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    Hasanpur Constituency: तेजप्रताप की कुर्सी किसे मिलेगी? NDA के राजकुमार और महागठबंधन की माला के बीच कांटे की टक्कर

    Updated: Sun, 26 Oct 2025 03:40 PM (IST)

    समस्तीपुर जिले के हसनपुर विधानसभा चुनाव में अभी गर्माहट नहीं है। पूर्व में यह सीट तेज प्रताप यादव के कारण चर्चित रही। 2010 और 2015 में जदयू के राजकुमार राय विजयी रहे। इस बार जनसुराज और बसपा त्रिकोणीय मुकाबला बनाने की कोशिश में हैं। 

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    हसनपुर सीट पर कड़ा मुकाबला। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, समस्तीपुर। समस्तीपुर जिले की हसनपुर विधानसभा चुनाव की तासीर में अभी वो गर्माहट नहीं आई है। यह सीट पूर्व से भी तत्कालीन विधानसभा उपाध्यक्ष गजेंद्र प्रसाद हिमांशु, काबीना मंत्री राजेंद्र यादव एवं राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव के कारण काफी चर्चित रही है।

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    इस बार तेजप्रताप यादव ने महुआ विधानसभा सीट से अपना नामांकन किया है। 2010 और 2015 के चुनाव में इस सीट से जदयू के राजकुमार राय विजयी होते रहे हैं। जबकि 2005 के चुनाव में सुनील कुमार पुष्पम विजयी हुए थे।

    राजकुमार राय मुख्यमंत्री के विकास कार्य और स्वयं के ऐच्छिक कोष से काराए गए विकास कार्य के सहारे लोगों से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं तो माला पुष्पम अपने पति द्वारा किये गए विकास कार्य के आधार पर मत मांग रहीं हैं।

    इस सीट को त्रिकोणीय बनाने के प्रयास में जुटे हैं जनसुराज के प्रत्याशी इंदू गुप्ता और बसपा की विभा देवी। 2020 के चुनाव में तेज प्रताप यादव को 80991 मत मिले थे। वैसे एमवाई समीकरण के मुकाबले अन्य जातियों की गोलबंदी के सहारे ही उस चुनाव में भी जदयू के उम्मीदवार को 59852 मत मिले थे।

    2015 में जदयू और भाजपा अलग-अलग चुनाव लड़ रही थी। राजद और जदयू के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में जदयू प्रत्याशी राजकुमार राय ने इस सीट से रालोसपा प्रत्याशी विनोद चौधरी को 29600 मतों से पराजित किया था।

    2010 का चुनाव जब जदयू और भाजपा एक साथ मैदान में उतरी तो जदयू प्रत्याशी राजकुमार राय ने राजद प्रत्याशी 3291 मतों से पराजित किया। दोनों चुनाव में काफी भिन्नता थी। इस बार का चुनाव जदयू 2010 और 2020 के समीकरण के आधार पर लड़ रही है। वैसे इस बार के चुनाव में मतदाता क्या गुल खिलाएंगे वह 6 नवंबर को ही पता चल पाएगा।

    अजीब है हसनपुर विधानसभा क्षेत्र की बुनावट

    इस विधानसभा में तीन प्रखंड समाहित हैं। बिथान, हसनपुर और सिंघिया। बिथान प्रखंड की जगमोहरा पंचायत का बेलाही और सनोखरा गांव समस्तीपुर की सीमा है। इसके बाद वाले इलाके को लोग फरकिया कहते हैं।

    अन्य क्षेत्र की तुलना में फर्क यहां साफ नजर आता है। अकबर के नवरत्नों में से एक टोडरमल नदियों के जाल के कारण इस इलाके की जमीन की पैमाइश नहीं करवा पाए। उन्होंने इसे फरक (अलग) कर दिया। तब से इस इलाके को इसी नाम से जाना जाता है।

    चार जिलों की सीमाएं छूता है बिथान

    जगमोहरा पंचायत का बेलाही और सनोखरा गांव समस्तीपुर की सीमा है। इसके बाद वाले इलाके को लोग फरकिया कहते हैं। अन्य क्षेत्र की तुलना में यहां फर्क है।

    प्रखंड की मरथुरआ (बेगूसराय), सलहा चंदन (दरभंगा), बेलाही (खगड़िया), खोटा तिलकपुर (सहरसा व सुपौल) चार जिलों को छूती हैं। जगमोहरा पंचायत में करेह, कमला, कोसी का संगम है। माघ में यहां मेला लगता है।

    जातीय फैक्टर है अहम, शुरू से ही हाेते रहे हैं यादव जाति के विधायक

    हसनपुर विधानसभा सीट में यादव जाति की बहुलता है। यही वजह है कि स्थापना के समय से ही इस सीट से यादव जाति के उम्मीदवार ही विजयी होते रहे हैं। ये हर बार जीत हार में निर्णायक होते रहे हैं।

    कई बार तो इस जाति से जुड़े गोत्र कृष्णनौत और मजरौठ के बीच भी खाई बनती रही है। यादव के बाद मल्लाह, कुशवाहा और मुस्लिम की भी तादाद कम नहीं है। सर्वाधिक आठ बार विजयी होने का रिकॉर्ड गजेंद्र प्रसाद हिमांशु के नाम रहा है।

    जदयू और राजद के बीच सीधी टक्कर, त्रिकोणीय बनाने में जुटा जनसुराज और बसपा

    रामपुर गांव होते हुए हसनपुर विधानसभा में हम प्रवेश करते हैं। बाजार आज भी जाम की समस्या से निजात नहीं पा सका है। वर्षों से यहां बाइपास की कमी खटक रही है। हसनपुर के रामचंद्र यादव बताते हैं कि इस बार तो आर-पार की लड़ाई है। एक वर्ग जदयू और राजद में सीधी टक्कर देख रहा है।

    जातिगत समीकरण के आधार पर देखें तो जदयू को सीट बचाने के लिए राजद के वोट में सेंधमारी करनी होगी। बसपा ने भी यादव जाति के उम्मीदवार विभा देवी को मैदान में उतारा है। वो काफी समय तक बिथान प्रखंड की प्रमुख रही। जबकि जनसुराज ने इंदू गुप्ता को यहां प्रत्याशी बनाया है।

    2015 के चुनाव में जदयू प्रत्याशी राजकुमार राय ने रालोसपा प्रत्याशी विनोद चौधरी को 29600 मत से पराजित किया था। यह स्थिति तब थी जब जदयू राजद के साथ चुनावी मैदान में थी और रालोसपा भाजपा के साथ मैदान में थी।

    उस चुनाव में जनाधिकार पार्टी से  मैदान में उतरे सुनील कुमार पुष्पम 19000 मत प्राप्त कर चुके थे। सभी को 6 नवंबर का इंतजार है।