शरीर के प्राण शक्ति को बढ़ाता प्राणायाम
समस्तीपुर। आसन, प्राणायाम, मुद्रा व बंद। चार ऐसी प्राणायाम की क्रियाएं है जिसकी बदौलत कोई भी
समस्तीपुर। आसन, प्राणायाम, मुद्रा व बंद। चार ऐसी प्राणायाम की क्रियाएं है जिसकी बदौलत कोई भी इंसान अपने सेहत की रक्षा कर सकता है। मंगलवार को जिले की ख्यातिप्राप्त योग प्रशिक्षक वर्षा आनंद ने कहा कि प्राण का विस्तार समस्त ब्रह्मांड में विद्यमान है। प्राणायाम प्रक्रियाओं की वह श्रृंखला है, जिसका उद्देश्य शरीर की प्राण शक्ति को बढ़ाना है। इसका अंतिम उद्देश्य संपूर्ण शरीर में प्राण प्रवाहित करना है। बताया कि सूक्ष्म रूप से प्राणायाम सांस के माध्यम से प्राण के नाड़ियों एवं प्राण के प्रवाह पर प्रभाव डालता है। नाड़ियों का शुद्धिकरण होता है और भौतिक व मानसिक स्थिरता प्राप्त होता है। तनाव के लिए प्राणायाम उपयोगी है। इसके माध्यम से मनुष्य का मन पर अधिकार होता है। कहा कि शरीर में स्थित प्राण को परंपरा के अनुसार पांच उपविभागों में विभाजित किया गया है। सामूहिक रूप से इन्हे पंच प्राण कहा जाता है। जिसमें प्राण, अपान, समान, उदान व ब्यान शामिल है। उन्होंने नाड़ी शोभन व भ्रामरी प्राणायाम के संदर्भ में जानकारी देते ह ए कहा कि उक्त दोनों हीं सरल व विशेष लाभदायक प्राणायाम है।
नाड़ी शोभन प्राणायाम की विधि
इस प्राणायाम के संदर्भ में विधि की जानकारी देते हुए कहा कि किसी भी सामान्य आसन में बैठना है। आसन ऐसा होना चाहिए जिस पर कम से कम 15 मिनट तक आराम से बैठा जा सके। हाथों को घुटनों पर रखकर मेरूदंड, सिर व मुख को सीधा करना है। पुरे शरीर को शांत व स्थिर रखना है। आंखों को बंद कर मानसिक व शारीरिक रूप से तैयार करना है। बताया कि 15 दिनों तक प्रतिदिन अभ्यास के लिए बाये हाथ घुटने पर रखते हुए दाहिना हाथ को मस्तक पर भूमध्य रखना है। इन हाथों की अंगुलियों का उपयोग नासिका छिद्रों के सांस के नियंत्रण के लिए करना है। तर्जनी व मध्यमा को भूमध्य पर इस स्थिति में रखना है कि पूरे अभ्यास काल में हटाना नही पड़े। अंगूठा को दाहिना नासिका छिद्र के समीप रखना है। अनामिका को बाये नासिका छिद्र के समीप रखना है। अब दाये नाक से सांस लेना और बाये नासिका छिद्र को अनामिका से बंद करना है। फिर बाये को खोल उसके सांस को छोड़ना है। अब बाये से सांस लेकर दाहिना से छोड़ना है। चार सांस को एक चक्र बताते हुए कहा कि इस अभ्यास को दस चक्र तक करना है। इस प्राणायाम को करने के लिए योग्य प्रशिक्षक से सीखने की सलाह दी।
इससे होगा लाभ
बताया कि इस प्राणायाम से मन को स्थिरता व शांति प्राप्त होता है। इससे प्राण के सभी मार्ग खुल जाते है। यह विषैली शक्तियों को दूर कर रक्त संस्थान को शुद्ध करता है। साथ हीं शरीर का पोषण अतिरिक्त ऑक्सीजन से होता है। शरीर से कार्बन डाईऑक्साइड का निष्कासन के बाद संपूर्ण शरीर स्वस्थ्य हो जाता है। हाई ब्लड प्रेशर, गुर्दा रोग व डायबिटीज वालों के लिए लाभदायक है। तनाव रोगियों, नींद की समस्या वालों को लाभ मिलेगा। यह यादाश्त बढ़ाता व चेहरों को चमक प्रदान करता है।
कैसे करे भ्रामरी प्राणायाम
बताया कि इस प्राणायाम को करने के लिए किसी आसन में बैठना है। मेरूदंड को सीधा व मुंह सामने रखना है। आंखे बंद कर शरीर को शांत व शिथिल रखना है। प रे अभ्यास के दौरान मुंह बंद रखकर नासिका छिद्र से सांस लेना है। दोनों हाथों को उठाकर कानों को बंद करना है। तत्पश्चात सांस लेते हुए छोड़ने के समय मधुमक्खी की गूंज का दीर्घ अखंड ध्वनि करते हुए धीरे-धीरे सांस छोड़ना है। मस्तिष्क में इन ध्वनि तरंगों का अनुभव करना है। इसे कम से कम 10 बार करना है।
इससे मिलेगा लाभ
कहा कि यह प्राणायाम मानसिक तनाव, क्रोध, ¨चता व विच्छेद को दूर करता है। रक्तचाप व गले का रोग कम करता है। स्वर में मधुरता लाता है और आध्यात्मिक ध्वनि के प्रति जागरूक बनाता है।
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