Bihar Rain: लगातार बारिश से फिर डूबा छपरा, प्रशासन ने पिछली त्रासदी से नहीं लिया सबक
छपरा शहर में लगातार बारिश के कारण जलभराव की स्थिति गंभीर हो गई है। अक्टूबर में हुई पिछली त्रासदी से सबक न लेने के कारण प्रशासन की लापरवाही उजागर हुई है। शहर के मुख्य रास्ते और बाजार जलमग्न हैं, जिससे लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। रेलवे स्टेशन से लेकर अस्पताल तक पानी भरा हुआ है, और प्रशासनिक भवन भी जलजमाव से प्रभावित हैं।

जलमग्न हुआ सारण समाहरणालय। (जागरण)
जागरण संवाददाता, छपरा। अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह में तीन और चार तारीख के दौरान रात में हुई चक्रवाती बारिश ने छपरा शहर को जिस तरह जलभराव की भयावह स्थिति में धकेल दिया था, वह प्रशासन के लिए एक गंभीर चेतावनी थी।
उस समय कई इलाकों में पानी घुसने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया था। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि जिम्मेदार विभागों ने न तो उस अनुभव से सबक लिया और न ही कोई स्थायी समाधान की दिशा में कदम उठाया।
इसका खामियाजा अब 30 अक्टूबर से लगातार हो रही बारिश के बाद दोबारा सामने आ चुका है। शहर के लगभग सभी प्रमुख रास्ते और बाजार जलजमाव से कराह रहे हैं। लोगों में यह कहावत आम हो गई है कि 'छपरा में रहना है तो छप-छप करना ही होगा।'

योगिनियां कोठी सड़क पर भारी जलजमाव से रोड डिवाइडर बह कर किनारे लगे हुए।
स्थिति यह है कि रेलवे स्टेशन परिसर से लेकर सदर अस्पताल के सामने तक पानी ही पानी नजर आ रहा है। एलआईसी कार्यालय के सामने वाली डाक बंगला सड़क, म्युनिसिपल चौक से नगर थाना चौक जाने वाली सड़क, म्युनिसिपल चौक से योगिनियां कोठी मार्ग, इन सभी स्थानों पर गाड़ियों की रफ्तार थम गई है और पैदल चलना तक मुश्किल हो गया है।
भरत मिलाप चौक के पास दरोगा राय जाने वाली सड़क भी पूरी तरह जलजमाव की चपेट में है। शहरवासियों का कहना है कि नगर निगम और संबंधित विभाग केवल कागजी तैयारी करते हैं, जमीनी व्यवस्था हर बार की तरह इस बार भी नदारद रही।
गंभीर बात यह है कि जलजमाव से प्रशासनिक व्यवस्था के केंद्र भी अछूते नहीं रहे। सारण समाहरणालय परिसर, जहां जिले के शीर्ष अधिकारी डीएम और एसपी के कार्यालय स्थित हैं, वहां भी पानी भर गया। हालात ऐसे रहे कि कर्मचारियों को पम्पिंग सेट लगाकर पानी निकालने की व्यवस्था करनी पड़ी।

सारण समाहरणालय से पम्पिंग सेट लगाकर पानी निकालते कर्मी।
जब प्रशासनिक भवन ही सुरक्षित नहीं, तो आम नागरिकों की बस्तियों और बाजारों की स्थिति का सहज अनुमान लगाया जा सकता है।
कुल मिलाकर, छपरा फिर एक बार उसी जल त्रासदी को झेलने को मजबूर है जिसने कुछ ही सप्ताह पहले सबकुछ ठप कर दिया था। शहरवासियों का कहना है कि जब तक नालों की नियमित सफाई, जल निकासी प्रणाली का दुरुस्तीकरण और आपदा प्रबंधन की ठोस रूपरेखा नहीं बनेगी, तब तक हर बारिश छपरा को इसी तरह डुबोती रहेगी।
प्रशासन की उदासीनता और तैयारी के अभाव ने शहर को दोबारा जलमग्न कर दिया है, और यह सरकार व स्थानीय निकायों की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।

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