आसमान में बिजली कड़कते ही हो जाएं सावधान
छपरा। बारिश या मानसून में बिजली कड़कना या गिरना आम बात है। इससे बचने के लिए स्वयं की सावधानी ही जा ...और पढ़ें

छपरा। बारिश या मानसून में बिजली कड़कना या गिरना आम बात है। इससे बचने के लिए स्वयं की सावधानी ही जान बचा सकती है। हालांकि आपदा विभाग द्वारा लोगों को जागरूक करने के लिए प्रत्येक वर्ष प्रचार-प्रसार कराया जाता है। लेकिन लोग बारिश के दौरान पेड़ के नीचे छुप जाते हैं। जिससे आकाशीय बिजली के चपेट में वे आ जाते हैं।
आकाशीय बिजली गिरने की घटना को लोग प्राकृतिक घटना मानकर इस पर ज्यादा कुछ कहने में खुद से समझौता कर लेते हैं। कोई भी बिजली गिरना या कड़कना तो नहीं रोक सकता हैं, लेकिन कुछ सावधानिया बरत कर कम से कम इससे होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम जरूर कर सकता है।
क्यों गिरती है आकाशीय बिजली
जानकार बताते हैं कि आसमान में विपरीत एनर्जी के बादल हवा से उमड़ते-घुमड़ते रहते हैं। ये विपरीत दिशा में जाते हुए आपस में टकराते हैं। इससे होने वाले घर्षण से बिजली पैदा होती है और वह धरती पर गिरती है। आसमान में किसी तरह का कंडक्टर न होने से बिजली धरती पर कंडक्टर की तलाश में पहुंच जाती है, जिससे नुकसान पहुंचता है। धरती पर पहुंचने के बाद बिजली को कंडक्टर की जरूरत पड़ती है। लोहे के खंभों के अगल- बगल से जब आकाशीय बिजली गुजरती है तो वह कंडक्टर का काम करता है। उस समय कोई व्यक्ति यदि उसके संपर्क में आता है तो उसकी जान तक जा सकती है। बिजली चमकने के दस सेकेंड के बाद उसकी आवाज सुनाई देती है।
खराब हो जाते हैं टिशूज, शरीर पर पड़ता है प्रभाव
आसमान से गिरने वाली बिजली का असर मानव शरीर पर कई गुना होता है। गंभीर बर्न होने से टिशूज खराब हो जाते हैं। उन्हें आसानी से ठीक नहीं किया जा सकता है। बिजली का असर नर्वस सिस्टम पर पड़ता है और हार्ट अटैक होने से मौत हो जाती है। इसके असर से शारीरिक अपंगता का खतरा होता है। बिजली गिरने के दौरान सीधे संपर्क में आने वाले अधिकतर लोगो की मौत हो जाती है।
इस तरह से बचे आकाशीय बिजली से
बिजली मिस्त्री से कहकर घर में तड़ित आघात (यह एक प्रकार का एंटीना होता है, जो बिजली के दौरान अर्थिग का काम करता है) लगवाना चाहिए। जिससे बिजली गिरते से बचाव होता है।
इस तरह से बरतें सावधानी
- आंधी तूफान आते ही घर में रखे टीवी, रेडियो, कंप्यूटर सहित सभी का मोडम और विद्युत प्लग निकाल देना चाहिए।
- घर में सारे पर्दे लगा देने चाहिए।
- घर में विद्युत सप्लाई को बंद कर देना चाहिए।
- इस दौरान मोबाइल यूज करने से बचना चाहिए।
- उस समय नंगे पैर फर्श या जमीन पर कभी खड़े ना रहें।
- बिजली उपकरणों से दूर रहना चाहिए।
- जब बादल का गर्जन हो तो उस समय अगर घर के अंदर हैं तो घर के अंदर ही रहना चाहिए।
- बिजली पैदा करने वाली चीजों से दूरी बनाकर रहे।
- पेड़ के नीचे या खुले मैदान में जाने से बचे।
- खुले मैदान में होने पर किसी भवन में छिपने की कोशिश करना चाहिए।
- गीले कपड़ों की वजह से व्रजपात का असर कम हो जाता है।
- आकाशीय बिजली का तापमान सूर्य की ऊपरी सतह से भी ज्यादा होता है।
- बिजली मिली सेकेंड से कम समय के लिए ठहरती है।
- यदि बिजली किसी व्यक्ति पर गिरती है तो सबसे ज्यादा असर उसके सिर, कंधे और गले पर होता है।
- बिजली गिरने की सबसे अधिक संभावना दोपहर के वक्त होती है।
- बिजली का असर महिलाओं से ज्यादा पुरुषों पर होता है।
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जिले में दो माह के अंदर हो चुकी पांच की मौत
आकाशीय बिजली गिरने के कारण जिले में दो माह के अंदर पांच लोगों की मौत हो चुकी है। आपदा के दौरान हुई मौत के कारण इनके आश्रितों को चार-चार लाख रुपये अनुग्रह राशि दिया जा चुका है। वहीं वर्ष 2015 में बिजली गिरने से सात लोग तथा वर्ष 2014 में बिजली गिरने से करीब पांच लोगों की मौत हो चुकी है।
इस संबंध में आपदा प्रभारी ने बताया कि इससे बचाव के लिए बराबर प्रचार प्रसार कराया जाता है। बिजली का जब गर्जन हो तो खुद सावधान हो जाना चाहिए। तभी इससे बचाव हो सकता है। इससे बचने के लिए कुछ निजी अस्पतालों व स्कूलों में तड़ित लगाया गया है। लेकिन लोगों ने अपने घरों में नहीं लगवाया है।

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