Updated: Sat, 20 Sep 2025 02:28 PM (IST)
दलसिंहसराय अनुमंडलीय अस्पताल में डॉक्टर और फार्मासिस्ट के विवाद के कारण ओपीडी सेवा दूसरे दिन भी बाधित रही जिससे सैकड़ों मरीजों को इलाज नहीं मिल पाया। चिकित्सकों ने फार्मासिस्ट को हटाने की मांग की है। मरीज निजी अस्पतालों की ओर रुख करने को मजबूर हैं। प्रशासन की चुप्पी पर लोगों ने सवाल उठाए।
संवाद सहयोगी, जागरण, दलसिंहसराय। संवाद सहयोगी, जागरण, दलसिंहसराय। दलसिंहसराय अनुमंडलीय अस्पताल में चिकित्सक और फार्मासिस्ट के बीच विवाद के कारण शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन भी ओपीडी सेवा प्रभावित रही।
गुरुवार को हुई कहासुनी के बाद चिकित्सकों ने कार्य बहिष्कार जारी रखते हुए फार्मासिस्ट आबिद हुसैन को हटाने की मांग दोहराई। नतीजतन सैकड़ों मरीजों को इलाज से वंचित होकर लौटना पड़ा।
मरीजों की बढ़ी मुश्किलें
अस्पताल परिसर में शुक्रवार को भी बड़ी संख्या में मरीज अपने इलाज की उम्मीद में पहुंचे थे। प्रतिदिन करीब तीन सौ मरीज इस अनुमंडलीय अस्पताल में चिकित्सकीय परामर्श लेते हैं, लेकिन सेवाएं ठप होने के कारण मरीज दर-दर भटकते रहे।
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कई लोग ओपीडी पर्ची कटवाने के लिए कतारों में खड़े नजर आए, तो कुछ डाक्टरों के कक्ष के बाहर उम्मीद भरी निगाहों से इंतजार करते रहे। आखिरकार निराश होकर कई मरीजों को निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ा।
पुराने विवादों से जुड़ा फार्मासिस्ट
फार्मासिस्ट आबिद हुसैन का विवादों से पुराना नाता रहा है। करीब तीन वर्ष पूर्व अस्पताल के ही कुछ कर्मचारियों से विवाद इतना बढ़ गया था कि चाकूबाजी तक की नौबत आ गई थी। उस घटना के बाद उनका तबादला कर दिया गया था।
बावजूद इसके, कुछ समय बाद उन्हें दोबारा दलसिंहसराय अनुमंडलीय अस्पताल में पदस्थापित कर दिया गया। एक माह पूर्व उनका स्थानांतरण पटोरी हुआ था, लेकिन कुछ ही सप्ताह के भीतर वे फिर से दलसिंहसराय अस्पताल में पदस्थ हो गए।
फार्मासिस्ट के कारण काम का माहौल प्रभावित
डॉक्टरों का कहना है कि फार्मासिस्ट के व्यवहार के कारण लगातार कार्य माहौल प्रभावित हो रहा है। ऐसी परिस्थिति में अस्पताल सेवाएं प्रभावित हो रही हैं और मरीजों को इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है। चिकित्सकों ने साफ चेतावनी दी कि जब तक संबंधित फार्मासिस्ट को हटाया नहीं जाता, वे कामकाज पर वापस नहीं लौटेंगे।
प्रशासन की चुप्पी बनी सवाल
लगातार दो दिनों से सेवाएं बाधित रहने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है। अस्पताल परिसर में मौजूद लोगों ने स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठाए।
मरीजों और उनके परिजनों ने मांग की है कि इस विवाद को जल्द सुलझाया जाए, ताकि उन्हें फिर से बेसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए निजी अस्पतालों का सहारा न लेना पड़े।
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