Samastipur News: सालभर में तीन भ्रष्ट पदाधिकारियों को निगरानी ने दबोचा, कार्रवाई जारी
समस्तीपुर में निगरानी विभाग ने एक साल में तीन भ्रष्ट अधिकारियों को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। इन गिरफ्तारियों से सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, समस्तीपुर। एक साल के भीतर निगरानी विभाग की टीम ने जिला में तीन पदाधिकारियों को घूसखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया। उनके पास से ली गई रिश्वत की रकम भी बरामद की। ताजा मामला दलसिंहसराय से सामने आया है। मामला सामने आने बाद एक बार फिर से भ्रष्टाचार की कहानी हर जुबान पर है। सभी सरकारी दफ्तरों में घूसखोरी की दस्ता बयां कर रहे।
लोग कह रहे कि कार्रवाई के बावजूद भी यह थमने का नाम नहीं ले रही। अब भी पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तरीय सरकारी दफ्तरों में यह खेल जारी है। निगरानी ने इस साल तीन-तीन कार्रवाई की। इसमें कृषि विभाग और स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों से लेकर पुलिस थाना की जिम्मेदारी निभाने वाली दरोगा भी शामिल रही।
यह पहला मौका था जब राज्य में किसी महिला थानाध्यक्ष को रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया। उससे पहले महज एक शव वाहन के चालक से मानदेय भुगतान के लिए महज चार हजार रूपये की रकम रिश्वत लेते सदर अस्पताल के स्वास्थ्य मैनेजर पकड़े गए। लगातार निगरानी की कार्रवाई के बाद भी यह थम नहीं रहा।
सरकारी दफ्तरों में घूसखोरी की यह कोई पहली कहानी नहीं है। इससे पहले भी कई पदाधिकारियों और पुलिस कर्मियों को रिश्वतखोरी के आरोप में पकड़ा जा चुका है। दलसिंहसराय में गिरफ्तारी का मामला स्थानीय प्रशासन और कृषि विभाग के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
बाजार समिति के निवासियों और दुकानदारों में इस गिरफ्तारी को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिली है। कुछ लोग इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत प्रतिक्रिया मान रहे हैं, वहीं कुछ प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं। इस घटना ने स्थानीय प्रशासन की छवि को काफी धक्का पहुंचाया है।
दलसिंहसराय में लंबे समय से बाजार समिति के भीतर अवैध रूप से सब्जी व फल दुकान निर्माण को लेकर चल रहे विवादों और रिश्वतखोरी की बात लगातार उठती रही है।
प्रमोद कुमार सिंह ने कहा कि वह प्रशासन से अनुरोध करते हैं कि ऐसे भ्रष्टाचार के मामलों को सख्ती से जांचा जाए और दोषियों को उचित सजा मिले ताकि भविष्य में अन्य पदाधिकारी भी अपने दायित्वों को ईमानदारी से निभाएं। उन्हें उम्मीद है कि उनकी शिकायत पर कड़ी कार्रवाई करके प्रशासन ने एक मिसाल कायम की है। निगरानी विभाग की इस कार्रवाई से इलाके में हड़कंप मच गया है।
कार्रवाई के बावजूद सिस्टम में घर कर चुका भ्रष्टाचार:
निगरानी विभाग की सख्त कार्रवाई और एक के बाद एक हो रही गिरफ्तारियों के बावजूद सरकारी महकमे में भ्रष्टाचार पर पूरी तरह लगाम लगती नहीं दिख रही है। सीओ, थानाध्यक्ष, बिजली विभाग, आपूर्ति विभाग और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की अब तक गिरफ्तारी हो चुकी है, लेकिन घूसखोरी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा।
लोगों का मानना है कि निगरानी की कार्रवाई के बाद तत्कालिक प्रभाव तो जरूर पड़ता है, लेकिन जब तक सिस्टम में जवाबदेही और पारदर्शिता नहीं लाई जाती, तब तक इस पर स्थायी रोक लगाना मुश्किल है।
कब-कब हुई कार्रवाई?
केस 1. फरवरी 21 : निगरानी विभाग की टीम ने सरायरंजन थाना में पदास्थापित एक जमदार उमेश सिंह को एक केस के पीड़ित से तीस हजार रूपये की राशि रिश्वत लेते हुए पकड़ा।
केस 2. सितंबर 21 : खानपुर के एक आटा चक्की संचालक से बिजली मीटर लगाने को लेकर 12 हजार रूपये की रिश्वत लेते हुए निगरानी टीम ने बिजली विभाग के कनीय अभियंता राजू कुमार को रंगे हाथ गिरफ्तार किया।
केस 3. नवंबर 21 : मथुरापुर ओपी के तत्कालीन अध्यक्ष संजय कुमार सिंह और वारिसनगर के सीओ संतोष कुमार को निगरानी टीम ने 25 और 20 हजार रूपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया। दोनों एक जमीन को लेकर रिश्वत की मांग की थी।
केस 4. मई 2022 : खानपुर प्रखंड की एमओ प्रिया सत्संगी और सरायरंजन के एमओ राजीव कुमार को पच्चास हजार रूपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। एक डीलर की शिकायत पर निगरानी की टीम ने उक्त कार्रवाई की थी।
केस 5. मई 2025 : सदर अस्पताल के स्वास्थ्य मैनेजर विश्वजीत आनंद को शव वाहन के चालक से चार हजार रुपये की रिश्वत लेते निगरानी टीम ने दबोचा। चालक की शिकायत पर टीम ने छापेमारी कर रंगे हाथ गिरफ्तार किया।
केस 6. जुलाई 2025 : महिला थानाध्यक्ष पुतुल कुमारी को निगरानी की टीम ने घुस लेते पकड़ा। उनके उपर मुफस्सिल थाना क्षेत्र के एक मामले में बीस हजार की रिश्वत लेकर मामले को रफा-दफा करने का आरोप था। पीड़ित ने इसकी शिकायत निगरानी से दर्ज कराई थी। बाद उक्त कार्रवाई की गई थी। इसमें उन्हें गिरफ्तार किया गया था।

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