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    कर्मियों के सेवापुस्त संधारण में पूर्व सहायक की लापरवाही उजागर

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 10 Mar 2022 11:36 PM (IST)

    समस्तीपुर। नगर परिषद (उत्क्रमित नगर निगम) में कार्यरत कर्मियों की नियुक्ति में संशय बरकरार है। इसका कारणकर्मियों की नियुक्ति से संबंधित कोई ठोस अभिलेख कार्यालय में उपलब्ध नहीं हैं।

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    कर्मियों के सेवापुस्त संधारण में पूर्व सहायक की लापरवाही उजागर

    समस्तीपुर। नगर परिषद (उत्क्रमित नगर निगम) में कार्यरत कर्मियों की नियुक्ति में संशय बरकरार है। इसका कारण,कर्मियों की नियुक्ति से संबंधित कोई ठोस अभिलेख कार्यालय में उपलब्ध नहीं हैं। उत्क्रमित नगर निगम में कार्यरत तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों की सेवापुस्त नियुक्ति की तिथि से संधारित नहीं है। अधिकांश कर्मियों की सेवापुस्त पर किसी पदाधिकारी के हस्ताक्षर भी नहीं है। कर्मियों की नियुक्ति किस पत्रांक और दिनांक से हुई यह भी वर्णित नहीं है। निगम में कार्यरत 29 सेवारत कर्मियों की सेवापुस्त कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि विभागीय सत्यापन के बिना ही कर्मियों को वेतन का लाभ किस प्रकार दिया जा रहा है। बुधवार को स्थापना उपसमाहर्ता ऋषव राज के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम ने निगम कार्यालय में पहुंचकर कर्मियों के मूल सेवा पुस्त से संबंधित अभिलेख और संचिकाओं की जांच की। जांच में यह सामने आया कि कर्मियों की सेवापुस्त संधारण में पूर्व से कार्यरत स्थापना सहायक एवं प्रधान सहायक के द्वारा लापरवाही बरती गई है। सेवापुस्त अवलोकन में कई त्रुटियां पाई गई। अधिकांश सेवापुस्त के मुख्य पृष्ठ पर सेवापुस्त खोलने वाले पदाधिकारी का हस्ताक्षर और सत्यापन अंकित नहीं है। सेवापुस्त में कर्मियों की नियुक्ति से संबंधित आदेश का ज्ञापांक, दिनांक एवं किस पद पर तथा किस वेतनमान से नियुक्ति किए गए हैं, यह भी अंकित नहीं पाया गया। अधिकांश सेवापुस्त अद्यतन संधारित नहीं है और न ही उसपर चतुर्थ वेतन निर्धारित अंकित है। सेवापुस्त में समय- समय पर कर्मियों को दिए गए वेतन वृद्धि भी अंकित नहीं है। न ही उस पर किसी पदाधिकारी के हस्ताक्षर हैं। निगम में कार्यरत 29 सेवारत कर्मियों का सेवापुस्त कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। स्थापना उप समाहर्ता के द्वारा पूर्व प्रधान सहायक से कारण पृच्छा की गई है। लगातार 20 वर्षों से नगर निगम समस्तीपुर कार्यालय में पदस्थापित रहने तथा स्थापना से संबंधित कार्याें को देखे जाने के बाद भी उक्त त्रुटियों का निराकरण क्यों नहीं किया गया। पूर्व सहायक ने संचिकाओं को उपलब्ध कराने के लिए अगले 15 दिनों की मोहलत ली है। स्थापना उप समाहर्ता ने पूर्व सहायक को नगर परिषद उत्क्रमित नगर निगम की स्थापना से संबंधित सभी पूर्व के वेतन भुगतान, पंजी, वेतन अभिश्रव, मास्टर रौल पंजी, आवंटन, विपत्र पंजी, अग्रिम भुगतान पंजी एवं सेवानिवृत और मृत कर्मियों के सेवांत लाभ के भुगतान से संबंधित संचिका, अनुकंपा आधार पर नियुक्ति से सबंधित संचिका, अंकेक्षण प्रतिवेदन से संबंधित संचिका आदि का प्रभार बनाकर वर्तमान प्रभारी प्रधान सहायक को आगामी 21 मार्च तक हस्तगत कराने का आदेश दिया है। निर्धारित तिथि तक प्रभार नहीं दिए जाने पर इसे गंभीरता से लेते हुए अनुशासनिक कार्रवाई हेतु उच्चाधिकारी को प्रतिवेदित कर दिया जाएगा। जांच टीम में स्थापना उपसमाहर्ता के अलावा जिला सामान्य प्रशाखा के प्रधान सहायक मिथिलेश कुमार वर्मा, समाहरणालय के लेखा सह स्थापना लिपिक धीरेन्द्र कुमार धीरज शामिल रहे।

