सहरसा में सात निश्चय योजना की खुली पोल, बारिश से सड़कें बनीं तालाब; लोगों के घरों में घुसा पानी
सहरसा जिले के सत्तरकटैया प्रखंड में लगातार बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। कई गांवों में सड़कों पर पानी भर गया है घरों में पानी घुस गया है जिससे लोगों का निकलना मुश्किल हो गया है। ग्रामीणों ने जल निकासी की उचित व्यवस्था न होने और सात निश्चय योजना पर सवाल उठाए हैं।

संवाद सूत्र, सत्तरकटैया (सहरसा)। लगातार हो रही झमाझम बारिश ने सत्तरकटैया प्रखंड क्षेत्र का जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। अधिकांश गांवों की सड़कों पर पानी भर जाने से आवागमन ठप हो गया है, वहीं कई घरों में भी बारिश का पानी घुस गया है। सिहौल, पटोरी, बिहरा, पुरीख, बिशनपुर और बिजलपुर पंचायतों के कई हिस्से तालाब में तब्दील हो गए हैं।
पटोरी पंचायत के वार्ड नंबर पांच स्थित महादलित टोला में आधे दर्जन से अधिक घरों में पानी घुस गया है। वहीं सिहौल पंचायत के वार्ड संख्या 14 और 15 के मुख्य मार्ग, पुरीख गांव की गलियां और बिजलपुर पंचायत के कटैया मुख्य मार्ग पर दो से तीन फीट तक पानी जमा है। हालात ऐसे हैं कि लोगों का घर से निकलना भी मुश्किल हो गया है।
नालों का निर्माण अधूरा, जल निकासी व्यवस्था ठप
ग्रामीणों का कहना है कि अधिकांश सड़कों के किनारे नाले तो बने हैं, लेकिन जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होने से बारिश का पानी कई दिनों तक जमा रहता है। पटोरी और सिहौल के कई इलाकों में स्थिति बेहद खराब है।
सिहौल चकला निवासी जयराम मुखिया बताते हैं कि हर साल बारिश में सड़क पर दो से तीन फीट पानी भर जाता है। बच्चों और बुजुर्गों का निकलना नामुमकिन हो जाता है, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं किया गया।
सात निश्चय योजना पर उठ रहे सवाल
ग्रामीणों ने सरकार की सात निश्चय योजना पर भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि गांवों में सड़क और नाला निर्माण के नाम पर तो भारी खर्च हुआ, लेकिन उसका लाभ जमीनी स्तर पर नहीं मिल रहा। लोगों ने कहा कि यदि समय रहते स्थायी जल निकासी की व्यवस्था नहीं की गई, तो हर साल यही स्थिति दोहराई जाएगी।
स्थायी समाधान की मांग
स्थानीय लोगों ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से तत्काल प्रभावी कदम उठाने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि केवल अस्थायी राहत से काम नहीं चलेगा , क्षेत्र में स्थायी जल निकासी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, ताकि हर बारिश में उन्हें इस परेशानी से दो-चार न होना पड़े।
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