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    सृष्टि के आरंभ से ही कार्तिक पूर्णिमा रही है खास

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 12 Nov 2019 06:29 AM (IST)

    सृष्टि के आरंभ से ही कार्तिक पूर्णिमा बड़ी ही खास रही है। हिदू पंचांग के अनुसार साल का आठवां महीना कार्तिक महीना होता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा कार्तिक पूर्णिमा कहलाती है।

    सृष्टि के आरंभ से ही कार्तिक पूर्णिमा रही है खास

    समस्तीपुर । सृष्टि के आरंभ से ही कार्तिक पूर्णिमा बड़ी ही खास रही है। हिदू पंचांग के अनुसार साल का आठवां महीना कार्तिक महीना होता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा कार्तिक पूर्णिमा कहलाती है। गरुआरा के पंडित सुमंत कुमार झा बताते हैं कि पुराणों में यह दिन स्नान, व्रत व तप की दृष्टि से मोक्ष प्रदान करने वाला बताया गया है। हिदू धर्म में पूर्णिमा का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष 12 पूर्णिमा होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 13 हो जाती है। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है। इस पुर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा की संज्ञा इसलिए दी गई है क्योंकि आज के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का अंत किया था और वे त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे। ऐसी मान्यता है कि इस दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है। इस दिन चंद्र जब आकाश में उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छह कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी की प्रसन्नता प्राप्त होती है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से भी पूरे वर्ष स्नान करने का फल मिलता है। कार्तिक पूर्णिमा को गोलोक के रासमंडल में श्री कृष्ण ने श्री राधा का पूजन किया था। हमारे तथा अन्य सभी ब्रह्मांडों से परे जो सर्वोच्च गोलोक है वहां इस दिन राधा उत्सव मनाया जाता है तथा रासमंडल का आयोजन होता है। कार्तिक पूर्णिमा को श्री हरि के बैकुंठ धाम में देवी तुलसी का मंगलमय पराकट्य हुआ था। कार्तिक पूर्णिमा को ही देवी तुलसी पृथ्वी पर जन्म ली थी। कार्तिक पूर्णिमा को राधिका जी की शुभ प्रतिमा का दर्शन और वंदन करके मनुष्य जन्म के बंधन से मुक्त हो जाता है। इस दिन बैकुंठ के स्वामी श्री हरि को तुलसी पत्र अर्पण करते हैं। कार्तिक मास में विशेषत: श्री राधा और श्री कृष्ण का पूजन करना चाहिए। जो कार्तिक में तुलसी वृक्ष के नीचे श्री राधा और श्री कृष्ण की मूर्ति का पूजन करते हैं उन्हें जीवनमुक्त समझना चाहिए। तुलसी के अभाव में आंवले के नीचे पूजन करनी चाहिए। कार्तिक मास में पराए अन्न, गाजर, दाल, चावल, मूली, बैंगन, घीया, तेल लगाना, तेल खाना, मदिरा, कांजी का त्याग करें। कार्तिक मास में अन्न का दान अवश्य करें। कार्तिक पूर्णिमा को बहुत अधिक मान्यता मिली है। इस पूर्णिमा को महाकार्तिकी भी कहा गया है। यदि इस पूर्णिमा के दिन भरणी नक्षत्र हो तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। अगर रोहिणी नक्षत्र हो तो इस पूर्णिमा का महत्व कई गुणा बढ़ जाता है। इस दिन कृतिका नक्षत्र पर चंद्रमा और बृहस्पति हों तो यह महापूर्णिमा कहलाती है। कृतिका नक्षत्र पर चन्द्रमा और विशाखा पर सूर्य हो तो पद्मक योग बनता है जिसमें गंगा स्नान करने से पुष्कर से भी अधिक उत्तम फल की प्राप्ति होती है। वैष्णव और शैव दोनों भक्तों के लिए है महत्वपूर्ण इसका महत्व सिर्फ वैष्णव भक्तों के लिए ही नहीं शैव भक्तों और सिख धर्म के लिए भी बहुत ज्यादा है। विष्णु के भक्तों के लिए यह दिन इसलिए खास है क्योंकि भगवान विष्णु का पहला अवतार इसी दिन हुआ था। प्रथम अवतार में भगवान विष्णु मत्स्य यानी मछली के रूप में थे। भगवान को यह अवतार वेदों की रक्षा, प्रलय के अंत तक सप्तऋषियों,अनाजों एवं राजा सत्यव्रत की रक्षा के लिए लेना पड़ा था। इससे सृष्टि का निर्माण कार्य फिर से आसान हुआ। शिव भक्तों के अनुसार इसी दिन भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का संहार कर दिया जिससे वह त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए। इससे देवगण बहुत प्रसन्न हुए और भगवान विष्णु ने शिव जी को त्रिपुरारी नाम दिया जो शिव के अनेक नामों में से एक है। इसलिए इसे'त्रिपुरी पूर्णिमा'भी कहते हैं। कार्तिक पूर्णिमा को लेकर जिले के पटोरी, मोहनपुर, मोहिउद्दीननगर तथा विद्यापतिनगर प्रखंड क्षेत्र में गंगा नदी के घाटों की लोगों ने साफ-सफाई की। इन घाटों पर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु स्नान करने पहुंचते हैं। इसके अलावा बलान, बूढ़ी गंडक, खानपुर के संगम तट, रोसड़ा के गंडकी स्थान के अलावा बिथान के भी संगम में स्नान किया जाता है।

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    बुलगानीन घाट को किया गया प्रतिबंधित

    शाहपुर पटोरी, संस: पटोरी प्रखंड के बुलगानीन घाट पर बने खतरनाक गड्ढे तथा कई घटनाओें के पश्चात बुलगानीन गंगा घाट को गंगा स्नान के लिए प्रतिबंधित करते हुए यहां पर खतरा से संबंधित बोर्ड लगा दिया गया है। उक्त आशय की जानकारी देते हुए एसडीओ मो. शफीक ने बताया कि विगत कुछ माह के अंदर उस घाट पर हुई कई घटनाओं को देखते हुए प्रशासन द्वारा ऐसा कदम उठाया गया है। उन्होंने बताया कि ऐसे असुरक्षित घाटों पर लोग न जाएं, इससे संबंधित जागरूकता जन प्रतिनिधियों तथा क्षेत्र के प्रबुद्ध लोगों को पैदा करनी चाहिए। बावजूद इसके घाट पर पुलिस बल व दंडाधिकारी की प्रतिनियुक्ति की जा रही है। गोताखोर दल को तैनात करने का आदेश दे दिया गया है। पेट्रालिग की व्यवस्था कर दी गई है।

    कल्याणपुर,संस : थानाध्यक्ष ब्रजकिशोर सिंह ने कार्तिक पूर्णिमा स्नान को लेकर विभिन्न घाटों का निरीक्षण किया। जनप्रतिनिधियों सहित क्षेत्रीय चौकीदारों, दफादारों को कई आवश्यक निर्देश दिया। थानाध्यक्ष ने बताया कि कई लोगों के डूबने के कारण प्रशासन पूरी तरह से सतर्क है। गहरे पानी ने नहीं जाने को लेकर लोगों को हिदायत दी जा रही है। नदी घाटों पर बांस का घेरा बना दिया गया है।