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    प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा मानव का धर्म

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 28 Aug 2019 01:14 AM (IST)

    शहर के मोहनपुर रोड स्थित एक सभागार में मंगलवार को प्रकृति और हम विषय पर एक परिचर्चा आयोजित हुई।

    प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा मानव का धर्म

    समस्तीपुर । शहर के मोहनपुर रोड स्थित एक सभागार में मंगलवार को प्रकृति और हम विषय पर एक परिचर्चा आयोजित हुई। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलित कर किया गया। समारोह को संबोधित करते हुए डॉ. शंभु कुमार सिंह कहा कि प्रकृति है तो हम है। प्रकृति की रक्षा करना हमारा धर्म है। इसलिए हमें चाहिए कि हम प्रकृति की रक्षा हेतु अपने आस पास पेड़ लगाएं और उसकी रक्षा करें। इस प्रकार की उपाय किए जाने से ही हम अपनी प्रकृति और अपने पर्यावरण की रक्षा कर सकेंगे। कुमार कौस्तुभ ने कहा कि ने कहा कि प्रकृति के साथ हमारे द्वारा किए गए दु‌र्व्यवहार का नतीजा है कि आज पूरी पृथ्वी पर तपिश बढ़ गई है। अनकही और अनसुनी बीमारियों की चपेट में आने से लोगों की मौत हो रही है। यह सिर्फ और सिर्फ प्रकृति के साथ की जा रही अत्याचार का नतीजा है। एक समय था कि हमारी आंखें पक्षियों की चहचहाहट सुनकर खुल जाती थी, लेकिन हमारे प्रदूषण को बढ़ावा देने के कारण पशु-पक्षी की संख्या में भी कमी आ रही है। राजेश कुमार सुमन ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण ही आज हमारे घर के आसपास उगने वाले पौधे जिनमें पपीता, जामुन, तुलसी गायब हो रहा है। इसलिए हमें चाहिए कि हम अपने प्रकृति की रक्षा करें, ताकि हमारा यह प्रकृति पूर्व की तरह सुरक्षित हो जाए। इस परिचर्चा को कुंदन कुमार राय, अभय कुमार सिंह, गुंजन मिश्रा, बबलु कुमार, विनोद सहनी आदि ने भी संबोधित किया। मौके पर ओम प्रकाश खेमका, सामाजिक कार्यकर्ता मनीष यादव, विद्याकर झा, चंदन कुमार, राजीव रंजन मिश्रा, राजु यादव आदि उपस्थित रहे। अध्यक्षता अभय कुमार सिंह ने की। संचालन अमन कुमार झा और रजनीश कुमार ने संयुक्त रूप से किया।

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