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    Bihar Politics: बेटी-दामाद, बेटा और अभिभावक की टक्कर! बिहार की इस सीट पर टाइट फाइट

    Updated: Wed, 29 Oct 2025 02:25 PM (IST)

    बिहार की राजनीति में एक अनोखा मुकाबला देखने को मिल रहा है, जहां एक ही सीट पर बेटी-दामाद, बेटा और अभिभावक आमने-सामने हैं। इस पारिवारिक सियासी जंग में, सभी उम्मीदवार अपनी दावेदारी मजबूत करने में लगे हैं। राजनीतिक पंडितों की नजर इस दिलचस्प मुकाबले पर टिकी है, जहाँ कड़ी टक्कर की संभावना है। देखना यह है कि अंत में कौन बाजी मारता है।

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    बेटी, दामाद, बेटा और अभिभावक की टक्कर!

    जागरण संवाददाता, समस्तीपुर। जिले के मोहिउद्दीननगर विधानसभा की जंग बड़ी ही दिलचस्प होने वाली है। यहां मैदान में दमाद, बेटी, बेटा के संग ही पुराने प्रतिनिधित्व करने वाले अभिभावक तुल्य प्रत्याशी भी अबकी बार मैदान में कूद पड़े है। जनता फिलहाल शांत बैठी है।

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    अभिभावक कह रहे दामाद बेटी अपने-अपने घर चले जाएं। क्षेत्र का प्रतिनिधित्व हमें सौंप दें, जबकि युवा बेटा चुपचाप लोगों को अपने पाले में करने की कोशिश में जुटा है, ताकि किसी तरह से इस बार विधानसभा की कमान थाम सके।

    बदलाव की बात कहते हुए रोजी-रोजगार के सवाल पर बेटा अब क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने को बेताब हो रहा। उससे अब तनिक भी बर्दाश्त नहीं हो रहा तभी, तो भगवा छोड़ पिला गमछा बांध मैदान में कूद पड़ा। बेटी भी लालटेन की रोशनी से एक बार फिर इलाके को जगमगाने की कोशिश कर रही। वह इससे पहले भी इलाके का मान बढ़ा चुकी है। एक बार फिर से दिल में प्यार लिए जीत की हुंकार भर रही।

    इसी तरह से तीन-तीन बार इलाके का प्रतिनिधित्व करने वाले अभिभावक तुल्य प्रत्याशी स्वयं को सबसे बेहतर बता रहे। वह कह रहे इलाके को मुझसे बेहतर कौन समझ सकता है। दामाद पर गत चुनाव में लोगों ने खूब प्यार व आशीर्वाद बरसाया था। उन्हें उम्मीद है कि एक बार फिर लोग उनके काम को सराहेंगे और इलाके का प्रतिनिधित्व सौंपेंगे। सभी अपने-अपने दांव-पेंच से जनता में अपनी पैठ मजबूत करने के फिराक में है।

    प्रत्याशियों के बीच जुबानी जंग भी खूब हो रही। स्थानीय और बाहरी का मुद्दा भी बनने की कोशिश की जा रही। लेकिन, अंतिम फैसला तो जनता को ही करना है। अब एक साथ इन चेहरों को देख जनता भी असमंजस में पड़ गई है।

    तीन-तीन माहिर खेलाड़ी और एक नव युवक आखिर वह किस पर दांव लगाए ताकि, उसका विकास दिन दूनी रात चौगुनी हो सके। इसी कशमकश में छठ के बाद लोग आपस में मंथन में जुटे है। देखना दिलचस्प होगा कि आखिरकार जनता किसे अपनाती है।

    सभी की पारिवारिक पृष्ठभूमि मजबूत:

    सभी प्रत्याशियों की पारिवारिक पृष्ठभूमि मजबूत है। कोई राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखने वाला है तो कोई इलाके में पुराने रसूखदार परिवार से आता है। किसी की अपनी स्वयं की पैठ मजबूत है। सभी समीकरण के हिसाब से भी इलाके में फीट बैठ रहे। दल की राजनीति में भी सभी की भूमिका भी अहम है। सभी अपने-अपने पार्टी में मजबूत पकड़ रखते हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो इस सीट की लड़ाई में कोई किसी से कमजोर नहीं है।