मन के हारे हार है, मन के जीते जीत
सहरसा। मनुष्य के मन में दुर्बलता अगर हो तो वह अपने जीवन में सफल नहीं हो सकता है। वह आसान ...और पढ़ें

सहरसा। मनुष्य के मन में दुर्बलता अगर हो तो वह अपने जीवन में सफल नहीं हो सकता है। वह आसान काम करने में भी घबराता है। वहीं मजबूत मन:स्थिति वाला व्यक्ति कठिन से कठिन कार्यों को भी हंसते हुए निपटा देता है। यही बात कोरोना से पीड़ित मरीजों पर भी उतरता है। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की मनोविज्ञान की छात्रा चंद्रायण पंचायत की एकाढ़ निवासी शिवांगी का कहना है मनुष्य के मन में कभी अच्छे तो कभी बुरे, कभी सकारात्मक तो कभी नकारात्मक, सैकड़ों तरह के विचार आते जाते रहते हैं। बीमार अवस्था में मनुष्य अपने मन को अपने वश में नहीं कर पाता तो मन उसे अच्छे कार्यों के मनन चितन की बजाय व्यर्थ कार्यों के सोच विचार में ज्यादा उलझा देता है। व्यर्थ या फालतू बातों के सोच विचार में मन की अनमोल शक्ति नष्ट हो जाती है । बीमारी से हार जाता है। बीमारी होने पर मन नकारात्मक अधिक होने पर दवा भी काम नहीं कर पाता है, जबकि सकारात्मक सोच से मानव के मन में उर्जा व्यर्थ नहीं होती। वह समस्त उर्जा एकत्रित होकर मनुष्य के मन की एक बहुत बड़ी शक्ति बन जाती है। सकारात्मक सोच को आगे रखकर चिकित्सक की सलाह दवा योग से कोरोना को हराया जा सकता हैं । जो मन से हार नहीं मानता उसे कोई शक्ति परास्त नहीं कर सकता ।

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