'मायके में नहीं है कोई, कहां से लाएंगे दस्तावेज', वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन से क्यों कतरा रहे मतदाता?
मतदाता सूची 2025 के पुनरीक्षण को लेकर चुनाव आयोग की अपील के बावजूद मतदाताओं में उदासीनता देखी गई। कई लोगों ने बीएलओ के न पहुंचने और फॉर्म उपलब्ध न होने की शिकायत की। जागरण की टीम ने जमीनी हकीकत का जायजा लिया जिसमें फॉर्म भरने में मतदाताओं को आ रही दिक्कतों का पता चला। बीएलओ ने मतदाताओं की मदद की लेकिन कुछ लोग जानकारी के अभाव में परेशान दिखे।

जागरण संवाददाता, नवहट्टा (सहरसा)। मतदाता सूची 2025 के विशेष सघन पुनरीक्षण को लेकर चुनाव आयोग मतदाताओं से बार-बार अपील कर रहा है कि वे हर हाल में मतगणना प्रपत्र अवश्य भरें। अंतिम तिथि का इंतजार न करें और न ही किसी दुविधा में रहें। अगर बीएलओ घर नहीं पहुंच रहे हैं तो आयोग की वेबसाइट से डाउनलोड कर मतगणना प्रपत्र ऑनलाइन भी भर सकते हैं।
बता दें कि देर-सवेर इसके लिए मतदाताओं को आयोग के प्रतिनिधियों के समक्ष 11 प्रमाणों में से एक प्रस्तुत करना होगा। आयोग द्वारा तत्काल निर्धारित सूची के अनुसार मतदाता सूची में नाम सुरक्षित करने के लिए प्रपत्र भरकर जमा करना जरूरी है। इस युद्ध स्तरीय अभियान की जमीनी हकीकत जानने के लिए जागरण गांव की ओर निकल पड़ा।
सुबह 9.30 बजे
नवहट्टा से मुरादपुर जाने के दौरान खरका-तेलवा पंचायत अंतर्गत रमौती के मो. याकूब व अफरोज खान से मुलाकात हुई। मतदाता पुनरीक्षण के बारे में पूछे जाने पर पहले तो उन्होंने सरकार पर निशाना साधा और फिर बताया कि अभी तक उन्हें और उनके मोहल्ले के लोगों को मतगणना का फॉर्म भी उपलब्ध नहीं कराया गया है।
इसकी शिकायत लेकर हम कल यानी सोमवार को प्रखंड कार्यालय गए थे। हमें आश्वासन दिया गया था कि शाम तक फॉर्म मिल जाएगा, लेकिन अभी तक फॉर्म नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि कई बार बीडीओ के मोबाइल नंबर पर कॉल किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। ऐसे में फॉर्म कैसे जमा करें।
10.00 बजे
मुरादपुर के चौतारा पहुंचे बीएलओ श्यामल किशोर ठाकुर दर्जनों फॉर्म लेकर एक दरवाजे पर खड़े थे। वे मतदाताओं से फॉर्म ले रहे थे। उन्होंने वहीं खड़े होकर कुछ फॉर्म देखे। नागिया देवी सिर्फ अंगूठा लगाकर फॉर्म जमा करने आई थीं। बीएलओ साहब ने अपने एक सहयोगी की मदद से फॉर्म भरवाया।
10.25 बजे
सुनीता देवी बीएलओ के पास पहुंचीं और फॉर्म पर अपना नाम और अंगूठा लगा दिया था। उसने अपनी जन्मतिथि 1987 के बाद बताई और कहा कि मेरा मायका मधेपुरा जिले के पड़वा में है। मेरे माता-पिता का निधन हो चुका है, मुझे यह भी नहीं पता कि मेरा भाई कहां रहता है। मुझे कोई कागजात नहीं मिल पा रहे हैं। उसने बीएलओ से फॉर्म भरने का अनुरोध किया। बीएलओ ने उससे पूछकर कॉलम के अनुसार भरना शुरू कर दिया।
मां का नाम लिखवाने के बाद उसने पिता का नाम लिखवाने को कहा। उसने कहा कि पिता की मौत के बाद उसकी मां ने दूसरी शादी कर ली। तब से वह उसका पिता हो गया और उसकी भी मौत हो गई। दोनों में से वह किसका नाम लिखवाए? बीएलओ ने समझाने की कोशिश की लेकिन वह कॉलम खाली छोड़ने पर अड़ी रही।
10.40 बजे
बीएलओ सुभाष कुमार के घर पहुंचे। उन्होंने दो दिन पहले दिया गया फॉर्म मांगा। आंगन से निकले दो लोगों ने फॉर्म जमा किया। सुलोचना देवी ने बताया कि उनके पति और बेटा सूरत में हैं। फॉर्म भरकर वापस कर देंगे। कई बार फॉर्म भरने के लिए कहने पर वह घर के अंदर चली गई और गुस्से में बोली, अपना फॉर्म वापस ले लो, हमें वोट नहीं डालना है।
स्थानीय लोगों के समझाने और बीएलओ के अथक प्रयास के बाद उसका सिर्फ फॉर्म भरवाया गया। वह अपने पति और बेटे का फॉर्म न भरवाने के लिए बीएलओ और सरकार को कोसती रही।
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