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    Bihar Bhumi Registry: समस्तीपुर में अधिकारियों ने की बड़ी गलती, अब सजा भुगत रहे जमीन मालिक

    समस्तीपुर में निबंधन विभाग की रोक सूची से हजारों लोग परेशान हैं। सरकारी और बोर्ड की जमीनों को शामिल करने से यह सूची बनी है जिसमें कई गड़बड़ियां हैं। लोगों को अपनी जमीन हटवाने के लिए दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। सबसे अधिक मामले रोसड़ा अंचल से हैं। रोक सूची सार्वजनिक न होने से मालिकों को जानकारी नहीं मिल पाती।

    By Mukesh Kumar Edited By: Rajat Mourya Updated: Mon, 09 Jun 2025 07:45 PM (IST)
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    गलती अधिकारियों की, सजा भुगत रहे जमीन मालिक

    जागरण संवाददाता, समस्तीपुर। सरकारी स्तर पर जमीन की किस्म गैर मजरुआ आम और खास होने के साथ ही अलग-अलग विभागों और बोर्ड की जमीन को शामिल करते हुए निबंधन कार्यालय ने एक रोक सूची तैयार की। इसमें विभाग और बोर्ड ने अपनी-अपनी जमीन के खाता व खेसरा नंबर की जानकारी भेज उसपर रोक लगा दी, लेकिन इस सूची में बहुत सी गड़बड़ी सामने आ रही है।

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    इस वजह से जमीन बेचने वालों को दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। अपनी जमीन को रोक सूची से हटवाने में लोगों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही। जिले के करीब 84 हजार से अधिक लोगों की भूमि को निबंधन विभाग की रोक सूची में शामिल किया गया है।

    इनमें सबसे अधिक रोसड़ा अंचल के मामले (19.96 प्रतिशत) हैं। संयुक्त बैठक में कुल मामलों में से महज 0.014 प्रतिशत की ही सुनवाई की गई है। एक बार रोक सूची में जमीन दर्ज होने बाद लोगों को अंचल से लेकर जिला स्तर तक के पदाधिकारियों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

    जमीन बेचने वाले को पता ही नहीं

    रोक सूची सार्वजनिक नहीं होने से उसके मालिकों को पता ही नहीं चलता कि उनकी जमीन कब और कैसे उस सूची में शामिल हो गई, जबकि वे जमीन पर काबिज होने के साथ ही उसकी लगान आदि भी समय से भरते चले आ रहे हैं।

    एक मामले में पीड़ित ने वर्ष 2020 में ही जमीन का निबंधन कराया। किसी कारण उसे जमीन बेचने की जरूरत हुई। उसने खरीदार से बातचीत कर निबंधन को कागजात की तैयारी शुरू की। तब उन्हें पता चला कि उक्त जमीन सरकार की रोक सूची में शामिल है। अब वे विभाग के चक्कर काट रहे हैं।

    एक बार यदि कोई जमीन रोक सूची में चली गई तो उसे निबंधन कार्यालय और राजस्व विभाग की संयुक्त बैठक के जरिये ही हटाया जा सकता है। इसके लिए डीसीएलआर की रिपोर्ट आवश्यक है।

    रिपोर्ट मिलने पर यदि किसी तरह की कोई त्रुटि या संदेह उत्पन्न हुआ तो उसे रोक सूची से नहीं हटाया जा सकता। उस मामले में पुनः जांच कराई जा रही है। जमीन रोक सूची में होने और न होने की जानकारी निबंधन विभाग से ली जा सकती है।

    बैठक में डेढ़ दर्जन मामलों में ही बन सकी सहमति

    राजस्व विभाग और निबंधन कार्यालय की संयुक्त बैठक में करीब दो दर्जन मामलों में सुनवाई की गई। इसमें करीब डेढ़ दर्जन मामलों में सहमति बन सकी, जबकि आधा दर्जन मामलों में पुनः जांच कराने की बात कही गई है। बैठक के लिए कोई समय निर्धारित नहीं है। एक साथ कई मामले जमा होने बाद ही बैठक की प्रक्रिया पूरी कराई जाती है।

    सरकारी जमीन के अलावा वक्फ बोर्ड और केसर-ए-हिंद समेत अन्य कई तरह की जमीन को रोक सूची में डाला गया है। इसकी संख्या जिले में करीब 84 हजार से अधिक है। इसमें मौजूद जमीन पर यदि कोई अपना दावा करता तो उसे आवश्यक प्रक्रिया पूरी करनी होती है। निबंधन कार्यालय से इस संबंध में कोई जानकारी ले सकता है। इससे उसे पता चल जाएगा कि उक्त जमीन पर किसका दावा है। - अमित कुमार मंडल, जिला अवर निबंधक, समस्तीपुर


    किस अंचल की कितनी जमीन पर रोक?

    स्थान संख्या
    समस्तीपुर 8203
    उजियारपुर 1072
    दलसिंहसराय 5748
    विद्यापतिनगर 5705
    सरायरंजन 1040
    पटोरी 3814
    मोहनपुर 634
    मोहिउद्दीननगर 911
    मोरवा 3085
    ताजपुर 5048
    पूसा 2294
    रोसड़ा 16767
    कल्याणपुर 6517
    वारिसनगर 1096
    शिवाजीनगर 3566
    हसनपुर 4391
    विभूतिपुर 6881
    बिथान 1646
    सिंधिया 5474
    खानपुर 579