प्रशासनिक सक्रियता से 'बालिका वधू' बनने से बची किशोरी
उजियारपुर प्रखंड की परोरिया पंचायत में एक बालिका का विवाह शनिवार को रोक दिया गया। महिला विकास निगम एवं समाज कल्याण विभाग तथा एक्शन एड व यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में समस्तीपुर जिले में बाल विवाह उन्मूलन के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत विवाह को रोका गया।

समस्तीपुर । उजियारपुर प्रखंड की परोरिया पंचायत में एक बालिका का विवाह शनिवार को रोक दिया गया। महिला विकास निगम एवं समाज कल्याण विभाग तथा एक्शन एड व यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में समस्तीपुर जिले में बाल विवाह उन्मूलन के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत विवाह को रोका गया। बताया गया है कि उजियारपुर प्रखंड के परोरिया पंचायत के वार्ड संख्या 10 स्थित रामटोला में एक 14 वर्षीय नाबलिग लड़की जो गांव के स्कूल में ही छठे वर्ग में नामांकित है, उसकी शादी बेगूसराय के गायना गांव के लड़के के साथ 7 दिसंबर को होनी तय थी। रविवार को पूजा मटकोर होना था। इसी बीच सूचना मिलते ही बीडीओ विजय कुमार ठाकुर, जिला समन्वयक अरविद कुमार, मुखिया श्रीराम साह उर्फ मनोज कुमार, पूर्व मुखिया कृष्णदेव राय, विकास मित्र ओम प्रकाश राम के सहयोग से नाबालिग की शादी रोकी गई। वहीं पदाधिकारियों एवं समाजिक लोगों के समक्ष नाबालिग के पिता ने 18 वर्ष पूरा होने के बाद ही अपनी पुत्री की शादी करने का स्वीकारोक्ति लिखित बयान दिया। मौके पर प्रखंड समन्वयक राजगीर कुमार और सुषमा सिंह भी थी। वार्ड 10 के उपस्थित ग्रामीणों के बीच जिला समन्वयक, एक्शन एड अरविन्द कुमार के द्वारा बाल विवाह के दुष्परिणामों, बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रावधानों की चर्चा की तथा बताया कि बाल विवाह में किसी भी प्रकार से शामिल व्यक्तियों को 2 वर्षों तक का कारावास और 1 लाख रुपये तक के अर्थदंड का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि बाल विवाह में जाने वाले बाराती, पंडित, मौलाना, टेन्ट हाऊस, खाना बनाने वाले कैटरर और यहां तक कि शादी का कार्ड छापने वाले प्रेस वाले भी दोषी माने जायेंगे। चर्चा के क्रम में उन्होंने लड़कियों के लिए सरकार द्वारा चलाये जा रहे महत्वाकांक्षी योजना ''मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना'' के तहत 21 किश्तों में लड़कियों को मिलने वाले 52 हजार 1 सौ रुपये देने की जानकारी भी दी गई।
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