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    Samastipur News : किसान की समस्याओं को चिह्नित कर वैज्ञानिक करें अनुसंधान

    By Purnendu Kumar Edited By: Dharmendra Singh
    Updated: Mon, 17 Nov 2025 07:03 PM (IST)

    समस्तीपुर में कृषि विज्ञान केंद्र, पूसा में किसान-वैज्ञानिक संवाद आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों की समस्याओं की पहचान कर वैज्ञानिक समाधान खोजना था। किसानों ने फसल रोग, कीट प्रबंधन और मिट्टी की उर्वरता जैसी समस्याओं पर चर्चा की। वैज्ञानिकों ने अनुसंधान के महत्व पर जोर दिया और किसानों को सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया।

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    संबोधन करते कुलपति एवं वैज्ञानिक। जागरण

    संवाद सहयोगी, पूसा ( समस्तीपुर )। डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के विद्यापति सभागार में सोमवार को क्षेत्रीय अनुसंधान एवं प्रसार सलाहकार की बैठक (2025-26) हुई।

    बैठक में विश्वविद्यालय अंतर्गत सभी कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी एवं केंद्र से जुड़े दो किसान एवं बिहार सरकार के कृषि पदाधिकारी मौजूद रहे। बैठक में उत्तर बिहार के विभिन्न जिलों से आए किसानों ने अपनी समस्याओं को रखा। कुलपति डा. पीएस पांडे ने अपने संबोधन में कहा कि किसानों की समस्याओं को चिह्नित कर विज्ञानी उन समस्याओं पर अनुसंधान कार्य करेंगे और पुनः उसे किसानों को सौंपेंगे।

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    जिससे किसानों की समस्याओं का समाधान किया जा सके। कुलपति ने कहा कि किसानों के द्वारा इस बैठक में दी गई समस्या को विश्वविद्यालय ने बहुत गंभीरता से लिया है और इस पर जल्द ही का कार्य प्रारंभ किया जाएगा। विश्वविद्यालय अपनी अनुसंधान कृषि विज्ञान केंद्र को देगी और वहां से किसानों तक पहुंचाया जाएगा। इसमें प्रसार कार्यकर्ताओं की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।

    बिहार के कृषि रोड मैप में किसानों के द्वारा सुनाई गई समस्या अगर नहीं है तो इसे जोड़ा जाएगा एवं सरकार से साझा किया जाएगा। कुलपति ने विज्ञानियों से कहा कि विश्वविद्यालय फार्म में एवं किसानों के खेतों में लगाए गए आन फार्म डेमोस्ट्रेशन में फसल उत्पादन की क्षमता में अंतर क्यों होती है हमें इस पर भी चिंतन मंथन करने की जरूरत है।

    कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय की बीज काफी मशहूर है। हमें बीज के क्षेत्र में बिहार के किसानों को स्वावलंबी बनाना होगा। उन्होंने नेचुरल फार्मिंग पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत बताई। उन्होंने यह भी कहा कि हमें अभी आलू की बीज उपलब्धता ,हॉर्टिकल्चर, मखाना, पपीता, इन सभी क्षेत्रों में बहुत कार्य करने की जरूरत है।

    मौके पर प्रसार शिक्षा निदेशक डा. रत्नेश झा ने बैठक के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की एवं पूर्व के बैठक मेरे लिए गए निर्णय और उसे पर हुए कार्यों की भी समीक्षा की गई। मौके पर निदेशक अनुसंधान डा. एके सिंह, डीन पीजी डा. मयंक कुमार, गन्ना अनुसंधान केंद्र निदेशक डा. देवेंद्र सिंह, बीज निदेशक डा. डीके राय, डा. पीपी सिंह, डा. आर के तिवारी, डा. दिव्यांशु शेखर सहित कृषि विज्ञान केंद्र के भी कई अधिकारी मौजूद रहे।

    बैठक में किसानों के द्वारा सुनाई गई समस्या

    सलाहकार समिति की बैठक में पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, वैशाली के किसान सच्चिदानंद सिंह, रविंद्र सिंह, विजयलक्ष्मी, रविकांत झा, रीना देवी, महेश्वर ठाकुर ने बताया कि उत्तर बिहार में किसानों के लिए नीलगाय एक समस्या बनी हुई है वही आलू का शुद्ध बीज नहीं मिल पाता है।

    बीज की उपलब्धता को सरल बनाया जाए कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से वही बागवानी में पेड़ सूखने एवं विभिन्न बीमारी पकड़ता पौधों में लगता है। गाजर घास की समस्या गन्ने में भी पत्ता पीले होने की शिकायत, मोती उत्पादन का प्रशिक्षण, मिर्च एवं टमाटर के पौधों के पत्ते का सिकुरन सहित कई समस्या किसानों ने कुलपति एवं विज्ञानियों के बीच रखा। इसपर कुलपति ने समस्याओं को समाधान करने का आश्वासन दिया। मंच संचालन डा. विनीता सतपती ने किया।