Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत को लेकर बाजारों में बढ़ी रौनक, महिलाओं में दिख रहा खास उत्साह
सिमरी बख्तियारपुर में सोमवार को सुहागिनें वट सावित्री पर्व मनाएंगी जिसकी तैयारियां हो चुकी हैं। पूजन सामग्री की खरीदारी के लिए बाजार में भीड़ उमड़ी। वट वृक्ष का संस्कृति और धर्म में गहरा महत्व है। इसके औषधीय गुण हैं और यह पर्यावरण को शुद्ध करता है। यह वृक्ष आस्था का केंद्र है जिससे सुहागिन महिलाओं का गहरा संबंध है।

संसू,सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा)। सुहागिन महिलाओं के द्वारा सोमवार को वट सावित्री पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा, जिसकी तैयारी पूरी कर ली गई है। पूजन संबंधित सामग्री की खरीदारी के लिए भी सुहागिन महिलाओं की भीड़ रविवार को उमड़ पड़ी।
व्रती महिलाएं रविवार को दौड़ी, बांस से बना पंखा, लीची, आम सहित विभिन्न सामग्री की खरीदारी के लिए बाजार पहुची। जहां महिलाओं के पर्व को लेकर उत्साह देखा गया। यह पर्व मानव एवं प्रकृति के बीच एक दूसरे के सम्मान के साथ-साथ भरण-पोषण का भी गहरा रिश्ता है।
देश की संस्कृति, सभ्यता एवं धर्म से वट वृक्ष का है गहरा नाता
धर्म शास्त्र में वट वृक्ष को धार्मिक स्थलों का पर्याय माना गया है। धार्मिक आस्था के कारण ही ग्रामीण क्षेत्र में कई धर्म स्थान पर वट वृक्ष का अस्तित्व आज तक बरकरार है। संस्कृति से इसका गहरा नाता है।
वट सावित्री व्रत तो लेकर महिलाओं ने दी प्रतिक्रिया
वट वृक्ष का हर अंग उत्तम औषधि गुणों से परिपूर्ण माना जाता है। इसके पत्तियां, शाखाएं एवं फल से लेकर जड़ के हिस्से से अलग-अलग बीमारियों की औषधि तैयार की जाती है। इस वट वृक्ष पवित्र वृक्ष माना जाता है।
प्रियंका भगत
घना पत्तेदार एवं विशालकाय वृक्ष होने के कारण वट वृक्ष अधिक आक्सीजन का उत्सर्जन करता है। पर्यावरण शुद्धि में यह आम भूमिका निभाता है।
शिवानी कुमारी
वट वृक्ष अमूल्य संपदा है। वट वृक्ष सहित अन्य पेड़ पौधे का संरक्षण समाज को एक नई दिशा प्रदान करेगा। यह ऑक्सीजन देने के साथ-साथ हमें ग्लोबल वार्मिंग जैसे कई आपदाओं से बचाता है।
खुशी कुमारी
जीवन और मृत्यु के निर्धारण के देवता का निवास वट वृक्ष में रहता है। इस कारण सुहागिन महिलाओं के साथ आम लोगों की आस्था भी इससे जुड़ी है।
पूजा भगत
जड़ी बूटी के रूप में वट वृक्ष का उपयोग सनातन काल से होता आ रहा है। आध्यात्मिक महत्व रहने एवं सावित्री तथा सत्यवान के कथा से जुड़ी महत्वता के कारण सुहागिन महिलाएं इसकी पूजा करती है।
संजना भगत
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