केंद्रीय कृषि कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, बिहार के बिना देश और दुनिया का काम नहीं चल सकता
Pusa Agricultural University Convocation केंद्रीय कृषि मंत्री ने युवा विज्ञानियों से कृषि उत्पादन बढ़ाने और लागत घटाने जैसे उपाय पर काम करने की अपील की। कहा कृषि में अपार संभावनाएं हैं। कभी भारत अमेरिका से गेहूं मंगवाता था। आज स्थिति यह है कि अन्न के भंडार पूर्ण हैं। 80 करोड़ लोगों को तो मुफ्त में गेहूं दिया जा रहा है। अब हम चावल निर्यात कर रहे हैं।

जागरण संवाददाता, समस्तीपुर। Pusa Agricultural University Convocation : केंद्रीय कृषि कल्याण शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बिहार के बिना देश और दुनिया का काम नहीं चल सकता। पूरे देश में परिश्रमी किसान और टैलेंट चाहिए तो वह बिहार की पवित्र भूमि से मिलेगा।
नौजवान यहां के कर्तव्य निष्ठ और परिश्रमी हैं। देश में कृषि के क्षेत्र में बहुत काम हुआ है लेकिन कसर और बाकी है। इसलिए युवाओं ने जो कुछ सीखा है उसका उपयोग खेतों में करो, स्टार्टअप लगाओ। कृषि उत्पादन बढ़ाने और लागत घटाने जैसे उपाय ढूंढ़ो। केंद्रीय मंत्री गुरुवार को डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में चतुर्थ दीक्षा समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि दुनिया को प्रकाश देने वाला बिहार है। नालंदा तो यही है, जिसने शिक्षा के क्षेत्र में दुनिया को प्रकाश दिया। इसी धरती ने बुद्ध को ज्ञान दिया। मेरा-तेरा सोच छोटे दिल वाले को होता है। डिग्रीधारियों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दीक्षा का अर्थ शिक्षा की समाप्ति नहीं नए युग की शुरूआत है।
यह डिग्री संदेश दे रहा है कि अनंत आकाश की उड़ान भरो। अपने को पहचानो। केवल लक्ष्य तय करने की जरूरत है। उसके लिए रोड मैप बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि तुम्हारे जीवन का अर्थ केवल पैसा कमाना नहीं बल्कि अनंत आकाश की संभावनाओं की तलाश करना है।
यह भी कहा कि कृषि क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। कभी समय था कि भारत अमेरिका से गेहूं मंगवाता था। एक समय था जब लाल बहादुर शास्त्री जी ने अन्न की कमी को देखते हुए सप्ताह में एक दिन का उपवास रखने की अपील की थी। आज स्थिति बदल गई है। आज अन्न के भंडार भड़े हैं।
80 करोड़ लोगों को तो मुफ्त में गेहूं दिया जा रहा है। चावल हम निर्यात कर रहे हैं। केवल बासमती चावल 50 हजार करोड़ का निर्यात किया है। मक्का उत्पादन बिहार में अभूतपूर्व है। समस्तीपुर की सब्जियां पूरी दूनियां में धूम मचा रही है। शाही लीची की चर्चा पूरे जगत में है।
मखाना को नई पहचान मिली है। मैंने भी मखाना की खेती में हाथ लगाया है। कृषि मंत्री ने कहा कि मंत्री का मतलब राजा नहीं, हम तो सेवक है। किसानों की सेवा हमारे लिए पूजा है। कृषि के कई क्षेत्रों में और काम करने की जरूरत पर बल देते हुए मंत्री ने कहा कि लीची के डंटल पर ग्लूकोज का लेप लगाकर इसे और कामायब बनाने पर कार्य जारी है।
टमाटर को और सुदृढ़ करने के लिए आईसीएआर काम कर रहा है।उन्होंने घट रही जोत की भूमि के लिए छोटी मशीन बनाने की भी अपील की। मंत्री ने दीक्षा समारोह में मेडल लेने वाले युवाओं से ज्ञान का व्यवहारिक उपयोग करने, खेती को कैरियर बनाने की भी अपील की। यह भी कहा कि असली पूसा तो यही है। दिल्ली वाला तो नकली पूसा है।
डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय विश्वविद्यालय किसानों को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हमें उत्पादन बढ़ाना है। प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना को वि अपने कंधे पर ले। उत्पादन बढ़ाए और लागत घटाने की दिशा में कार्य करे। उन्होंने पोषण युक्त खाद्य के साथ धरती को बचाने के लिए प्राकृतिक खेती अपनाने पर बल दिया।
सभी यदि मिलकर काम करेंगे तो आने वाले समय में हम दुनियां के लिए फूड बास्केट बनाने में सफल होंगे। कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री के रूप में मिथिला की शान और पाग की पहचान के लिए हमेशा तत्पर रहने का भी आश्वासन दिया।
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