नवोदय विद्यालय प्रवेश परीक्षा में बड़ी लापरवाही, 80% अभ्यर्थी परीक्षा से वंचित
Navodaya entrance exam: समस्तीपुर में जवाहर नवोदय विद्यालय चयन परीक्षा में भारी लापरवाही सामने आई है। 8949 पंजीकृत छात्रों में से 4313 अनुपस्थित रहे। ...और पढ़ें

JNV admission test issue: नवोदय विद्यालय प्रवेश परीक्षा से अनुपस्थित रहे 4313 छात्र। फाइल फोटो
संवाद सहयोगी, पूसा(समस्तीपुर)! JNV admission test issue: जवाहर नवोदय विद्यालय चयन परीक्षा (कक्षा 6) इस वर्ष गंभीर अव्यवस्थाओं और प्रशासनिक लापरवाही की भेंट चढ़ गई।
13 दिसंबर (शनिवार) को आयोजित इस परीक्षा में कुल 8949 पंजीकृत छात्रों में से मात्र 4636 परीक्षार्थी ही शामिल हो सके। जबकि 4313 छात्र परीक्षा से वंचित रह गए।
इसके पीछे सबसे बड़ी वजह परीक्षा केंद्रों के चयन में की गई घोर लापरवाही बताई जा रही है। जानकारी के अनुसार जिले के सुदूर और पिछड़े प्रखंडों बिथान, सिंघिया और मोहनपुर के सभी परीक्षार्थियों का परीक्षा केंद्र समस्तीपुर मुख्यालय निर्धारित कर दिया गया, जो इन क्षेत्रों से अत्यधिक दूरी पर स्थित है।
परिणामस्वरूप गरीब और संसाधनहीन अभिभावक अपने बच्चों को तय समय पर परीक्षा केंद्र तक नहीं पहुंचा सके। बिथान प्रखंड में पंजीकृत 1622 छात्रों में से 1270 छात्र अनुपस्थित रहे।
इसी तरह सिंघिया प्रखंड में 1003 में से 704 तथा मोहनपुर प्रखंड में 335 में से 241 अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल नहीं हो सके अर्थात बिथान के 80 प्रतिशत,सिंघिया के 70 प्रतिशत और मोहनपुर प्रखण्ड के 72 प्रतिशत छात्रा परीक्षा में अनुपस्थित हो गए।
ठंड के मौसम में लंबी दूरी तय करना अभिभावकों के लिए अत्यंत कठिन साबित हुआ, जिसका सीधा असर बच्चों की उपस्थिति पर पड़ा। विदित हो कि पूर्व वर्षों में नवोदय चयन परीक्षा के केंद्र छात्रों और अभिभावकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए सभी अनुमंडलों—रोसड़ा, दलसिंहसराय, पटोरी और समस्तीपुर में बनाए जाते थे।
इससे दूर-दराज के क्षेत्रों के छात्रों को बड़ी राहत मिलती थी। इस बार इस व्यवस्था को अचानक समाप्त कर देना अदूरदर्शी और संवेदनहीन नीति को उजागर करता है।
इतना ही नहीं, शिवाजीनगर प्रखंड के कई अभ्यर्थियों के प्रवेश पत्र में परीक्षा केंद्र का नाम स्पष्ट रूप से अंकित नहीं था। इस प्रखंड का वास्तविक परीक्षा केंद्र उत्क्रमित उच्च विद्यालय, धुरलख था, लेकिन प्रवेश पत्र में धुरलख का उल्लेख नहीं होने के कारण अभ्यर्थियों और अभिभावकों को केंद्र खोजने में भारी परेशानी हुई।
भ्रम और असमंजस के कारण कई छात्र परीक्षा में शामिल ही नहीं हो सके। इस लापरवाही की जिम्मेदारी भी परीक्षा संचालित करने वालों पर ही कहीं न कहीं आकर ठहर जाती है।
स्थानीय अभिभावकों और शिक्षाविदों का कहना है कि नवोदय विद्यालय जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा के संचालन में ऐसी अव्यवस्था की उम्मीद नहीं की जा सकती। प्रशासनिक गलत फैसलों और लापरवाही के कारण सैकड़ों गरीब, मेहनती और प्रतिभावान बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो गया है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन इन बच्चों के भविष्य की जिम्मेदारी लेगा या यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा। जवाहर नवोदय विद्यालय के प्राचार्य आरएस झा बताते हैं कि पिछले तीन वर्षों से परीक्षार्थियों का अनुपात घटा है लेकिन अन्य जिले की तुलना में इस बार काफी कम उपस्थिति रही। इसके पीछे की वजह को तलाशा जा रहा है।

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