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    स्वास्थ्य मानकों में 28 वें रैंक पर समस्तीपुर जिला

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 05 Dec 2018 07:02 PM (IST)

    स्वास्थ्य मानकों में समस्तीपुर जिला लगातार पिछड़ता जा रहा हैं। विभागीय आंकड़ों के आधार पर राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा अक्टूबर में जिला 28 वें रैंक पर हैं।

    स्वास्थ्य मानकों में 28 वें रैंक पर समस्तीपुर जिला

    समस्तीपुर । स्वास्थ्य मानकों में समस्तीपुर जिला लगातार पिछड़ता जा रहा हैं। विभागीय आंकड़ों के आधार पर राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा अक्टूबर में जिला 28 वें रैंक पर हैं। समस्तीपुर जिला ने 56.33 प्रतिशत उपलब्धि हासिल की है। जबकि, इससे पूर्व सितंबर में जिला ने 59.39 प्रतिशत लाकर 23 वें रैंक और अगस्त में 60.49 प्रतिशत लाकर 17 वें रैंक पर था। जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने की बजाए लगातार बिगड़ती जा रही हैं। विभिन्न स्वास्थ्य सूचकांकों पर राज्य के जिलों की रैं¨कग कराई गई है। 37 सूचकांकों पर अक्टूबर 2018 में कराई गई रैं¨कग में राज्य के 38 जिला में मधेपुरा जिला स्वास्थ्य सेवा देने के मामले में टॉप पर रहा है, जबकि पूर्वी चंपारण जिला फिसड्डी साबित हुआ है। राज्य स्वास्थ्य समिति ने मैनेजमेंट एंड इन्फॉर्मेशन सिस्टम (एचएमआइएस) के माध्यम से इसकी मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार कराई है। रिपोर्ट को सभी जिला स्वास्थ्य समिति अध्यक्ष सह जिलाधिकारी को भेजा गया हैं। इसमें कहा गया है कि राज्य में दी जा रही स्वास्थ्य सुविधाओं के मूल्यांकन के लिए विभिन्न महत्वपूर्ण सूचकांकों को देखकर जिलों के स्तर पर पदाधिकारियों और कर्मचारियों के बीच प्रतिस्पद्र्धा का भाव जागृत करने के लिए सेवाओं का मूल्यांकन कराया जा रहा है और इसकी रिपोर्ट भेजी जा रही है। जिलाधिकारी को भेजे गए पत्र में अनुरोध किया गया है कि आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए अपने स्तर से आवश्यक निर्देश दिये जाए।

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    राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक पदाधिकारी लोकेश कुमार ¨सह ने अस्पतालों द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए कुल 37 सूचकांक निर्धारित किया गया है। इसमें गर्भवती महिलाओं की पहली तिमाही में पंजीकरण, प्रसव पूर्ण तीन जांच करानेवाली गर्भवती महिलाओं, जटिल प्रकार प्रसव के मैनेजमेंट, संस्थागत प्रसव, सिजेरियन से प्रसव का प्रतिशत, मातृत्व मृत्यु की रिपोर्ट, मातृत्व मृत्यु का रिव्यू, प्रति हजार पर मृत पैदा होने वाले नवजात, समय पर स्तनपान कराने, औसत से कम वजन के पैदा होने वाले बच्चों का प्रतिशत, घर में जन्म के बाद 24 घंटे के अंदर स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा देखभाल, एसएनसीयू में इलाज का औसत समय, पूर्ण टीकाकरण, जिला अस्पतालों में शिशु वार्ड में बच्चों का बेड ऑकुपेंसी दर, शिशु मृत्यु की रिपोर्टिंग प्रतिशत, रक्त अधिकोष का जिला अस्पताल में व्यवस्था आदि शामिल हैं। इसके साथ ही पेनाल्टी के तहत जो अंकों में कटौती की व्यवस्था की गयी है, उसमें समय पर जननी बाल सुरक्षा योजना की राशि का भुगतान नहीं करना, रेफरल अस्पताल, अनुमंडलीय अस्पताल और जिला अस्पताल में प्रशिक्षित चिकित्सकों द्वारा सिजेरियन आपरेशन का नहीं किया जाना, नन फंक्शनल एसएनयूसी जैसे सूचकांक निर्धारित किए गए हैं।