धरोहर को समझने और संजोने की शुरुआत अपने पड़ोस व गांव से करें, समस्तीपुर में कार्यशाला
समस्तीपुर के राम निरीक्षण आत्मा राम महाविद्यालय में विश्व धरोहर सप्ताह के उपलक्ष्य में एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुरारी कुमार झा ने 'आर्कियोलाजिकल और कल्चरल हेरिटेज आफ मिथिला' पर व्याख्यान दिया। उन्होंने धरोहर को समझने और संरक्षित करने के महत्व पर जोर दिया और छात्रों को अपने आसपास की धरोहरों को जानने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अपने शोध के अनुभवों को भी साझा किया।

राम निरीक्षण आत्मा राम महाविद्यालय में विश्व धरोहर सप्ताह पर व्याख्यान का आयोजन। जागरण
जागरण संवाददाता, समस्तीपुर। SamastipurNews: राम निरीक्षण आत्मा राम महाविद्यालय में इतिहास विभाग द्वारा विश्व धरोहर सप्ताह के उपलक्ष्य में व्याख्यान का आयोजन किया गया।
व्याख्यान के लिए प्राचीन भारतीय इतिहास, पुरातत्व और संस्कृति के पीएचडी शोधार्थी मुरारी कुमार झा को आमंत्रित किया गया। प्रधानाचार्य प्रोफेसर दिलीप कुमार ने अतिथि का माला से स्वागत किया। साथ ही मिथिला पेंटिंग भेंट की।
संचालन इतिहास विभाग के छात्र कन्हैया कुमार गुप्ता ने किया। इतिहास विभागाध्यक्ष डा. दीपक कुमार नायर ने अतिथि का परिचय प्रस्तुत किया। शोधार्थी ने आर्कियोलाजिकल और कल्चरल हेरिटेज आफ मिथिला : न्यू डिस्कवरीज पर व्याख्यान दिया।
धरोहर को समझने, उसे संरक्षित करने के महत्व पर जोर दिया। साथ ही पुरातात्विक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने छात्र-छात्राओं से संवाद करते हुए कहा कि धरोहर को समझना और संजोने की शुरुआत अपने गांव और आसपास से ही होती है।
गांव के नाम, पुराने स्थल, पुराने अवशेष के संबंध में जिज्ञासा और उत्सुकता ही हमें धरोहर को समझने में आगे का मार्ग प्रशस्त करती है। उन्होंने कहा कि वे अपने शोध के लिए साधन के रूप में साइकिल का प्रयोग करते हैं और दूर-दूर तक यात्रा करते हैं।
एक लाख किलोमीटर की यात्रा करने के बाद उन्होंने साइकिल को हवाई जहाज और सफर को हवाई सफर की संज्ञा दी। इस दौरान उन्होंने एक दिन में बीस घंटे में 310 किलोमीटर की यात्रा का एक कीर्तिमान भी बनाया।
धरोहर दिवस 2024 में प्रदर्शनी में वस्तुए प्रदर्शित करने वाले छात्रों को प्रमाण पत्र दिया गया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन पूर्व छात्र चंदन कुमार ने किया। मौके पर डा. संजय कुमार महतो, आईक्यूएसी कार्डिनेटर संतोष कुमार, प्रो. चंद्रशेखर सिंह, डा. राजीव रोशन, डा. अर्चना कुमारी, मोहम्मद जियाउल हक, डा. विनय कुमार सिंह, डा. स्मिता कुमारी, डा. दीपान्विता, डा. बीरेंद्र कुमार दत्ता, डा. प्रमोद कुमार, डा. प्रेमलता शर्मा, डा. प्रतिमा प्रियदर्शिनी, डा. प्रणति, डा. जयचंद्र झा, डा. उमाशंकर, डा. अभिनव साकेत, डा. निकेंद्र कुमार, डा. राम कुमार रमन, डा. गुड़िया कुमारी, लाइब्रेरियन सुश्री श्वेता आदि उपस्थित रहे।
800 पुरातात्विक स्थलों का किया अध्ययन
पावर प्वाइंट प्रस्तुति में उन्होंने अपने विस्तृत कार्य में से कुछ अवशेषों के चित्र प्रस्तुत कर उनकी विशेषता और महत्व के बारे में बताया। जिसमें टेराकोटा मृण्मूर्तियां, पाषाण प्रतिमाओं के अवशेष, अभिलेख, वास्तु अवशेषों के अनुसंधान और संरक्षण शामिल रहे।
धरोहर के बारे में शिक्षित करने और जब भी प्राचीन मूर्तियां लोगों को तालाब में या भूमि पर बालू या मिट्टी खनन के दौरान मिलती है तो उन्हें लोगों को समझा कर मूर्ति को संरक्षण के लिए संग्रहालय में भेजा जाता है।
ऐसी दर्जनों मूर्तियां संग्रहालय में संरक्षित की जा चुकी हैं। मिथिला क्षेत्र में लगभग 800 पुरातात्विक स्थलों का अध्ययन और दस्तावेजीकरण किया।

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