ईएनटी पर प्रदूषण और एलर्जी का व्यापक असर, बचाव और परहेज जरूरी
सर्दी की शुरुआत होते ही नाक कान एवं गला संबंधी बीमारियां बढ़ जाती हैं। लोग सबसे अधिक एलर्जी (गले में संक्रमण) से परेशान होते हैं। चिकित्सक कहते हैं कि अगर एलर्जी है तो डाइट में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएं। दरअसल सर्दी में लोग कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन अधिक लेते हैं जो इन दिनों समस्या पैदा करती है।
समस्तीपुर । सर्दी की शुरुआत होते ही नाक, कान एवं गला संबंधी बीमारियां बढ़ जाती हैं। लोग सबसे अधिक एलर्जी (गले में संक्रमण) से परेशान होते हैं। चिकित्सक कहते हैं कि अगर एलर्जी है तो डाइट में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएं। दरअसल, सर्दी में लोग कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन अधिक लेते हैं जो इन दिनों समस्या पैदा करती है। कान, नाक और गला शरीर के प्रमुख अंग हैं। लेकिन, आमतौर पर आदमी इन अंगों के प्रति बेपरवाह होता है। जिसके कारण अलग-अलग बीमारियों से जूझना पड़ता है। प्रदूषण का भी इनपर व्यापक असर पड़ता है। कान दर्द होने पर तेल डालना, गेंदा की पत्ती का रस डालना, लकड़ी से खुजलाना या अन्य कई चीजें डालने का प्रचलन है, यह घातक हैं। नाक में अक्सर लोग उंगली डालते हैं, यह परेशानी का सबब बन जाता है। नाक से खून आना, मांस बढ़ना आदि समस्या आ सकती है। गला को दुरस्त रखने के लिए धूम्रपान, ठंडा पानी खतरनाक है। प्रदूषण से बचना जरूरी है। ये बातें सदर अस्पताल के नाक, कान एवं गला (ईएनटी) विशेषज्ञ डॉ. सैयद मेराज इमाम ने बताईं। वे शुक्रवार को प्रश्न पहर में पाठकों की समस्या का समाधान कर रहे थे।
--------------------
नाक से खून आने पर तत्काल कराएं इलाज
ठंड के मौसम में नाक से खून निकलने की समस्या बढ़ जाती है। नाक में कई प्रकार की रक्त वाहिकाएं होती हैं। यह रक्त वाहिकाएं बहुत नाजुक होती हैं और पतली झिल्ली से ढंकी होती है। जिस पर नाखून या अन्य प्रकार की चोट से जैसे जोर से नाक साफ करने या एलर्जी के कारण झिल्ली फट जाती है एवं खून आने लगता है।
--------------------
चिकित्सक की सलाह
- अस्थमा, किडनी और दिल के मरीज धुंध और कोहरे में घर से बाहर न निकलें।
- चूल्हे पर महिलाएं खाना न बनाएं। सर्दी में सीओपीडी की समस्या हो सकती है।
- वातावरण को शुद्ध रखने के लिए कूड़ा, लकड़ी और टायर न जलाएं। इससे सांस लेने की तकलीफ बढ़ती है।
- धूल और धुआं से बचने के लिए मॉस्क का उपयोग करें।
---------------------------
प्रश्न : कान में दर्द से से पीड़ित हूं। पिछले छह महीने से गले में भी खराश की बीमारी है ? - राजेश कुमार, मोहनपुर।
उत्तर : कान में सूखापन ज्यादा होने से चमड़ी झड़ती है। कान में माचिस की तीली नहीं डालनी चाहिए। इससे पर्दे में छेद हो जाता है। कान में पानी नहीं जाए, इसपर भी ध्यान देने की जरूरत है। नहाने से पहले रूई में नारियल या सरसों का तेल डालकर कान में रखनी चाहिए।
---------------------------
प्रश्न : सात साल का पुत्र है। गला फूल गया है, जिस कारण काफी परेशानी हो रही है? - राजीव कुमार झा, मुसरीघरारी
उत्तर : गला फूलने का मतलब गलसोथ होता है। इसमें बच्चे को ठंड से बचाव कराना होगा। साथ ही, घर के दूसरे बच्चे में यह फैल सकता है। ईएनटी विशेषज्ञ से दवा लेकर सलाह लेनी चाहिए। दवा चलने के बाद एक सप्ताह में ठीक हो जाता है। गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारा करना चाहिए। प्रश्न : गले में 25 दिनों से दर्द, गरारा करने से लाभ नहीं मिल रहा है।-सुमन कुमार, ताजपुर।
उत्तर : प्रथम दृष्टया टांसिल्स लग रहा है। गरारा करते रहें। दवाएं किसी ईएनटी की मदद से लें। मौसम में बदलाव के कारण से एलर्जी की वजह से इंफेक्शन हो जाता है। इसके अलावा दही, केला, ठंडा पानी का सेवन करने से परहेज करना चाहिए। प्रश्न : पांच साल के पुत्र को टायफायड के बाद सुनाई देना कम हो गया है। -धर्मेद्र कुमार, सिघिया।
उत्तर : बुखार के बाद नसें सूख जाती हैं। जिससे समस्या आती है। ऑपरेशन से मदद मिलती है। प्रश्न : मिर्च मसाले खाने से खराश हो जाती हैं। गले के पिछले हिस्से में दर्द होता है। - राजेंद्र कुमार, मोहनपुर।
उत्तर : पहली समस्या में एलर्जी है। दूसरे में स्पांडलाइटिस हो सकती है। जांच के उपरांत ही कोई रास्ता निकल सकता है। प्रश्न : साइनस की समस्या के साथ एक्सीडेंट हो गया। सांस लेने में दिक्कत आ रही है।-ईशा कुमारी, ताजपुर।
उत्तर : कई जांचें होंगी। बताए गए लक्षणों के आधार पर ऑपरेशन ही रास्ता बचता है। प्रश्न : 15 साल के बेटे को तीन साल से जुकाम रहती है। आवाज भी मोटी होती जा रही है। - राम कुमार राय, खानपुर।
उत्तर : ठंड से बचाव करें, जहां भी इलाज करें वहां पूरा कोर्स करें। प्रश्न : कान की खुजली से परेशान हैं। एक साल से नहीं जा रही है। - जय प्रकाश, खानपुर।
उत्तर : सिर में रूसी होने पर कान में खुजली होती है। किसी ईएनटी विशेषज्ञ को दिखाएं। प्रश्न : बाएं कान में भारीपन रहता है। पीछे दर्द रहता है, सुनाई भी कम देता है। -दिलीप कुमार, वारिसनगर।
उत्तर : ठंड के कारण भी ऐसा होता है। जांच कराएं। निवारण के लिए एंटीबायोटिक और नेसल ड्रॉप लाभप्रद होगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।