Updated: Mon, 15 Sep 2025 02:17 PM (IST)
समस्तीपुर में एक अस्पताल द्वारा नवजात की मौत के बाद प्रसूता को भुगतान के लिए बंधक बनाने का मामला सामने आया। स्थानीय विधायक और पुलिस ने मौके पर पहुंचकर महिला को मुक्त कराया। परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल ने तीन लाख रुपये का बिल दिया और भुगतान तक बंधक बनाए रखा। विधायक ने बिना निबंधन के चल रहे अस्पतालों पर कार्रवाई की मांग की है।
जागरण संवाददाता, समस्तीपुर। नवजात की मौत होने बाद भुगतान को लेकर एक प्रसूता को बंधक बनाकर रखने का मामला प्रकाश में आया है। शिकायत पर स्थानीय विधायक और नगर थाना पुलिस ने मौके पर पहुंचकर उक्त महिला को मुक्त कराया। कर्पूरीग्राम पंचायत के डढ़िया बेलार वार्ड 15 निवासी राजेन्द्र पासवान की पुत्री को प्रसव पीड़ा के बाद शहर के मोहनपुर रोड स्थित यूनिटी इमरजेंसी हास्पिटल में 2 सितंबर को भर्ती कराया गया। जहां उसने एक साथ जुड़वा बच्चों को जन्म दिया।
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इस दौरान नवजात की हालत बिगड़ती देख उसे दूसरे अस्पताल में रेफर दिया गया लेकिन, दोनों की जान नहीं बच की। स्वजनों को इलाज का तीन लाख रुपये का बिल बताया गया। बकाया राशि के भुगतान बाद ही प्रसूता को छोड़ने की बात कही।
आरोप है कि महिला को एक सप्ताह से अधिक समय से रुपये के लिए बंधक बनाकर रखा गया। इस दौरान स्वजनों ने किसी तरह से 90 हजार रुपये की राशि अस्पताल प्रबंधन को दी लेकिन, इसके बाद भी उसे मुक्त नहीं किया गया। पैसों की व्यवस्था करने में असमर्थ होने बाद उसने विधायक से गुहार लगाई।
रविवार को नगर थाना पुलिस के साथ स्थानीय विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन अस्पताल पहुंचे। जहां पुलिस की मदद से पीड़िता को मुक्त कराया गया। अस्पताल के चिकित्सक डा मयंक राज को विधायक ने कड़ी फटकार भी लगाई। बाद में स्वजनों के साथ उसे सदर अस्पताल में बेहतर उपचार को लेकर आवश्यक जांच कराई।
इधर, नगर थानाध्यक्ष शिव कुमार यादव ने बताया कि बकाया भुगतान को लेकर मरीज को डिस्चार्ज नहीं करने की शिकायत पर पुलिस टीम गई थी। महिला को मुक्त कराया गया है। स्वजनों की शिकायत मिलने पर अग्रेतर कर्रवाई की जाएगी।
चिकित्सक के बिना संचालित अस्पताल पर कार्रवाई की मांग:
विधायक ने कहा कि जिले में दर्जनों अस्पताल बिना निबंधन के चल रहे। इन निजी अस्पतालों में सुविधाओं का घोर अभाव है। चिकित्सक नहीं रहते जरूरत पड़ने पर बाहर से चिकित्सकों को बुलाया जाता है। लापरवाही से लगातार मरीजों की जान भी जा रही लेकिन, स्वास्थ्य विभाग चैन की नींद सोया है। कोई कार्रवाई नहीं हो रही।
इन अस्पतालों को चिह्नित कर अविलंब बंद किया जाना चाहिए। बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था को सुचारू किया जाना चाहिए। इस दौरान जिला राजद प्रवक्ता राकेश कुमार ठाकुर समेत अन्य मौजूद रहे।
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