माना नहीं देने पर अतिरिक्त छह माह की सजा भुगतनी पड़ेगी। वहीं, धारा 126(2) के तहत एक माह का कारावास और एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जिसे नहीं देने पर 15 दिन की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी।

    मामले की शुरुआत दो जुलाई 2024 को तब हुई जब मढ़ौरा निवासी वेद प्रकाश उर्फ विकास सिंह ने पुलिस को फर्द बयान दर्ज कराते हुए बताया कि एक जुलाई को सुबह करीब 10:30 बजे वह अपने घर से बाजार जा रहे थे। रास्ते में एलबी आरोग्य स्वास्थ्य निकेतन अस्पताल के पास अचानक उन्हें चक्कर आने लगा। तबीयत बिगड़ने पर वे अस्पताल पहुंचे, जहां ड्यूटी पर तैनात अभिलाषा कुमारी ने उन्हें बेड पर आराम करने को कहा और इंजेक्शन लगाया।

    वेद प्रकाश ने बताया कि इसके बाद उन्हें कुछ याद नहीं रहा। जब होश आया, तो उन्होंने खुद को छपरा सदर अस्पताल में पाया। स्वजनों से उन्हें जानकारी मिली कि महिला स्वास्थ्यकर्मी ने उनका प्राइवेट पार्ट काट दिया और साथ ही गले की सोने की चेन और मोबाइल फोन भी ले लिया था। बाद में गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें पटना रेफर कर दिया गया।

    अभियोजन पक्ष की ओर से लोक अभियोजक सर्वजीत ओझा और सहायक अधिवक्ता सुभाष चंद्र दास ने पक्ष रखा। इस दौरान डाक्टर, अनुसंधानकर्ता सहित कुल तेरह गवाहों की गवाही कराई गई। सभी साक्ष्यों और बयानों के आधार पर अदालत ने अभिलाषा कुमारी को दोषी ठहराया। पुलिस ने जांच पूरी कर 2 अगस्त 2024 को न्यायालय में अंतिम प्रपत्र समर्पित कर दिया था। इस चर्चित मामले के फैसले से क्षेत्र में काफी चर्चा है।