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    जयप्रकाश विश्वविद्यालय में शिक्षा व्यवस्था बदहाल, हजारों विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटका

    Updated: Thu, 18 Sep 2025 03:47 PM (IST)

    सारण के जयप्रकाश विश्वविद्यालय की स्थापना उच्च शिक्षा के लिए हुई थी लेकिन तीन दशक बाद भी यह अपने उद्देश्य से भटक गया है। छात्रों को नामांकन छात्रावास और नियमित सत्र जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। रोजगारपरक कोर्स की हालत भी खस्ता है। बावजूद इसके उच्च शिक्षा चुनावी मुद्दा नहीं बन पाता।

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    सारण में उच्च शिक्षा का ढांचा चरमराया। फाइल फोटो

    अमृतेश, छपरा। सारण जिले में उच्च शिक्षा को नई दिशा देने के लिए 1990 में जयप्रकाश विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी। उद्देश्य था कि छपरा, सिवान और गोपालगंज के हजारों छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बेहतर अवसर मिल सके।

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    लेकिन स्थापना के तीन दशक से अधिक समय बाद भी विश्वविद्यालय अपेक्षित स्वरूप नहीं ले पाया है।वर्तमान में इस विश्वविद्यालय से जुड़े लगभग 80 हजार विद्यार्थी उच्च शिक्षा प्राप्त करने में लगातार परेशानियों का सामना कर रहे हैं।

    नामांकन संकट व महाविद्यालयों की कमी

    प्रमंडल में महाविद्यालयों की कमी सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। इंटर पास करने के बाद बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं का नामांकन ही नहीं हो पाता।

    स्थिति यह है कि सारण जिले में केवल एक महिला महाविद्यालय है, जिसके कारण ग्रामीण अंचल की छात्राएं उच्च शिक्षा से वंचित हो रही हैं।

    छात्रावास व नियमित सत्र का अभाव

    महाविद्यालयों में छात्रावास की व्यवस्था नहीं होने से दूर-दराज के विद्यार्थियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

    वहीं विश्वविद्यालय का सत्र वर्षों से नियमित नहीं चल रहा। त्रिस्तरीय स्नातक कोर्स को पूरा करने में छात्रों को सामान्य तीन वर्षों की बजाय पांच साल तक का समय लग जाता है।

    रोजगारपरक कोर्स की दुर्दशा

    विश्वविद्यालय में रोजगारपरक कोर्स की स्थिति और भी खराब है। तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा की दिशा में ठोस पहल नहीं की गई है।

    नतीजतन स्नातक पूरा करने के बाद भी छात्र रोजगार के अवसरों से वंचित रह जाते हैं। सारण प्रमंडल का सरकारी बीएड कॉलेज भी समस्याओं से जूझ रहा है।

    मान्यता से जुड़ी अड़चन के कारण पिछले दो सत्रों से नामांकन ही नहीं हो पाया है। उच्च शिक्षा का यहां ठप पड़ना हजारों अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ के समान है।

    बंद पड़ा गंगा सिंह लॉ कॉलेज

    प्रमंडल का एकमात्र गंगा सिंह विधि महाविद्यालय भी लंबे समय से बंद पड़ा है। इसके दोबारा संचालन की दिशा में विश्वविद्यालय स्तर पर कोई गंभीर प्रयास नहीं किए गए।

    इससे आसपास के विद्यार्थियों के लिए विकल्प और सीमित हो गए हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने बीते एक वर्ष में आधा दर्जन से अधिक विश्वविद्यालयों के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए।

    दावा किया गया कि इससे छात्रों को नए अवसर मिलेंगे। लेकिन हकीकत यह है कि अब तक एक भी छात्र इन समझौतों का लाभ नहीं उठा पाया है। दूसरी ओर, इन एमओयू पर लाखों रुपए खर्च कर दिए गए, जिससे विद्यार्थियों का आक्रोश और गहरा गया है।

    शिक्षा मुद्दा क्यों नहीं बनता चुनाव में?

    इतनी बड़ी समस्याओं के बावजूद सारण जिले में उच्च शिक्षा का सवाल विधानसभा चुनाव में अब तक बड़ा मुद्दा नहीं बन पाया है। प्रमंडल के 80 हजार से अधिक विद्यार्थी वोट देने के बाद भी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

    जेपी विश्वविद्यालय में शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिये बहुत काम हुए हैं, लेकिन अभी स्थानीय स्तर पर सुधार की जरूरत है। विश्वविद्यालय की पहचान बनाने के लिए सत्र नियमित करना होगा। इस दिशा में ठोस प्रयास होनी चाहिए। न छात्रावास बना, न ही रोजगारपरक कोर्स शुरू हुए हैं। सारण प्रमंडल में नए महाविद्यालय और तकनीकी संस्थान खुलना चाहिए। - विशाल कानोडिया, विभाग सह संयोजक, विद्यार्थी परिषद

    एमओयू और फर्जी योजनाओं में लाखों खर्च कर दिए जाते हैं लेकिन गरीब और ग्रामीण छात्रों को पढ़ाई का अधिकार नहीं मिलता। विश्वविद्यालय का सत्र नियमित नहीं होने के कारण विद्यार्थी प्रतियोगिता परीक्षा का फार्म नहीं भर पा रहे हैं। विश्वविद्यालय में शैक्षणिक एवं प्रशासनिक अराजकता का माहौल है। - उज्ज्वल कुमार सिंह, संयोजक,आरएसए

    छात्र राजद उच्च शिक्षा के सवाल को चुनावी मुद्दा बनाने का काम करेगा। महिला महाविद्यालयों की कमी से बेटियां उच्च शिक्षा से वंचित हैं। बीएड कॉलेज में दो साल से नामांकन बंद है। यह छात्रों के भविष्य के साथ अन्याय है। राजद सरकार बनी तो सारण प्रमंडल में नए महाविद्यालय, छात्रावास और नियमित सत्र की गारंटी दी जाएगी। - अविनाश कुमार, अध्यक्ष, छात्र राजद

    वर्तमान सरकार ने पिछले वर्षों में विश्वविद्यालय में कई सुधारात्मक कदम उठाए हैं। आधा दर्जन से अधिक विश्वविद्यालयों के साथ एमओयू कर छात्रों के लिए नए अवसर खोले गए हैं। कोरोना एवं मान्यता संबंधी तकनीकी कारणों से कुछ सत्र प्रभावित हुए, लेकिन सरकार लगातार प्रयासरत है। - राहुल यादव, विश्वविद्यालय अध्यक्ष, छात्र जदयू