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    Samastipur News: ब्लड बैंक को ही ब्लड चढ़ाने की आई नौबत, 350 की जगह 15-20 यूनिट ही उपलब्ध

    Updated: Sat, 06 Dec 2025 06:31 AM (IST)

    समस्तीपुर जिले के ब्लड बैंकों में रक्त की भारी कमी हो गई है, जिससे मरीजों को परेशानी हो रही है। सदर अस्पताल में 350 यूनिट की जगह केवल 15-20 यूनिट रक्त ...और पढ़ें

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    सांकेतिक तस्वीर

    जागरण संवाददाता, समस्तीपुर। सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक की दुर्दशा बद से बदतर हो चुकी है। यहां के हालात दयनीय स्थिति में हैं यानि रक्त अधिकोष भवन को ही ब्लड चढ़ाने की नौबत आ गई है।

    रक्त के अभाव में महीनों से बदहाल पड़ा रक्त अधिकोष में महज 15-25 यूनिट ब्लड ही उपलब्ध रह रहे हैं। रक्त अधिकोष में 350 यूनिट ब्लड रखने की क्षमता है। इसमें कम से कम 50 से 60 यूनिट ब्लड हमेशा उपलब्ध रहनी चाहिए।

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    सदर अस्पताल परिसर में बना रक्त अधिकोष कर्मियों के रहने के बाद भी ब्लड संग्रह कैंप में कमी देखी जा रही है। विडंबना देखिए कि सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में निगेटिव ग्रुप के ब्लड की उपलब्धता शून्य है।

    सदर अस्पताल ब्लड बैंक में एक दिसंबर की रिपोर्ट के अनुसार ए पाजिटिव की पांच, बी पाजिटिव की तीन, एबी पाजिटिव की दो और ओ पाजिटिव की पांच यूनिट ब्लड उपलब्ध हैं। सदर अस्पताल परिसर में बना रक्त अधिकोष कर्मियों के रहने के बाद भी ब्लड संग्रह कैंप में कमी देखी जा रही है।

    सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. गिरीश कुमार ने बताया कि समय-समय पर आमजन के बीच रक्तदान के लिए जागरूक किया जा रहा है। मरीज को हरसंभव बेहतर सुविधा दिए जाने का प्रयास किया जाता है।

    ब्लड बैंक में निगेटिव ग्रुप के ब्लड उपलब्ध नहीं हैं। शेष पाजिटिव ग्रुप में ब्लड की उपलब्धता काफी कम संख्या में है। हालांकि ब्लड के अभाव में किसी मरीज की मौत होने की जानकारी विभाग के पास नहीं है, क्योंकि ब्लड के अभाव में कई मरीज पटना रेफर कर दिए जाते हैं। ब्लड की कमी का सिलसिला तकरीबन छह महीने से लगातार इसी तरह चल रहा है।

    प्लाज्मा व प्लेटलेट्स का लाइसेंस नहीं रहने से हो रही परेशानी

    सदर अस्पताल के ब्लड बैंक में प्लाज्मा और प्लेटलेट्स का लाइसेंस नहीं रहने की वजह से मरीज को इलाज कराने में परेशानी हो रही है। वीआईपी मरीज के लिए पटना से इसकी व्यवस्था कराई जाती है, जबकि सामान्य मरीजों को रेफर कर दिया जाता है।

    इसके लिए ब्लड कंपोनेंट मशीन की उपलब्धता जरूरी है। इसका लाइसेंस मिलने के बाद ही डेंगू मरीज को प्लेटलेट्स और बर्न मरीज को प्लाज्मा दिया जा सकता है। अभी फिलहाल गंभीर मरीज को डीएमसीएच या पीएमसीएच रेफर कर दिया जाता है।

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