स्मार्ट खेती की ओर बड़ा कदम, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा अपना रहा AI और डिजिटल तकनीक
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, आधुनिक तकनीक का उपयोग कर डेटा आधारित निर्णय लेने की दिशा में अग्रसर है। विश्वविद्यालय ने एनआइटी ...और पढ़ें

फसल उत्पादन बढ़ाने के साथ संसाधनों का बेहतर प्रबंधन संभव हो सकेगा। फाइल फोटो
मुकेश कुमार, समस्तीपुर। Central Agricultural University Pusa: खेती-बाड़ी में आधुनिक तकनीकों के उपयोग से सटीक और स्मार्ट कृषि को बढ़ावा देने की दिशा में डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा लगातार नए प्रयोग कर रहा है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), बिग डेटा, ड्रोन और जीपीएस जैसी तकनीकों को अपनाकर विश्वविद्यालय डेटा आधारित कृषि निर्णय प्रणाली विकसित कर रहा है, जिससे फसल उत्पादन बढ़ाने के साथ संसाधनों का बेहतर प्रबंधन संभव हो सकेगा।
विश्वविद्यालय में खेत से लेकर बाजार तक की पूरी मूल्य शृंखला को तकनीक से जोड़ने पर जोर दिया जा रहा है। इसी क्रम में सटीक कृषि और स्मार्ट फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए एनआईटी पटना के साथ डिजिटल एग्रीकल्चर के क्षेत्र में शिक्षा, अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास को लेकर एमओयू किया गया है। इसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में नवाचार को गति देना है।
इसके अलावा कृषि उत्पादों की पैकेजिंग और मार्केटिंग के लिए एग्री वेंचर फार्म एंड ऑर्गेनिक लिमिटेड के साथ, जबकि शिक्षक और छात्र आदान-प्रदान के लिए जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय (उत्तर प्रदेश) के साथ भी समझौता किया गया है। आने वाले दिनों में यह पहल किसानों और छात्रों दोनों के लिए डिजिटल कृषि के क्षेत्र में नई संभावनाएं खोलेगी।
खेत में खुद पहुंचेगी खाद और पानी
केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के इंजीनियरिंग विभाग के वैज्ञानिकों ने एक अत्याधुनिक स्वचालित यंत्र विकसित किया है, जो पौधों की जरूरत के अनुसार यूरिया खाद को सीधे जड़ तक पहुंचाने में सक्षम है। यह सेंसर आधारित उपकरण खेत में घूमकर यह पहचान करता है कि किस पौधे को कितनी मात्रा में खाद की आवश्यकता है और उसी अनुपात में स्वतः खाद की आपूर्ति करता है।
इस तकनीक से किसानों को खाद डालने में लगने वाला समय और श्रम काफी कम हो जाएगा। यंत्र पूरी तरह स्वचालित है और इसमें रिमोट कंट्रोल विकल्प भी उपलब्ध है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह स्मार्ट डिवाइस पौधों की स्थिति का आकलन कर सटीक मात्रा में यूरिया पहुंचाता है, जिससे खाद की बर्बादी भी रुकेगी। इस यंत्र के पेटेंट की प्रक्रिया चल रही है और भविष्य में इसे किसानों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।
डिजिटल तकनीक से बदलेगी खेती की तस्वीर
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पीएस पांडेय ने बताया कि कृषि क्षेत्र में एआई और आईओटी जैसी उन्नत तकनीकों का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है। इनका उपयोग ड्रोन आधारित फसल निगरानी, सेंसर आधारित सिंचाई, जलवायु-स्मार्ट ग्रीनहाउस, एआई आधारित कीट प्रबंधन और सटीक खेती में किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के राष्ट्रीय अंतर-विषयी साइबर-भौतिक प्रणाली मिशन (एनएम-आईसीपीएस) के तहत कृषि नवाचार के लिए देशभर में कई प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र स्थापित किए गए हैं। आईआईटी खड़गपुर का एआई4आईसीपीएस केंद्र फसल पूर्वानुमान और उत्पादकता विश्लेषण के लिए एआई समाधान विकसित कर रहा है। साथ ही गतिशील फसल-मौसम कैलेंडर के लिए सॉफ्टवेयर भी तैयार किया गया है।
विश्वविद्यालय डिजिटल कृषि को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह सक्रिय है और इन तकनीकों को आम किसानों तक पहुंचाने की दिशा में लगातार प्रयास कर रहा है।

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