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    प्राचीन ग्रंथों को आत्मसात कर आनंद प्राप्ति का करें प्रयास : कुलपति

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 18 Mar 2021 10:43 PM (IST)

    ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि वेद उपनिषद रामचरितमानस और अन्य प्राचीन भारतीय ग्रंथों में काफी ज्ञान है और इससे लाभान्वित होकर हम जीवन में आनंद प्राप्ति का प्रयास कर सकते हैं।

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    प्राचीन ग्रंथों को आत्मसात कर आनंद प्राप्ति का करें प्रयास : कुलपति

    समस्तीपुर । ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि वेद, उपनिषद, रामचरितमानस और अन्य प्राचीन भारतीय ग्रंथों में काफी ज्ञान है और इससे लाभान्वित होकर हम जीवन में आनंद प्राप्ति का प्रयास कर सकते हैं। तरह-तरह की कामनाओं की चर्चा करते हुए कुलपति ने कहा कि कामनाओं की पूर्ति से आनंद की प्राप्ति होती है लेकिन पूर्णता प्राप्त करना तब भी कठिन ही होता है। पूर्णता और स्थायी आनंद के लिए हमें अपने अंदर झांकना चाहिए। मैं कौन हूं यह जानने की कोशिश करनी चाहिए। समस्तीपुर कॉलेज, समस्तीपुर में मनोविज्ञान विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय सेमिनार का उद्घाटन करते हुए कुलपति ने उक्त बातें कहीं। मुख्य वक्ता अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रो. शमीम अहमद अंसारी ने कहा कि जीवन में खुशी हासिल करने के लिए यह जरूरी है कि हर कोई अपने जीवन में कोई न कोई लक्ष्य रखे। लक्ष्य जीवन की दिशा निर्देशित करने और सफलता की प्राप्ति में निश्चित रूप से सहायक होती है साथ ही खुशी की नियामक होती है। हर किसी को खुद सोचना है कि उसे क्या चाहिए। उन्होंने व्यक्तित्व के महत्व को भी रेखांकित किया और कहा कि अपने व्यक्तित्व का विकास हमलोगों पर ही निर्भर है। व्यक्ति का आचरण बहुत ही महत्वपूर्ण है। जीवन के प्रति आपका दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है और इसपर बहुत कुछ आपकी खुशी निर्भर है। उन्होंने दूसरों के प्रति सकारात्मक ²ष्टिकोण रखे जाने की वकालत की। औद्योगिक एवं संगठनात्मक मनोविज्ञान के विद्वान बनारस हिदू विश्वविद्यालय (बीएचयू ) के प्रोफेसर डॉ. संदीप कुमार ने कहा कि मानव संबंध को समझना और उसे महत्व देना खुशी प्राप्त करने के लिए अत्यावश्यक है। नैतिकता, आध्यात्मिकता, कल्याण, सुख एवं आनंद की विस्तृत चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह नितांत आवश्यक है कि हम अपने जीवन में सकारात्मक चीजों को ही स्थान दें और निरंतर उसे विकसित करने की कोशिश करें। उन्होंने स्पष्ट किया कि अपने सुख के भागी हम खुद हैं। सुख प्राप्त करने के लिए मानव संबंधों को मजबूती प्रदान करना आवश्यक है। हम तरह-तरह से सुख प्राप्त करने की कोशिश कर सकते हैं लेकिन सबसे जरूरी है कि हम मानव एका का विचार विकसित करें। यह निश्चित रूप से खुशी प्रदान करेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य डॉ. मीना प्रसाद ने की। संचालन डॉ. सच्चिदानंद तिवारी और डॉ. एसबीके शशि ने किया। कार्यक्रम संयोजिका सह स्थानीय महाविद्यालय मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. साधना कुमारी शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। तकनीकी सत्र में कई पत्र प्रस्तुत हुए। सेमिनार के उद्घाटन सत्र में काफी संख्या में छात्र-छात्राओं, शोधार्थी व शिक्षाविद मौजूद रहे।

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