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    Samastipur News : 11 माह से कार्टन में कैद जीवनरक्षक मशीन, लाइसेंस और इंस्टालेशन में उलझा महकमा

    By Prakash Kumar Edited By: Dharmendra Singh
    Updated: Thu, 27 Nov 2025 04:47 PM (IST)

    समस्तीपुर सदर अस्पताल में 25.75 लाख की ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन मशीन 11 महीने से बंद है, जिससे मरीजों को प्लाज्मा और प्लेटलेट्स के लिए पटना जाना पड़ता है। भारत पेट्रोलियम ने यह मशीन सीएसआर के तहत दी थी, लेकिन लाइसेंस प्रक्रिया में देरी के कारण इंस्टालेशन नहीं हो पाया है। मशीन लगने से थैलेसीमिया और डेंगू रोगियों को लाभ मिलेगा, जिन्हें आरबीसी और प्लेटलेट्स की जरूरत होती है। जिले में दो ब्लड बैंक होने पर भी सुविधा नहीं मिल रही है।

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    रेड क्रास भवन में कार्टन में बंद पड़ा ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन मशीन। जागरण

    प्रकाश कुमार, समस्तीपुर । समस्तीपुर सदर अस्पताल के रेड क्रास रक्त संग्रह केंद्र में ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन मशीन 11 महीने से कार्टन में बंद है। इस कारण में मरीजों को प्लाज्मा और प्लेटलेट्स के लिए पटना के ब्लड बैंकों की दौड़ लगानी पड़ती है।

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    सीएसआर के तहत भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन ने 25.75 लाख रुपये की कंपोनेंट सेपरेशन मशीन जनवरी 2025 में दी थी। इसमें 23 अलग-अलग मशीनें हैं। मशीन इंस्टाल करने के लिए लाइसेंस लेने की प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं की गई है। इसे इंस्टाल कराने की दिशा में प्रक्रिया धीमी गति से चल रही है।

    समस्तीपुर में ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट संचालित करने के लिए मशीन उपलब्ध कराया गया है लेकिन, 11 महीने बीत जाने के बाद भी रेड क्रास स्थित रक्त संग्रह केंद्र में ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट शोभा की वस्तु बनी हुई है। मशीन इंस्टाल होने के उपरांत लाइसेंस लेने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इसके शुरू होने से एक यूनिट रक्त से कई मरीजों की जरूरतें पूरी होंगी।

    शहर के मोहनपुर निवासी रौशन कुमार ने बताया कि उनकी पुत्री सान्वी थैलेसीमिया पीड़ित है। उसे आरबीसी चढ़ाया जाना है। लेकिन, ब्लड बैंक से कंपोनेंट ब्लड नहीं मिलता है। ऐसे में अत्यधिक मजबूरी में होल ब्लड चढ़ाना पड़ता है। जिससे बच्ची को अधिक परेशानी होती है।

    रोसड़ा निवासी राजेश कुमार ने बताया कि उसका पुत्र भी थैलेसीमिया पीड़ित है। ब्लड के लिए पटना व मुजफ्फरपुर जाने की मजबूरी बनी रहती है। कभी-कभी अत्यधिक जरूरी पड़ने पर होल ब्लड चढ़ाने से आयरन की मात्रा बढ़ जाती है।

    सीएसआर के तहत भारत पेट्रोलियम ने दी थी मशीन 

    सीएसआर के तहत भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन ने 25.75 लाख रुपये का कंपोनेंट सेपरेशन मशीन दिया था। रेड क्रास ब्लड बैंक को संचालन का जिम्मा सौंपा गया था। इसमें 23 उपकरण शामिल है। ब्लड बैंक रेफ्रिजरेटर, डोनर कोच मोटोराइज्ड, ब्लड कलेक्शन मानिटर, ट्यूब स्टीपर, ट्यूब सेलर, प्लाज्मा थोइंग बाथ, ब्लड बैंक सेंट्रीफ्यूज, प्लेटलेट्स इंक्यूबेटर, प्लेटलेट्स एजिएटर, डीप फ्रीजर, नीडल डिस्ट्रायर, प्लाज्मा एक्सप्रेशर सहित अन्य सामान है। इससे उम्मीद है कि शीघ्र ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन इकाई की स्थापना होने के साथ ही सुविधा मिलनी शुरू हो जाएगी।

    दो-दो ब्लड बैंक, लेकिन नहीं मिल रही सुविधा 

    जिले में दो-दो ब्लड बैंक संचालित होते हैं। सदर अस्पताल एवं रेड क्रास में है। यहां खून मिल जाता है, लेकिन प्लेटलेट्स की आवश्यकता पड़ने पर मरीजों को पटना रेफर कर दिया जाता है। इससे कई बार मरीज की रास्ते में ही जान चली जाती है। गंभीर स्थिति से निपटने के लिए सदर अस्पताल व मेडिकल कालेज में जरूरी चिकित्सकीय संसाधन तक नहीं हैं। प्लेटलेट्स कम होने पर उन्हें चढ़ाने की जरूरत होती है। इसके लिए कंपोनेंट ब्लड सेपरेशन यूनिट नहीं है।

    ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट की विशेषता 

    ब्लड कंपोनेंट मशीन खून में शामिल तत्वों को अलग-अलग कर देती है। यह मशीन लाल रक्त कणिकाएं (आरबीसी), श्वेत रक्त कणिकाएं (डब्ल्यूबीसी), प्लेटलेट्स, प्लाज्मा और फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा (एफएफपी) को अलग-अलग कर देती है। थैलेसीमिया के मरीजों को आरबीसी, डेंगू के मरीजों को प्लेटलेट्स, जले मरीजों को प्लाज्मा, एफएफपी और एड्स के मरीजों को डब्ल्यूबीसी की जरूरत पड़ती है। ऐसी स्थिति में मरीज को पूरी यूनिट खून चढ़ाने की जगह आवश्यक तत्व ही चढ़ाए जाते हैं। एक यूनिट खून से चार अलग-अलग मरीजों की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है।

    ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट की शुरुआत की जानी है। इससे मरीजों को आरबीसी, प्लाज्मा, प्लेटलेट्स एवं डब्लूबीसी की सुविधा मिलेगी। मरीज व तीमारदार इसके लिए बहुत परेशान होते रहे हैं अब उन्हें लाभ मिलेगा। रेड क्रास की ओर से इसके संचालन को लेकर प्रक्रिया की जा रही है।
    डा. एसके चौधरी सिविल सर्जन, समस्तीपुर।