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    बचपन से था वर्दी का जनून, अब बनेगी ITBP की पहली महिला कमांडेंट

    By Ravi RanjanEdited By:
    Updated: Fri, 13 Apr 2018 10:40 PM (IST)

    बिहार की प्रकृति राय को बचपन से ही वर्दी पहनने का सपना था। देश के लिए कुछ कर गुजरने का सपना था। अब उसका सपना पूरा होने को है। वह आइटीबीपी की पहली महिला कमांडेंट बनेगी।

    बचपन से था वर्दी का जनून, अब बनेगी ITBP की पहली महिला कमांडेंट

    समस्‍तीपुर [विनोद कुमार गिरि]। बिहार के केवस निजामत गांव की बिटिया प्रकृति राय को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) की पहली महिला कॉम्बैट (लड़ाकू) अधिकारी होने का गौरव प्राप्त होने जा रहा है। आइटीबीपी में देश की पहली महिला असिस्टेंट कमांडेंट बनने जा रही 25 साल की प्रकृति को भारत-चीन सीमा से सटे नाथुला दर्रा जैसे दुर्गम स्थानों पर देश की सीमाओं की रक्षा करने का मौका मिलेगा। पिथौरागढ़, उत्तराखंड में कठिन ट्रेनिंग चल रही है, जिसके बाद प्रकृति की सीमा पर तैनाती होगी।

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    बकौल प्रकृति, जय हिंद के जयकारे से रोम रोम रोमांचित हो उठता है। वर्दी पहनते ही मातृभूमि की रक्षा को लेकर जज्बा और उत्साह चरम पर जा पहुंचता है। ऐसा लगता है मानो भारत माता की रक्षा का जिम्मा मेरे कंधों पर आ गया है और मुङो इसे जी-जान लगाकर पूर्ण करना है।

    प्रकृति ने बताया कि ट्रेनिंग में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर एक सैनिक के रूप में सभी बारीकियां सीख रही हैं। बॉर्डर पार के दुश्मनों के दांव को कैसे समङों। खुद को सुरक्षित रखते हुए हथियार से लैस दुश्मनों से कैसे निपटें। ऐसे तमाम तरह के गुर सिखाए जा रहे हैं। प्रशिक्षण पाने वाले समूह में वह अकेली महिला अधिकारी हैं।

    प्रकृति का चयन आइटीबीपी में पहली लड़ाकू अधिकारी के रूप में हुआ है। पहले ही प्रयास में उन्होंने यह सफलता हासिल की। सरकार ने पहली बार आइटीबीपी में महिलाओं को कॉम्बैट ऑफिसर बनाने का निर्णय लिया तो प्रकृति के सपनों को पंख लग गए।

    उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल ऑफिसर भर्ती परीक्षा का फार्म भर दिया। पहली पसंद के रूप में आइटीबीपी का विकल्प चुना और पहले ही प्रयास में सफलता के झंडे गाड़ दिए। अगले साल फरवरी में ट्रेनिंग की समाप्ति के बाद उनकी आइटीबीपी में तैनाती हो जाएगी।

    बेटी की सफलता से उत्साहित माता-पिता

    प्रकृति के पिता राम प्रकाश राय भारतीय वायु सेना में जेडब्लूओ के पद पर कोलकाता में कार्यरत हैं। कहते हैं कि मेरी बेटी में देश सेवा की भावना कूट-कूटकर भरी है। उसकी सोच और उत्साह पर गर्व है। प्रकृति की मां डॉ. मंजू राय प्लस टू उच्च विद्यालय ताजपुर में हिंदी की शिक्षका हैं। अपनी बेटी की सफलता पर फूले नहीं समाती हैं। कहती हैं कि पिता की जहां-जहां तैनाती रही, वहीं उसकी पढ़ाई हुई।

    उसने केंद्रीय विद्यालय बोवनपल्ली, सिकंदराबाद से 12वीं तक की पढ़ाई की। कुछ अलग करना चाहती थी, इसलिए नागपुर विवि से 2014 में इलेक्टिकल में बीटेक किया। लेकिन इरादा देश सेवा था, जिसमें उसे पहली बार में ही सफलता मिल गई।

    दर्जनभर युवतियों ने पकड़ी प्रकृति की राह

    रश्मि, काजल, सोनम, अनुप्रिया, पल्लवी सहित एक दर्जन युवतियां प्रतिदिन समस्तीपुर के पटेल मैदान में दौड़ लगाती हैं। ये सभी प्रकृति को अपना आइकन मानती हैं और आइटीबीपी में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहती हैं। रश्मि कहती हैं कि अब लड़कियों के लिए कोई काम मुश्किल नहीं। काजल, सोनम का कहना है कि सरकार ने जब लड़कियों को मौका दिया है तो वे पीछे क्यों रहें। लड़कियां लड़ाकू विमान उड़ा सकती हैं तो फिर अन्य काम क्यों नहीं कर सकतीं। पल्लवी भी कुछ ऐसी ही सोच रखती हैं।