Samastipur News : सदर अस्पताल के ओपीडी में टीबी संक्रमण का खतरा
समस्तीपुर सदर अस्पताल के ओपीडी में सामान्य मरीजों के साथ टीबी मरीजों का इलाज होने से संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। टीबी वार्ड त्वचा वार्ड के सामने ही बना है, जिससे अन्य रोगियों को भी खतरा है। चिकित्सक की अनुपस्थिति और एक ही जगह पर रजिस्ट्रेशन होने से स्थिति और गंभीर हो गई है। जिला टीबी सेंटर खोलने की प्रक्रिया चल रही है, और मरीजों को मास्क लगाने के लिए जागरूक किया जा रहा है।

सदर अस्पताल के ओपीडी में टीबी के साथ अन्य वार्ड के मरीज। जागरण
प्रकाश कुमार, समस्तीपुर। समस्तीपुर सदर अस्पताल के ओपीडी में सामान्य के साथ टीबी मरीजों का भी इलाज किया जाता है। अस्पताल प्रशासन ने ओपीडी में प्रथम तल पर स्कीन वार्ड के सामने ही टीबी वार्ड बना दिया है।
वहीं सर्जरी, आंख, डेंटल, ईएनटी, पैथोलाजी लैब व अन्य विभाग के मरीज टीबी मरीजों के आसपास ही कतारबद्ध होने को मजबूर हैं। इससे उनमें संक्रमण का खतरा रहता है। ऐसे में यदि आप सदर अस्पताल में किसी दूसरी बीमारी का इलाज कराने गए हो तो सावधान हो जाइए, क्योंकि हो सकता है कि यहां से आप टीबी की बीमारी साथ लेकर जाएं।
क्योंकि यहां के ओपीडी में सामान्य मरीजों के साथ टीबी मरीजों का भी इलाज किया जा रहा है। जबकि, ऐसे मरीजों का इलाज अलग जगह पर करना है। सामान्य मरीजों के आसपास टीबी मरीज भी लाइन में खड़े रहते हैं। उनके बोलने, खांसने या छींकने से हवा में टीबी के कीटाणु डेढ़ मीटर तक फैलते हैं।
टीबी वार्ड के बदले सामान्य वार्ड में मिल रहा परामर्श
सदर अस्पताल के ओपीडी में संचालित टीबी कक्ष में महीनों से चिकित्सक की ड्यूटी नहीं लगी है। सिविल सर्जन ने जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी को ही जिला यक्ष्मा पदाधिकारी की भी जिम्मेदारी दे दी है। इसके अलावा भी अन्य विभागों की जिम्मेवारी दी गई है। ऐसे में एक साथ अधिक महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेवारी संभालना उनके लिए चुनौती से कम नहीं है।
ओपीडी में टीबी विभाग में चिकित्सक की ड्यूटी नहीं लगती है। ऐसे में ओपीडी कक्ष में खुर्सी खाली रहती है। जिस कारण टीबी के मरीजों का सामान्य विभाग में ही इलाज किया जाता है। इससे सामान्य ओपीडी में इलाज कराने वाले मरीज भयभीत रहते है। ऐसे में प्रशासनिक लापरवाही के कारण टीबी मुक्त भारत बनाना किसी चुनौती से कम नहीं है।
ओपीडी में सामान्य व टीबी मरीज का एक साथ होता है रजिस्ट्रेशन
आउटडोर विभाग में प्रतिदिन 700 से अधिक मरीजों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है। सुबह 8.30 से दोपहर 12.30 बजे तक रजिस्ट्रेशन काउंटर खुला रहता है। रजिस्ट्रेशन कराने में टीबी मरीज भी घंटों लाइन में खड़े रहते हैं। इनमें वे भी मरीज शामिल हैं जो मल्टी ड्रग रेसिस्टेड (एमडीआर) टीबी से ग्रसित हैं।
ऐसे मरीजों को खुले में खांसने एवं छींकने से टीबी के कीटाणु हवा में उड़ते हैं और सामान्य मरीजों को टीबी का मरीज बना रहे हैं। ऐसे में ओपीडी में इलाज कराने आए मरीजों को भी टीबी का संक्रमण हो सकता है। हालांकि, सामान्य मरीजों ने अभी तक इस ओर ध्यान नहीं दिया है।
वर्जन
समस्तीपुर में जिला टीबी सेंटर खोलने की प्रक्रिया है। इसको लेकर विभागीय स्तर पर प्रक्रिया चल रही है। जगह की कमी की वजह से परेशानी हो रही है। समस्तीपुर शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के सामान्य ओपीडी में टीबी मरीज के इलाज की व्यवस्था की गई है। टीबी मरीजों को नियमित रूप से दवा दी जा रही है। मरीज को मास्क लगाकर आने के लिए जागरूक किया जाता है।
डा. विशाल कुमार, जिला यक्ष्मा पदाधिकारी, समस्तीपुर।

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