'पति आवारा है तो...', विवादास्पद स्लोगन पर बिहार एड्स नियंत्रण समिति ने मांगा जवाब, अधिकारी पर लटकी तलवार
समस्तीपुर जिले में विश्व एड्स दिवस पर जागरूकता अभियान के दौरान एक आपत्तिजनक नारा सोशल मीडिया पर वायरल होने से विवाद हो गया। बिहार एड्स नियंत्रण समिति ...और पढ़ें

विवादास्पद स्लोगन पर बिहार एड्स नियंत्रण समिति ने मांगा जवाब
जागरण संवाददाता, समस्तीपुर। समस्तीपुर जिले में विश्व एड्स दिवस पर जागरूकता के लिए लगाया गया आपत्तिजनक भाषा में नारा इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हो रहा है। इस पर लोगों द्वारा आपत्ति जताई जा रही है।
कार्यक्रम के दौरान एक दिसंबर को सिविल सर्जन डॉ. एसके चौधरी के सामने एएनएम स्कूल की छात्रा से परदेश नहीं जाना बलम जी, एड्स नहीं लाना बलम जी, अगर पति आवारा है तो कंडोम सहारा है नारा लगाया गया। यह नारा सदर अस्पताल एआरटी केंद्र के परामर्शी विजय कुमार मंडल लगवा रहे थे।
परामर्शी विजय से स्पष्टीकरण किया गया
बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के अपर परियोजना निदेशक डॉ. एनके गुप्ता ने परामर्शी विजय से स्पष्टीकरण किया है। इसमें कहा गया कि विश्व एड्स दिवस पर सदर अस्पताल में आयोजित रैली में लगाए गए नारों में आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया।
एड्स नियंत्रण समिति द्वारा आयोजित किसी भी कार्यक्रम में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के द्वारा स्वीकृत बैनर, पोस्टर एवं नारा का ही उपयोग किया जाना है। इसको लेकर पत्र प्राप्ति के तीन दिनों के अंदर स्पष्ट करें कि क्यों नहीं उक्त कृत्य के लिए कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल
जिला एड्स नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. विशाल कुमार ने पराशर्मी विजय एवं कामोद कुमार से स्पष्टीकरण किया है। विदित हो कि एएनएम स्कूल की छात्राओं द्वारा लगाए गए नारेबाजी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। काफी संख्या में लोगों ने इस पर आपत्ति जाहिर की।
यह रैली सदर अस्पताल से निकल कर गोलंबर चौराहा, समाहरणालय, अनुमंडल पदाधिकारी कार्यालय सहित विभिन्न सड़क मार्गों से होते हुए सदर अस्पताल पहुंचा। इस दौरान छात्राओं ने सुरक्षित जीवनशैली अपनाने, समय पर एचआइवी जांच कराने और एड्स से जुड़े मिथको को दूर करने का संदेश दिया।
नारा सुनने के बाद सीएस को भी लगा था अटपटा
सिविल सर्जन ने कहा कि विश्व एड्स दिवस पर स्वास्थ्य विभाग की ओर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें आमजन को जागरूक करने का संदेश दिया गया। जब नारेबाजी हो रही थी, तब मुझे थोड़ा अटपटा लगा था।
बच्चियां ये बोल रही थी, मुझे लगा कि उन्हें किसी ने लिखकर ही दिया होगा, वे अपने मन से तो नहीं बोल सकती है। स्लोगन की बात जहां तक है, ये एनजीओ की ओर से लिखा गया था।

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