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    Bihar Politics: छपरा के नए जनादेश में उभरता राजनीतिक समीकरण, नोटा को मिले 4 प्रत्याशियों से अधिक वोट

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 03:51 PM (IST)

    छपरा विधानसभा चुनाव में भाजपा की छोटी कमारी ने जीत दर्ज की, जो सारण के राजनीतिक परिदृश्य में एक नया संकेत है। निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जबकि नोटा को चार प्रत्याशियों से अधिक वोट मिले, जो मतदाताओं के असंतोष को दर्शाता है। छोटी कुमारी की जीत महिला नेतृत्व के प्रति बदलते दृष्टिकोण का प्रतीक है, और यह चुनाव परिणाम सारण के बदलते राजनीतिक मानस का संकेत देता है।

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    जागरण संवाददाता, छपरा। छपरा विधानसभा क्षेत्र का चुनाव परिणाम (Chhapra Election Result 2025) इस बार केवल जीत-हार से अधिक, सारण जिले के राजनीतिक परिवेश में एक नए संकेत के रूप में देखा जा रहा है। लंबे समय से जातीय गोलबंदी की छवि के लिए चर्चित छपरा में इस बार मतदाताओं ने अपेक्षाकृत शांत और परिपक्व निर्णय दिया है।

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    भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी छोटी कमारी ने 86,845 वोट हासिल कर स्पष्ट बढ़त के साथ जीत दर्ज की, जबकि राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार भोजपुरी सिने स्टार शत्रुघ्न यादव उर्फ खेसारी लाल यादव को 79,245 वोट मिले।

    मुकाबला भले ही पारंपरिक रूप से महागठबंधन बनाम एनडीए का ही रहा हो, लेकिन परिणाम यह दर्शाता है कि मतदाताओं ने विकल्पों को गंभीरता से परखा।

    निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी दिखाया जोड़:

    छपरा में वर्षों से दो दलों के बीच सीधा संघर्ष माना जाता रहा है, लेकिन इस बार निर्दलीय और छोटे दलों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।राखी गुप्ता (निर्दलीय) ने 11,488 वोट बटोरकर यह साबित किया कि स्थानीय समीकरणों और व्यक्तिगत संपर्कों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

    राणा यशवंत प्रताप सिंह को 2,026,शेख नौसाद (आजाद समाज पार्टी) को 2,093,जय प्रकाश सिंह (जन सुराज पार्टी) को 3,433 वोट मिले।

    छोटे दलों के उम्मीदवारों ने भी कुछहद तक अपनी पहचान दर्ज कराई। मो. सुल्तान हुसैन इदरीसी ने 395,पदमा मिश्रा ने 542,राजेश कुशवाहा ने 337,ज्ञानी कुमार शर्मा (भारतीय एकता दल) ने 279 वोट हासिल किए। इन वोटों की संख्या ने चुनाव परिणाम को निर्णायक रूप से प्रभावित नहीं किया है।

    चार प्रत्याशियों से अधिक मिला नोट को मत:

    छपरा विधानसभा क्षेत्र के परिणामों ने इस बार चार प्रत्याशियों से अधिक नोटा को मत मिला है।पदमा मिश्रा (542), मो. सुल्तान हुसैन इदरीसी (395), भारतीय एकता दल के ज्ञानी कुमार शर्मा (279) और भारतीय लोक चेतना पार्टी के राजेश कुशवाहा (337) से ज्यादा नोटा को 2,706 वोट मिले। जो मतदाताओं के असंतोष और विकल्पों की कमी की ओर संकेत करता है।

    भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार छोटी कमारी ने 86,845 वोट हासिल करते हुए जीत का परचम लहराया। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रीय जनता दल के शत्रुघ्न यादव को 79,245 वोट मिले, जिससे मुकाबला पूरी तरह द्विपक्षीय रहा।

    सारण की राजनीति में महिला प्रतिनिधित्व 1957 की गूंज:

    छपरा की राजनीति में महिला नेतृत्व का इतिहास बेहद सीमित रहा है। 1957 के विधानसभा चुनाव में सुंदरी देवी पहली महिला विधायक बनी थीं, जिसने उस समय पूरे बिहार के राजनीतिक विमर्श को नई दिशा दी थी। इसके बाद लंबे अंतराल तक किसी प्रमुख दल ने यहां से महिला चेहरा उतारने की हिम्मत नहीं की।

    भाजपा ने एक बार पुनः महिला प्रत्याशी को टिकट देकर परंपरा तोड़ी थी,लेकिन वह कोशिश सफल नहीं हुई। इस बार छोटी कुमारी को मिली जीत ने एक नई मिसाल पेश की है कि मतदाता दृष्टिकोण बदल रहा है और सारण जैसे पारंपरिक राजनीतिक भूगोल में भी अब महिला नेतृत्व स्वीकार्य और प्रभावी हो रहा है।

    सारण का बदलता राजनीतिक मानस:

    सारण लंबे समय से जातीय समीकरणों की कठोर परतों में बंधा माना जाता रहा है, लेकिन इस विधानसभा में हुए मतदान ने यह साफ कर दिया कि मुद्दे, विकास, नेतृत्व की विश्वसनीयता और क्षेत्रीय सक्रियता अब अधिक निर्णायक होते जा रहे हैं।

    छोटी कमारी की जीत सिर्फ भाजपा की जीत नहीं, बल्कि उन स्थानीय अपेक्षाओं की भी जीत है, जो सरकार और विधायक से लगातार संवाद और परिणाम चाहती हैं। दूसरी ओर, आरजेडी उम्मीदवार शत्रुघ्न यादव को मिला वोट यह बताता है कि पार्टी का कोर आधार अब भी मजबूत है, बस दिशा और गति की जरूरत है।

    आगे की राजनीति सारण में नए समीकरणों की दस्तक:

    यह चुनाव परिणाम स्पष्ट संदेश देता है कि सारण अब पुराने ढर्रे से बाहर निकल रहा है। यहां की नई पीढ़ी, नगरीकरण, शिक्षा का विस्तार और इंटरनेट मीडिया की सक्रियता ने राजनीतिक समझ को बदल दिया है।

    भविष्य में सारण जिले की राजनीति में महिला नेताओं की बढ़ती भागीदारी, दलों में नए चेहरों की तलाश और विकास-आधारित राजनीति का दायरा और मजबूत होने की संभावना है।

    छपरा का यह जनादेश इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह केवल एक सीट का फैसला नहीं बल्कि सारण के बदलते राजनीतिक मानचित्र का संकेत है।