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    Samastipur News: सावन पंचमी को यहां लगती सांपों की प्रदर्शनी, गले में लपेट करतब दिखाने की अनूठी परंपरा

    Updated: Mon, 14 Jul 2025 04:50 PM (IST)

    Sawan 2025 बूढ़ी गंडक नदी से संपेरे विषधर निकालते हैं। साधारण रूप से सर्प से डरने वाले बच्चे नाग को गले में लपेटते लेते हैं। इस अवसर पर जिन लोगों की मन्नत पूरी हो चुकी होती है वे विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। इस अवसर पर दूध और लावा चढ़ाने की परंपरा है।

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    गले में लपेट कर करतब दिखाते श्रद्धालु। जागरण

     विनय भूषण, विभूतिपुर (समस्तीपुर)। Sawan 2025: सावन की पंचमी तिथि को समस्तीपुर के विभूतिपुर और खानपुर में सांपों का मेला लगता है। यह ऐसा अनोखा मेला है, जहां संपेरे (स्थानीय नाम भगत) नदी से सांप निकालकर लोगों को दिखाते और करतब भी करते हैं।

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    विभूतिपुर प्रखंड से होकर बहने वाली बूढ़ी गंडक नदी के सिंघियाघाट में प्रत्येक वर्ष सावन की पंचमी को सांपों का मेला लगता है। संपेरे नदी में डुबकी लगाकर सांप निकालते हैं, लोगों को दिखाते हैं। हाथों में रखते हैं, गले में लपेटते हैं, दांतों में दबाते हैं। इस दौरान ये सांपों को किसी प्रकार से नुकसान न हो, इसका ध्यान रखा जाता है। मेले को देखने के लिए देश भर से लोग पहुंचते हैं।

    पंचवटी चौक स्थित भगवती मंदिर के भगत रामबाबू महतो उर्फ राम सिंह बताते हैं कि नागपंचमी मेले का इतिहास करीब 300 वर्ष पुराना है। उस वक्त सड़क से पूरब तरफ विषहरी देवी का एक गहबर होता था। वहां फतुरी भगत ने घास-फूस (कुश) का हरहरा सांप (सांप की प्रजाति) बनाकर पूजा-अर्चना करते हुए नागपंचमी मेले की शुरुआत की थी। धीरे-धीरे वास्तविक सांप के साथ पूजा-अर्चना होने लगी।

    वर्ष 1951 में राम गुलाम सेठ ने जमीन दी तो रामप्रताप महतो व नुनू महतो ने चंदा इकट्ठा कर भगवती स्थान मंदिर बनवा दिया। उस वक्त आठ-दस सांप निकाले जाते थे। धीरे-धीरे संख्या बढ़ती गई और मेले का स्वरूप विस्तृत होता गया। अब यहां हरहरा, करैत, अधसर, गेहुंअन, धामन आदि प्रजाति के सांप निकाले जाते हैं। ऐसी धारणा है कि मन्नत पूर्ण होने पर श्रद्धालु सांप को देवता मानकर दूध, लावा, प्रसाद और गहबरों में झांप चढ़ाते हैं।

    अब यहां मूर्ति स्थापित करा दी गई है। पूजा से पहले स्थल की साफ-सफाई और रंग-रोगन होता है। सावन के प्रथम पक्ष में चतुर्थी की रात्रि में जगरना पूजा और अगले दिन पंचमी के दिन दोपहर बाद नदी स्नान व सांप निकाले जाते हैं।

    राम सिंह कहते हैं कि सांपों के साथ करतब दिखाने वाली इनकी सातवीं पीढ़ी है। वर्ष 2007 से बूढ़ी गंडक नदी से सांप निकाल रहे। हैं पंचवटी चौक से राम सिंह, भगवती स्थान बांध किनारे से सुरेश पासवान, भीड़ी पर से मिंटू पासवान और सिंघियाघाट यादव टोल के निकट रेलवे मैदान से भोगीलाल पासवान गहबर से निकलते हैं और गंडक नदी में स्नान के बाद सांप निकाल प्रदर्शन करते हैं। इनका कहना है कि सांपों को जहर मुक्त कर घड़ा या टोकरी में रखा जाता है। नागपंचमी के दिन प्रदर्शन होता है। उसके बाद उन्हें जंगल या पानी में छोड़ दिया जाता है।

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