भोजपुरी साहित्य को नई दिशा देने वाली कृति का लोकार्पण, छपरा में जुटे दिल्ली-बनारस तक के दिग्गज साहित्यकार
छपरा में भोजपुरी साहित्य को नई दिशा देने वाली एक कृति का लोकार्पण हुआ। दिल्ली और बनारस से आए साहित्यकारों ने कृति को सराहा और इसे भोजपुरी साहित्य के लिए महत्वपूर्ण बताया। यह कृति भोजपुरी भाषा और साहित्य को बढ़ावा देने में सहायक होगी।

छपरा में भोजपुरी साहित्य की नई कृति का हुआ लोकार्पण। फोटो जागरण
जागरण संवाददाता, छपरा। हबीब भोजपुरी विकास मंच एवं सारण जिला भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को भोजपुरी आश्रम मन्नत स्थित हबीब हाल में मशरक निवासी आचार्य शुभ नारायण सिंह ‘शुभ’ की महत्वपूर्ण कृति आधुनिक भोजपुरी साहित्य के इतिहास का भव्य लोकार्पण एवं सम्मान समारोह सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन बिहार विधान परिषद के सदस्य प्रो. डॉ. वीरेंद्र नारायण यादव ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
मंच पर मुख्य अतिथि के रूप में शांति जैन महाविद्यालय सासाराम के प्राचार्य एवं पूर्व महामंत्री प्रो. डॉ. गुरु चरण सिंह ‘गुरु’ तथा विशिष्ट अतिथि के तौर पर डॉ. हरेंद्र सिंह, प्रो. डॉ. लालबाबू यादव, कथाकार कृष्ण कुमार, गीतकार कुमार अजय सिंह, कृष्णानंद कृष्णनेंदु, डॉ. एके. अल्वी और मूंगालाल शास्त्री उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता ब्रजेंद्र कुमार सिन्हा ने की, जबकि संयोजन एवं मंच संचालन नामचीन शायर डॉ. ऐनुल बरौलवी ने किया।
समारोह में सभी अतिथियों को अंगवस्त्र और माल्यार्पण कर सम्मानित किया गया। उद्घाटनकर्ता प्रो. डॉ. यादव ने कहा कि आचार्य शुभ नारायण सिंह ‘शुभ’ की यह कृति भोजपुरी साहित्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है और आने वाली पीढ़ियां इसे संदर्भग्रंथ के रूप में याद करेंगी। लोकार्पण के दौरान उपस्थित विद्वानों ने पुस्तक की साहित्यिक महत्ता पर अपने-अपने विचार रखे।
मुख्य अतिथि प्रो. गुरु चरण सिंह ‘गुरु’ ने पुस्तक को भोजपुरी की प्राचीनता और आधुनिकता का संतुलित दस्तावेज बताते हुए शोधार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी बताया। प्रो. लालबाबू यादव ने इसे भोजपुरी का अनमोल एवं ऐतिहासिक ग्रंथ करार दिया। डॉ. जौहर शफियाबादी ने कहा कि यह कृति आचार्य शुभ की साहित्यिक तपस्या का परिणाम है, जिसने उन्हें भोजपुरी जगत में अमर कर दिया।
दिल्ली, बनारस, देवरिया, आरा, सासाराम, गोपालगंज, सिवान, हाजीपुर, पटना समेत कई शहरों से आए कवियों, साहित्यकारों एवं विद्वानों की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई।
समारोह में भोजपुरी साहित्य में अनुकरणीय योगदान देने वाले कई विद्वानों और कवियों को अंगवस्त्र, माला और सम्मान-पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अंत में संयोजक सुरेश कुमार चौबे ने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों के प्रति आभार प्रकट किया।

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