Bihar Politics: सारण कांग्रेस अध्यक्ष बच्चू प्रसाद बीरू का इस्तीफा, महागठबंधन पर फूटा गुस्सा
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सारण जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बच्चू प्रसाद बीरू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने महागठबंधन पर कांग्रेस के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है, खासकर सारण जिले में। बीरू ने कहा कि जिले के दस विधानसभा क्षेत्रों में से एक भी कांग्रेस को नहीं दिया गया, जिससे कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। उन्होंने दलितों और अल्पसंख्यकों की उपेक्षा का भी आरोप लगाया है।

सारण कांग्रेस अध्यक्ष बच्चू प्रसाद बीरू का इस्तीफा, महागठबंधन पर फूटा गुस्सा
जागरण संवाददाता, छपरा। बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) के बीच कांग्रेस को सारण जिले से बड़ा झटका लगा है। सारण जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बच्चू प्रसाद बीरू ने अपने पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
उन्होंने अपना त्यागपत्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को भेजते हुए आरोप लगाया कि महागठबंधन में कांग्रेस के साथ लगातार भेदभाव हो रहा है और सारण जैसे महत्वपूर्ण जिले की उपेक्षा की गई है।
बीरू ने पत्र में लिखा है कि सारण जिले के दस विधानसभा क्षेत्रों में से किसी एक से भी कांग्रेस को टिकट नहीं दिया गया। 2020 के चुनाव में भी यही स्थिति रही थी और 2025 में भी पार्टी को नजरअंदाज किया गया है।
उन्होंने कहा कि इस फैसले से जिले के कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों में भारी आक्रोश है। जिलाध्यक्ष ने यह भी कहा कि महागठबंधन में इस बार दलित, अल्पसंख्यक और अतिपिछड़ा वर्ग की भी घोर उपेक्षा की गई है, जिससे इन वर्गों में गहरी नाराजगी है।
चाय की दुकानों पर गर्म बहस जारी
विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, बनियापुर की सियासी हवा धीरे-धीरे करवट ले रही है। अब गांव-गांव, चौक-चौराहों और चाय की दुकानों पर चुनावी चर्चा का माहौल चरम पर है। चेतन छपरा चौक की चाय दुकान पर शाम के समय राजनीति की गर्माहट चाय की भाप से भी ज्यादा तेज दिखी। यहां स्थानीय लोगों की मंडली में इस बार बातचीत का केंद्रबिंदु रहा—“आंकड़े और संभावनाएं।”
चाय की चुस्कियों के साथ हर कोई अपने-अपने अंदाज में भविष्यवाणी कर रहा था। एक ओर चाय के कप से उठती भाप थी, तो दूसरी ओर नेताओं की उम्मीदों का धुआं हवा में घुला था। इसी बीच रामजी साह ने कहा कि इस बार कौन जीतेगा, यही देखना दिलचस्प रहेगा। सबने वादा किया, लेकिन काम किसी ने नहीं किया।
चर्चा का रंग तब और गहरा गया जब सुनील ठाकुर ने बीच में बोलते हुए कहा, “देख लीजिए, पूर्व विधायक ने दल बदलकर इस बार अच्छी टक्कर दी है, माहौल कुछ और बन रहा है। उनकी बात पर सबकी हंसी छूट गई, लेकिन बहस खत्म नहीं हुई। सुनील ने फिर जोड़ा कि यहां एक आमद बाबा का मंदिर है, जो वहां पहुंच गया, वही विजयी होता है। बातचीत में बीर बहादुर, बालमुकुंद, राबिन मिश्रा, मुरलीधर राय, कमला प्रसाद समेत कई मतदाता शामिल रहे। सभी ने अपने-अपने दृष्टिकोण से संभावित परिणामों का विश्लेषण किया।
हर गुजरते दिन के साथ बनियापुर की राजनीतिक हवा का रुख बदलता दिखाई दे रहा है। जनता के बीच उम्मीदवारों के काम, पार्टी की नीतियां और स्थानीय मुद्दे चर्चा के केंद्र में हैं। अब देखना यह है कि आंकड़ों की इस जंग में कौन आगे निकलता है और किसकी गणना अधूरी रह जाती है—यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
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