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    जिला संयुक्त औषधालय में मरीज आते रोज, चिकित्सक कभी-कभी

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 02 Oct 2019 06:28 AM (IST)

    मंगलवार को दिन के बारह बजे चारों तरफ पसरी खामोशी। डॉक्टर साहब के केबिन के आगे बैठे सहायक समय काट रहे। बाहर से आदमी को आता देख दूर से ही कह देते हैं डॉक्टर साहब नहीं हैं बाद में आइएगा। कोई निश्चित दिन या टाइम नहीं बताया जा रहा। ये है राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय सह जिला संयुक्त औषधालय।

    जिला संयुक्त औषधालय में मरीज आते रोज, चिकित्सक कभी-कभी

    समस्तीपुर । मंगलवार को दिन के बारह बजे, चारों तरफ पसरी खामोशी। डॉक्टर साहब के केबिन के आगे बैठे सहायक समय काट रहे। बाहर से आदमी को आता देख दूर से ही कह देते हैं, डॉक्टर साहब नहीं हैं, बाद में आइएगा। कोई निश्चित दिन या टाइम नहीं बताया जा रहा। ये है राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय सह जिला संयुक्त औषधालय। थानेश्वर मंदिर से सटे इस औषधालय की अहमियत इतनी है कि होमियोपैथिक, आयुर्वेदिक और यूनानी मिलाकर औसतन 80 से 100 मरीज इलाज के लिए हर रोज आते हैं। लेकिन, विभाग में कामकाज और इन मरीजों का इलाज कैसे होता है, इसका एक उदाहरण मंगलवार को देखने को मिला। इलाज और परामर्श के लिए कोई सरायरंजन से आ रहा तो बारह पत्थर से। होमियोपैथिक और आयुर्वेद पर भरोसा कर लोग आते तो हैं, लेकिन यहां समय से डॉक्टर ही नहीं मिलते, इलाज कैसे होगा। निराश होकर व्यवस्था को कोसते हुए लौट जा रहे।

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    होमियोपैथिक व आयुर्वेदिक बाह्य विभाग में पसरा सन्नाटा

    होमियोपैथिक व आयुर्वेदिक बाह्य विभाग में सुबह 11:44 बजे सन्नाटा पसरा है। जिला संयुक्त औषधालय के होमियोपैथिक चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. जीएमएम महबूब और आयुर्वेदिक चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अनिल कुमार सिन्हा का पता नहीं। जबकि, कार्यालय के बाहर एक नोटिस लगा है, जिसपर हॉस्पीटल की समय-सारिणी सुबह आठ बजे से दो बजे दोपहर तक लिखी हुई है। कार्यालय के बाहर बैठीं सहायक तिलखी देवी बताती हैं कि डॉ. जीएमएम महबूब इन दिनों छुट्टी पर चल रहे। पांच दिन से अवकाश पर हैं और 10 अक्टूबर के बाद ही आएंगे। उधर, डॉ. अनिल कुमार सिन्हा के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। बड़ा बाबू मो. अहसनुल्लाह कहते तो हैं कि वे भी छुट्टी पर हैं, पर कोई आवेदन नहीं दिखा पाते। अब विभाग की यह हालत है कि वहां मरीजों को देखने वाला तक कोई नहीं है।

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    दोनों कंपाउंउर का भी पता नहीं

    विभाग में दो कंपाउंडर भी तैनात हैं। एक चंद्रबलि चौधरी और दूसरे चंद्रभूषण रजक। इनका भी कोई अता-पता नहीं। बड़ा बाबू बताते हैं कि चंद्रभूषण रजक छुट्टी पर हैं। जबकि, चंद्रबलि चौधरी के बारे में कोई सूचना नहीं। कर्मी आपस में बात करते हैं कि पता नहीं दलसिंहसराय गए हैं या कहीं और। सही और सटीक सूचना किसी के पास नहीं। जिस आयुष विभाग और परंपरागत चिकित्सा पद्धति को सरकार संजीवनी देना चाहती है, वहां ऐसे इलाज चल रहा।

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    11:51 तक साहब का भी केबिन खाली

    जिला देसी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सुरेश लाल साह अपने केबिन में 11:51 तक उपस्थित नहीं हैं। यहां मौजूद कर्मी बताते हैं कि डॉक्टर साहब आते ही होंगे। किसी के पास उनके बारे में सूचना नहीं है। इधर, मरीज आ रहे और लौट रहे। बारह पत्थर से बहू का इलाज कराने आई जलेश्वरी देवी कहती हैं कि अंग्रेजी में बहुत इलाज कराया, फायदा नहीं हुआ तो यहां लेकर आई। अब यहां डॉक्टर बाबू मिलते ही नहीं। महीना दिन से दौड़ रही। हर रोज एक ही जवाब, बाद में आना..।