पूरी रात नोट जलाने वाले इंजीनियर विनोद राय की गांव में रही 'मददगार' वाली छवि, जरूरतमंदों को बिना ब्याज देते रुपये
पटना में ईओयू द्वारा इंजीनियर विनोद कुमार राय के घर पर छापेमारी के बाद उनके गांव खरहिया में लोग हैरान हैं। टीका लाल के नाम से मशहूर विनोद पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं जिससे ग्रामीणों को विश्वास नहीं हो रहा। गांव में उनकी अकूत संपत्ति और सामाजिक कार्यों में योगदान की चर्चा थी लेकिन अब उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हो गई है।
संवाद सहयोगी, रोसड़ा (समस्तीपुर)। Bihar News:पटना में ईओयू के हत्थे चढ़े ग्रामीण कार्य विभाग के अधीक्षण अभियंता विनोद कुमार राय अपने पैतृक गांव में सभी के चहेते व मशहूर भी हैं। समस्तीपुर के हसनपुर प्रखंड के खरहिया में टीका लाल के नाम से वे चर्चित हैं।
गांव के लाल इंजीनियर साहब पर लगे भ्रष्टाचार व नोट जलाने के आरोप पर ग्रामीण अभी भी पूर्ण विश्वास नहीं कर रहे हैं। इलेक्ट्रानिक मीडिया एवं समाचार पत्र में खबर प्रकाशित होने के बाद से दबी जुबान प्रारंभ हुई चर्चा गांव से बाजार के चौक चौराहा तक जोर पकड़ लिया है।
अभियंता बनने के बाद समृद्धि में लगा चार चांद
लोगो की मानें तो इंजीनियर साहब के पिता स्व.रामचंद्र राय गांव के मध्यम वर्गीय किसान थे। चार भाइयों में सबसे छोटे विनोद कुमार राय पालीटेकनिक की परीक्षा पास कर कनीय अभियंता बने। उसके बाद से धीरे-धीरे परिवार का आर्थिक उत्थान नजर आने लगा।
समृद्धि में चार चांद लग गया। बीते एक दशक में अकुत संपत्ति अर्जन करना बताया जाता है। इसमें दूधपुरा पंचायत अंतर्गत खरहिया वार्ड नंबर 15 में बना सभी सुविधाओं से लैश चार मंजिला आलीशान मकान तथा गांव में बड़ा बड़ा गोदाम तथा करोड़ों की जमीन खरीद करने के साथ दुधपुरा-सिंघिया पथ पर नव निर्मित पेट्रोल पंप भी इंजीनियर विनोद राय का ही बताया जाता है।
वहीं रोसड़ा में भी करीब पांच एकड़ जमीन के साथ साथ यूआर कालेज से पूर्व निर्माणाधीन एक बड़ा मकान भी उन्हीं का बताया जा रहा है। इसके अलावा समस्तीपुर में एक बड़ा आवासीय भवन भाड़े पर लगा रहना तथा मुजफ्फरपुर एवं अन्य शहरों में भी अपना मकान होने की चर्चा की जा रही है।
टीका लाल की असलियत से मर्माहत हैं ग्रामीण
ईओयू के छापा में अधीक्षण अभियंता विनोद कुमार राय उर्फ टीका लाल गांव में मशहूर थे। समाज के प्रति इनके समर्पण की चर्चा आम थी। गरीब गुरबों की मदद तथा धर्म कार्य में आर्थिक सहयोग के कारण ग्रामीणों के आंखो के तारा थे।
गांव में शादी-विवाह से श्राद्ध कर्म तक किसी को भी जरूरत पड़ने पर बगैर किसी ब्याज के मोटी रकम देना तथा निर्धन लोगों को ऐसे मौके पर सहायता के रूप में रुपये देते थे। लोगो की मानें तो कोई भी जरूरतमंद खाली हाथ नहीं लौटता था।
गांव के मंदिर निर्माण में भी मोटी रकम उन्होंने दी। इन कारणों से समाज में इंजीनियर साहब काफी प्रतिष्ठा अर्जित कर चुके थे। अचानक ईओयू की छापामारी में उनकी असलियत सामने अति ही गांव समाज में बनी उनकी ऊंची प्रतिष्ठा नीचे गिर गई।
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