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    मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य आत्मानुभूति

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 07 Mar 2018 03:00 AM (IST)

    प्रखंड के बसढिया पंचायत के काली चौक पर चल रहे श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन मंगलवार को कथा वाचन करते हुए वृंदावन के भागवत ¨ककर योगेश प्रभाकर जी महाराज ने कहा कि विरक्ति वह है जो संसार में रहते हुए, समस्त कार्य करते हुए भी उनमें आसक्त ना हो।

    मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य आत्मानुभूति

    समस्तीपुर। प्रखंड के बसढिया पंचायत के काली चौक पर चल रहे श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन मंगलवार को कथा वाचन करते हुए वृंदावन के भागवत ¨ककर योगेश प्रभाकर जी महाराज ने कहा कि विरक्ति वह है जो संसार में रहते हुए, समस्त कार्य करते हुए भी उनमें आसक्त ना हो। जगत में गहरी आसक्ति ही दु:ख का एवं जगदीश में आसक्ति ही आनंद का कारण है। संत का स्नेह एवं कोप दोनों ही सुखकारक है। यदि राजा परीक्षित को श्राप ना लगा होता तो उन्हें संत सुकदेव द्वारा भागवत की प्राप्ति नहीं होती। मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य आत्मानुभूति है। जिसने आत्म साक्षात्कार कर लिया, उसके लिए फिर पाना कुछ शेष नही रह जाता। जब तक हम सत्य को नही जानते तब तक आत्मानुभूति होना असंभव है। आतनुभूति का अर्थ है अपने आत्म स्वरूप का ¨चतन करना। मैं कौन हूं, मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है। आत्मानुभूति से मनुष्य की आंतरिक शक्तियां विकसित होने लगती है। जो मनुष्य जितना अधिक आत्म ¨चतन करता है उसकी शक्तियां उतनी अधिक जागृत होती है। एक दिन वह मानव दिव्य शक्तियों का स्वामी बन जाता है। लेकिन यह दिव्य भाव जीवन में जागृत होना कठिन है। यज्ञ दर्शन, परिक्रमा, कथा श्रवण से जीव दिव्य भाव से भावित हो जाता है। भाव जब दिव्य होगा तो हृदय की नकारात्मक ऊर्जा स्वत: ही समाप्त हो जाएगी। जिस मानव ने स्वयं को जान लिया उसके सारे कष्टों की निवृति हो जाती है। राजा परीक्षित ने भागवत कथा के माध्यम से जीव, आत्मा, ब्रह्म माया, प्रकृति के स्वरूप को जाना और मोक्ष पद को प्राप्त किया। भागवत में कपिल माता देवदुति को बताते है मां संसार दुखालय है। संयम संयुक्त साधक एक दिन अवश्य साधना के माध्यम से साध्य को प्राप्त करता है। अल्पायु में धुर्व जी महाराज ने साधना के माध्यम से साध्य को प्राप्त कर लिया। वर्तमान युग में तनाव मानव जीवन की सबसे बड़ी समस्या है। तनाव से मुक्ति के सत्संग, ध्यान, योग की क्रिया के माध्यम से ही सम्भव हैं। परमात्मा श्री कृष्ण के लीला दर्शन से जीवन में पूर्णता आती है। वेद ध्वनि के श्रवण से जीवन मे सकरात्मक विचार उत्पन्न होते है। मौके पर यज्ञ आयोजन में यज्ञ समिति के अध्यक्ष ललित कुमार, सचिव शंकर साह, अशोक दास, सुशील राय, सूरज कुमार, विजय शर्मा, चन्दन कुमार, सज्जन कुमार, सपन कुमार, राकेश कुमार राय, अमरनाथ कुमार, चंदन कुमार, बाबू साहब के साथ साथ सैकड़ों महिला और पुरूष श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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