समस्तीपुर के दसों सीटों पर एक जैसी कहानी... जन सुराज के रहस्यमय नतीजों ने सबको चौंकाया
Bihar Politics: समस्तीपुर जिले में जन सुराज पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा, जहां किसी भी उम्मीदवार की जमानत नहीं बची। कल्याणपुर में सबसे अधिक 16,574 वोट मिले, जबकि मोरवा में सबसे कम 4,131 वोट प्राप्त हुए। पार्टी को जिले में मतदाताओं का समर्थन हासिल करने के लिए और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।

कल्याणपुर विधानसभा सीट पर सबसे अधिक तो मोरवा में सबसे कम वोट मिले। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, समस्तीपुर। Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव में जिले के दसों विधानसभा क्षेत्रों में जन सुराज पार्टी का प्रदर्शन उम्मीद के विपरीत बेहद कमजोर रहा। किसी भी सीट पर पार्टी के उम्मीदवार जमानत बचाने में सफल नहीं हो सके।
कुल मिलाकर पूरे जिले में पार्टी को मिला जनसमर्थन बहुत सीमित रहा, हालांकि कुछ सीटों पर अपेक्षा से थोड़ी बेहतर स्थिति देखने को मिली। कल्याणपुर विधानसभा में पार्टी के उम्मीदवार रामबालक पासवान को जन सुराज की ओर से पूरे जिले में सबसे ज्यादा 16,574 वोट मिले।
उनके बाद रोसड़ा के रोहित कुमार को 14,913 वोट और विभूतिपुर के विश्वनाथ चौधरी को 13,450 वोट मिले। वोटों की संख्या के आधार पर इन तीन सीटों पर जन सुराज का प्रदर्शन जिले में सबसे बेहतर माना जा रहा है।
वारिसनगर में सत्यनारायण सहनी को 13,081 वोट मिले, लेकिन यह संख्या भी जमानत बचाने के लिए पर्याप्त नहीं रही। उजियारपुर में दुर्गा प्रसाद सिंह को 9,502 वोट और हसनपुर में इन्दु गुप्ता को 9,553 वोट मिले।
ये दोनों सीटें भी पार्टी के लिए औसत प्रदर्शन वाली रही। सबसे निराशाजनक प्रदर्शन समस्तीपुर, मोरवा और मोहिउद्दीननगर विधानसभा क्षेत्रों में देखने को मिला। समस्तीपुर सीट से डा. मनोज कुमार को मात्र 4,938 वोट मिले।
मोरवा में जागृति ठाकुर को 4,131 वोट जो पूरे जिले में सबसे कम है। मोहिउद्दीननगर में राज कपूर सिंह को 4,414 मत मिले, जिससे ये तीनों उम्मीदवार अंतिम पायदान पर रहे।
सरायरंजन से सज्जन मिश्र को 5,493 मत मिले, लेकिन वे भी जमानत बचाने में असफल रहे। इन परिणामों से साफ है कि समस्तीपुर जिले में जन सुराज पार्टी मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल नहीं रही।
पार्टी को कुछ जगहों पर ठीक-ठाक वोट जरूर मिले, लेकिन किसी भी सीट पर मजबूत पकड़ नहीं बन पाई। वोटों का यह आंकड़ा बताता है कि जिले में जन सुराज की चुनावी जमीन अभी कमजोर है और जनता का भरोसा हासिल करने के लिए पार्टी को और मेहनत करनी होगी।

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