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    क्या है मामला

    नगर परिषद उत्क्रमित नगर निगम में कार्यरत तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों के सेवापुस्त का नियुक्ति के समय से ही संधारित नहीं है। इसका कारण है कि अधिकांश कर्मियों के सेवापुस्त पर किसी पदाधिकारी के हस्ताक्षर नहीं है। कर्मियों की नियुक्ति किस पत्रांक, दिनांक से हुई है वह भी वर्णित नहीं है। वर्ष 1983-84 से कार्यरत कर्मियों की नियुक्ति से संबंधित कोई ठोस अभिलेख कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। इस कारण कर्मियों को पंचम व षष्ठम वेतन का सत्यापन नगर विकास एवं आवास विभाग से नहीं हो पा रहा है। विभागीय सत्यापन के बिना ही कर्मियों को वेतन का लाभ दिया जा रहा है। नगर निगम में फिलहाल 104 स्थाई कर्मी हैं। इसमें सेवारत 29 कर्मियों की सेवापुस्त अबतक खुल नहीं पाई है। इसको लेकर पूर्व के तत्कालीन जिलाधिकारी सह नगर प्रशासक शशांक शुभंकर ने जांच टीम गठित कर जांच का आदेश दिया था।

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    आवास योजना में भी वित्तीय अनियमितता के आरोप से घिरे पूर्व सहायक, स्पष्टीकरण का नहीं मिला जबाब नगर परिषद उत्क्रमित नगर निगम कार्यालय में शहरी आवास योजना के नाम पर करीब 35 लाख रुपये वित्तीय अनियमितता एवं गबन का मामला उजागर हुआ। मामला संज्ञान में आने के बाद बीते 3 फरवरी को नगर आयुक्त ने पूर्व सहायक अशोक गुप्ता से 72 घंटे के बीच स्पष्टीकरण मांगा था। एक माह बाद भी इसका कोई जबाव नहीं है और न ही कोई विभागीय कार्रवाई की गई। मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। बतादें कि मामला वर्ष 2017-18 में नगर परिषद समस्तीपुर को सीएफएमएस के माध्यम से शहरी आवास योजना मद में लाखों रुपये आवंटन से जुड़ा है। इसमें लाभुकों के बीच वितरित राशि में भारी अनियमितता बरती गई है। जिस लाभुकों का नाम सूची में नहीं था, उन्हें भी गलत तरीके से भुगतान कर दिया गया। इसके अलावा कर्मियों के वेतन एवं एसबीएम मद में 15 लाख 22 हजार 128 रुपये का विचलन भी सामने आया है।

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    नगर निगम से संचिका ले जा रहे पूर्व सहायक से कर्मियों की नोंकझोंक

    नगर निगम से चोरी छिपे संचिका ले जा रहे पूर्व सहायक अशोक गुप्ता व कर्मियों के बीच नोंकझोंक का एक वीडियो वायरल हुआ है। वायरल वीडियो में पूर्व सहायक अशोक गुप्ता नगर निगम कार्यालय से एक कर्मी के साथ बाइक से झोले में कुछ संचिकाओं को लेकर निकल रहे हैं। जहां मुख्य द्वार पर ही कर्मियों ने घेर लिया। इस क्रम में कर्मियों से कुछ नोंक झोंक भी हुई। कर्मियों का आरोप है कि पूर्व सहायक निगम कार्यालय से सरकारी संचिकाओं को गायब करने की कोशिश में लगे हैं। इन संचिकाओं में कर्मियों की सेवापुस्त भी हैं। कर्मियों ने पूर्व सहायक के हाथ से संचिकाओं से भरा झोला निगम प्रशासन को सुपुर्द कर दिया।