Updated: Fri, 11 Jul 2025 09:13 PM (IST)
उत्तर बिहार में मानसून की कमजोरी के कारण वर्षा में कमी आई है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार 16 जुलाई से हल्की वर्षा की संभावना है। किसानों को धान की जगह अन्य फसलें उगाने की सलाह दी गई है जैसे कि सूर्यमुखी मक्का और तिल। गन्ना और मक्का की खेती के लिए भी सुझाव दिए गए हैं साथ ही अरहर की बुआई के लिए उचित मार्गदर्शन दिया गया है।
संवाद सहयोगी, पूसा। उत्तर बिहार में मानसून रेखा कमजोर होने के कारण वर्षा के अनुपात में काफी कमी आई है। मानसून रेखा जब बिहार के बाहर दक्षिण की ओर चली जाती है तो वर्षा होने की संभावना कम होती है।
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डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञानी डॉ. ए सत्तार का बताना है कि 16 जुलाई से उत्तर बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में हल्की वर्षा हो सकती है।
मौसम विभाग के द्वारा चार दिनों के पूर्वानुमान अवधि के बारे में बताया गया है कि अधिकतम तापमान 34-35 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा। न्यूनतम तापमान 26-28 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रह सकता है। 2 से 20 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से पूरबा हवा चलेगी।
किसानों के लिए सुझाव
पूर्वानुमानित मौसम में भी अच्छी वर्षा की संभावना नहीं है। कमजोर मौसम को देखते हुए धान के बदले उचास जगह में सूर्यमुखी, मक्का, तिल, आदि फसल की बुआई करना श्रेयस्कर है। धान की अगात किस्में जैसे-राजेंद्र नीलम, सरस्वती, शभागी, राजेंद्र स्वेता और प्रभात उत्तर बिहार के लिए अनुशंसित है।
पूर्वानुमानित मौसम गन्ना की फसल में शीर्ष गलन रोग के प्रकोप के लिए अनुकूल रहेगा। अतः इस रोग के लक्षण दिखाई देने पर कार्बेन्डाजिम 50 डब्लूपी 400 ग्राम दवा, 400 लीटर पानी में अथवा कापर आक्सीक्लोराइड 50 डब्लूपी 400 ग्राम दवा 400 लीटर पानी में प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर 15 दिनो के अंतराल पर दो बार छिड़काव करें।
खरीफ मक्का की सुआन, देवकी, शक्तिमान-1, शक्तिमान-2, राजेन्द्र शंकर मक्का-3, गंगा-11 किस्मों की बुआई अतिशीघ्र संपन्न करें। खेत की जुताई में प्रति हेक्टेयर 10 से 15 टन गोबर की सड़ी खाद, 30 किलो नेत्रजन, 60 किलो स्फुर एवं 50 किलो पोटाश का व्यवहार करें।
इसके लिए प्रति किग्रा बीज को 2.5 ग्राम थीरम द्वारा उपचारित कर बुआई करें। बीज दर 20 किग्रा0 प्रति हेक्टेयर रखें। उचास जमीन में अरहर की बुआई करें।
उपरी जमीन में बुआई के समय प्रति हेक्टेयर 20 किलोग्राम नेत्रजन, 45 किलोग्राम स्फुर,20 किलोग्राम पोटाश तथा 20 किलोग्राम सल्फर का व्यवहार करें। बहार, पूसा 9, नरेद्र अरहर 1, मालवीय-13, राजेन्द्र अरहर-1 आदि किस्में बुआई के लिए अनुशसित है।
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